शरद कुमार से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ शरद कुमार एक भारतीय पैरा हाई जम्पर (ऊँची कूद) हैं जिन्हे 2020 टोक्यो पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है। वर्ष 2014 में 12 साल के एशियाई खेलों के रिकॉर्ड को तोड़ने पर उन्हें वर्ल्ड नंबर 1 पैरा हाई जम्पर घोषित किया गया। शरद कुमार का पालन-पोषण बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। 2 साल की उम्र में पोलियो अभियान के तहत पोलियो की नकली दवा पिलाने के कारण शरद कुमार का बायां पैर लकवाग्रस्त हो गया। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट पॉल स्कूल दार्जिलिंग से की। शरद ने 7 साल की उम्र से ही हाई जंपिंग का अभ्यास करना शुरू कर दिया था। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद शरद अपनी आगे की पढ़ाई करने दिल्ली चले गए। जहां उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की। शरद कुमार ने ऊंची कूद को अपने करियर के रूप में शामिल करने की प्रेरणा अपने स्कूल के सीनियर खिलाड़ियों से ली, जो प्रतिदिन ऊंची कूद का अभ्यास करते थे। शरद कुमार की कामयाबी में उनके बड़े भाई का बहुत बड़ा हाथ है जिन्होंने शरद के जुनून को जारी रखने के लिए सभी जिम्मेदारियां निभाईं। जब उनके स्कूल के खेल अधिकारियों सहित कई अन्य लोगों ने उनका समर्थन करने से मना कर दिया तब शरद के बड़े भाई ने उनका पूरा साथ दिया। शरद ने अपने भाई के बारे…
जीवन परिचय | |
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व्यवसाय | भारतीय पैरा एथलीट (ऊँची कूद) |
जाने जाते हैं | 2020 टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद की F42 श्रेणी में कांस्य पदक जीतने के लिए |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 181 मी०- 1.81 फीट इन्च- 5" 11” |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
ट्रैक और फील्ड | |
इंटरनेशनल डेब्यू | 2010 में ग्वांगझोउ में आयोजित एशियाई पैरा खेलों में भाग लिया। |
कोच | एवगेनी निकितिन |
मेडल | स्वर्ण पदक • वर्ष 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में आयोजित एशियाई पैरालंपिक खेलों में • वर्ष 2018 में जकार्ता में आयोजित एशियाई पैरालंपिक खेलों में रजत पदक • वर्ष 2017 में लंदन में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक • वर्ष 2020 में आयोजित टोक्यो पैरालंपिक खेलों में |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 1 मार्च 1992 (रविवार) |
आयु (वर्ष 2021 के अनुसार) | 29 वर्ष |
जन्मस्थान | कोदरकट्टा पूरन, जिला मुजफ्फरपुर, बिहार, भारत |
राशि | मीन (Pisces) |
धर्म | हिन्दू [1]Hindustan Times |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | कोदरकट्टा पूरन, जिला मुजफ्फरपुर, बिहार |
स्कूल/विद्यालय | • सेंटपॉल हाईस्कूल, दार्जिलिंग • मॉडर्न स्कूल