Dhyan Chand Biography in Hindi | ध्यान चंद जीवन परिचय

  ध्यान चंद से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ  ध्यान चंद को हॉकी के इतिहास में सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता है, जिसके चलते उन्हें "हॉकी का जादूगर" के नाम से भी पुकारा जाता है।  बचपन में ध्यान चंद का खेल के प्रति कोई लगाव नहीं था। हालांकि, वह अपने मित्रों के साथ अनौपचारिक खेलों में शामिल होते रहते थे और सेना में शामिल होने से पहले वह हॉकी नहीं खेलते थे। कक्षा 6 के बाद, उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके पिता सेना में थे और स्थानान्तरण के कारण उनका परिवार अक्सर स्थानांतरित होता रहता था। एक बार जब ध्यान चंद 14 वर्ष के थे, तब वह अपने पिता के साथ हॉकी मैच देखने के लिए गए। जहां उन्होंने एक टीम को 2 गोल से हारते हुए देखा, तभी चंद ने अपने पिता से पूछा कि वह हारने वाली टीम से खेल सकते हैं, उनके पिता सहमती व्यक्त करते हुए कहा "हाँ क्यों नहीं।" उस मैच में ध्यान चंद ने 4 गोल किए। उनके प्रदर्शन को देखते हुए, सेना के अधिकारी इतने प्रभावित हुए और उन्हें सेना में शामिल होने की पेशकश की। वर्ष 1921 में, वह 16 साल की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में एक सिपाही के रूप में शामिल हुए। ध्यान चंद का असली नाम ध्यान सिंह था। उनके नाम का "चंद" का शाब्दिक अर्थ है "चंद्रमा" क्योंकि वह रात में बहुत अभ्यास करते थे। उन्हें यह नाम उनके कोच पंकज गुप्ता ने दिया था। वर्ष 1925 में, उन्होंने अपना पहला राष्ट्रीय मैच खेला और उस मैच…

 

जीवन परिचय
वास्तविक नाम ध्यान सिंह
उपनाम हॉकी का जादूगर, चंद (चंद्रमा हिंदी रूपांतरण)
व्यवसाय भारतीय हॉकी खिलाड़ी
लोकप्रियता विश्व के सबसे बड़े हॉकी खिलाड़ी
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 170
मी०- 1.70
फीट इन्च- 5' 7"
वजन/भार (लगभग)70 कि० ग्रा०
आँखों का रंग गहरा भूरा
बालों का रंग काला
हॉकी
अंतर्राष्ट्रीय शुरुआतन्यूज़ीलैंड दौरा (अप्रैल 1926)
डोमेस्टिक/स्टेट टीमझांसी हीरो
कोच / संरक्षक (Mentor)सुबेदार - मेजर भोले तिवारी (सरंक्षक)

पंकज गुप्ता (कोच)
पसंदीदा मैच खेला गयावर्ष 1933 में, कलकत्ता कस्टम और झांसी हीरो के बीच बीटन कप फाइनल
रिकॉर्ड्स (मुख्य)• उन्होंने अपने हॉकी करियर में लगभग 1000 गोल किए, जिनमें से 400 अंतरराष्ट्रीय मैचों में किए थे।
• उन्होंने 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं।
• वर्ष 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक खेलों में उन्होंने सर्वाधिक 14 गोल किए थे और वर्ष 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भी उन्होंने सर्वाधिक गोल किए थे।
• वर्ष 1935 में, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर, ध्यान चंद ने 43 मैचों में 201 गोल करने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया।
पुरस्कार/सम्मान • वर्ष 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
• वर्ष 1955 में, उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।
सेना (आर्मी)
सर्विस/ब्रांच ब्रिटिश भारतीय सेना
भारतीय सेना
सर्विस कार्यकाल 1921–1956
यूनिट पंजाब रेजिमेंट
सेना में भर्ती हुए सिपाही के तौर पर (वर्ष 1922)
सेना से रिटायर हुए मेजर के तौर पर (वर्ष 1956)
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 29 अगस्त 1905
जन्मस्थान इलाहाबाद, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत
मृत्यु तिथि 3 दिसंबर 1979
मृत्यु स्थल दिल्ली, भारत
आयु (मृत्यु के समय)74 वर्ष
मृत्यु कारण लिवर कैंसर
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत
राशि कन्या
शैक्षणिक योग्यता छठी पास
धर्म हिन्दू
जाति राजपूत
खाद्य आदत मांसाहारी
हस्ताक्षर
शौक/अभिरुचिखाना पकाना, शिकार करना, मत्स्य पालन करना, फोटोग्राफी करना, क्रिकेट और कैरम खेलना
विवाद नीदरलैंड में, एक मैच के दौरान एक अधिकारी ने ध्यान चंद की हॉकी स्टिक की जांच की, कहीं उनकी हॉकी स्टिक में कोई चुंबक तो नहीं लगी है, जिसके चलते उन्होंने ध्यान चंद की हॉकी स्टिक तोड़ को दिया।
प्रेम संबन्ध एवं अन्य मामलें
वैवाहिक स्थिति विवाहित
विवाह तिथि वर्ष 1936
परिवार
पत्नी जानकी देवी
बच्चे बेटा - बृज मोहन, सोहन सिंह, राज कुमार, अशोक कुमार (हॉकी खिलाड़ी)

उमेश कुमार, देविंदर सिंह, वीरेंदर सिंह

बेटी - कोई नहीं
माता-पिता पिता - सुबेदार समेश्वर दत्त सिंह (सेना में सुबेदार)
माता - शारदा सिंह
भाई-बहन भाई - मूल सिंह (हवलदार)
रूप सिंह (हॉकी खिलाड़ी)

बहन - कोई नहीं
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा मिठाई हलवा
पसंदीदा भोजन मटन और मछली
पसंदीदा पेय पदार्थ दूध

ध्यान चंद से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  •  ध्यान चंद को हॉकी के इतिहास में सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता है, जिसके चलते उन्हें “हॉकी का जादूगर” के नाम से भी पुकारा जाता है।
  •  बचपन में ध्यान चंद का खेल के प्रति कोई लगाव नहीं था। हालांकि, वह अपने मित्रों के साथ अनौपचारिक खेलों में शामिल होते रहते थे और सेना में शामिल होने से पहले वह हॉकी नहीं खेलते थे।
  • कक्षा 6 के बाद, उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके पिता सेना में थे और स्थानान्तरण के कारण उनका परिवार अक्सर स्थानांतरित होता रहता था।
  • एक बार जब ध्यान चंद 14 वर्ष के थे, तब वह अपने पिता के साथ हॉकी मैच देखने के लिए गए। जहां उन्होंने एक टीम को 2 गोल से हारते हुए देखा, तभी चंद ने अपने पिता से पूछा कि वह हारने वाली टीम से खेल सकते हैं, उनके पिता सहमती व्यक्त करते हुए कहा “हाँ क्यों नहीं।” उस मैच में ध्यान चंद ने 4 गोल किए। उनके प्रदर्शन को देखते हुए, सेना के अधिकारी इतने प्रभावित हुए और उन्हें सेना में शामिल होने की पेशकश की।
  • वर्ष 1921 में, वह 16 साल की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में एक सिपाही के रूप में शामिल हुए।
  • ध्यान चंद का असली नाम ध्यान सिंह था। उनके नाम का “चंद” का शाब्दिक अर्थ है “चंद्रमा” क्योंकि वह रात में बहुत अभ्यास करते थे। उन्हें यह नाम उनके कोच पंकज गुप्ता ने दिया था।
  • वर्ष 1925 में, उन्होंने अपना पहला राष्ट्रीय मैच खेला और उस मैच के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया।
  • उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू मैच में गोलों की हैट्रिक लगाई थी।
  • वर्ष 1928 में एम्स्टर्डम ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में, उन्होंने 5 मैचों में सर्वाधिक 14 गोल किए और टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बने। तब से उन्हें हॉकी विज़ार्ड के रूप में जाना जाने लगा। 
  • वर्ष 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भारत ने पुनः टूर्नामेंट और स्वर्ण पदक जीता। 
  • दिसंबर 1934 में ध्यान चंद को टीम का कप्तान नियुक्त किया गया।
  • वर्ष 1935 में क्रिकेट के महान खिलाड़ी डॉन ब्रैडमैन ने अपना पहला हॉकी मैच देखा, जिसमें ध्यान चंद खेल रहे थे। वह उनके प्रदर्शन से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने ध्यान चंद की प्रशंसा करते हुए कहा, “आप क्रिकेट में रन बनाने जैसे लक्ष्यों की भांति गोल करते हैं।” 
  • वर्ष 1936 में बर्लिन ओलंपिक में, ध्यान चंद फिर से सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने और भारत ने पुनः स्वर्ण पदक जीता।

  • ऐसा कहा जाता है कि एडॉल्फ हिटलर भी ध्यान चंद के खेल से प्रभावित थे, जिसके चलते उन्होंने ध्यान चंद को जर्मन सेना में फील्ड मार्शल के पोस्ट की पेशकश की।
  • वर्ष 1947 के मैच के लिए ध्यान चंद का भारतीय टीम के कप्तान के रूप में चयन किया गया था। ध्यान चंद ने अपने पचास वर्षों में 22 मैचों में 61 गोल किए है।
  • वर्ष 1948 में, उन्होंने अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेला।
  • ध्यान चंद एक मैच में विपक्षी टीम के खिलाफ गोल करने में सक्षम नहीं हुए। उसके बाद उन्होंने गोल के माप के बारे में आपत्ति जताते हुए, मैच रेफरी से बात की और उनका दावा सही साबित हुआ। यह पाया गया कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार गोल की आधिकारिक चौड़ाई का पालन नहीं किया गया।
  • ध्यान चंद ने वर्ष 1926 से 1948 तक अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में करीब 400 गोल किए। ध्यान चंद ने वर्ष 194 में प्रथम श्रेणी की हॉकी से सन्यास ले लिया।
  • वर्ष 1956 में, 51 वर्ष की उम्र में ध्यान चंद सेना से मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए।
  • भारतीय हॉकी में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए ध्यान चंद को सम्मानित करते हुए, एक भारतीय डाक टिकट जारी की गई। 
  • वर्ष 2002 से, भारतीय खेल एवं युवा मंत्रालय द्वारा खिलाड़ी के जीवन भर के कार्य को गौरवान्वित करने के लिए “ध्यानचंद पुरस्कार” दिया जाने लगा। 
  • ध्यान चंद के जन्मदिन को हर वर्ष भारतीय राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

Recent Posts

Sukhvinder Singh Sukhu Biography in Hindi | सुखविंदर सिंह सुक्खू जीवन परिचय

सुखविंदर सिंह सुक्खू से जुडी कुछ रोचक जानकारियां सुखविंदर सिंह सुक्खू एक भारतीय वकील और राजनेता हैं। जिन्हें 2022 में…

2 months ago

Yashasvi Jaiswal Biography in Hindi | यशस्वी जायसवाल जीवन परिचय

यशस्वी जायसवाल से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां यशस्वी जयसवाल उत्तर प्रदेश के एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं। वह तब सुर्खियों…

2 months ago

Bhajan Lal Sharma Biography in Hindi | भजन लाल शर्मा जीवन परिचय

भजन लाल शर्मा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां भजन लाल शर्मा एक भारतीय राजनेता हैं। वह 15 दिसंबर 2023 को…

2 months ago

Mohammed Shami Biography in Hindi | मोहम्मद शमी जीवन परिचय

मोहम्मद शमी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां मोहम्मद शमी एक भारतीय तेज गेंदबाज क्रिकेटर हैं जो अपने बॉलिंग स्किल के…

2 months ago

Mohan Yadav Biography in Hindi | मोहन यादव जीवन परिचय

मोहन यादव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां मोहन यादव एक भारतीय राजेनता और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। वह…

2 months ago

Shraddha Joshi Sharma (IRS) Biography In Hindi | श्रद्धा जोशी शर्मा जीवन परिचय

श्रद्धा जोशी शर्मा से जुडी कुछ रोचक जानकारियां श्रद्धा जोशी शर्मा 2007 बैच की एक भारतीय आईआरएस अधिकारी हैं। सिंघम…

2 months ago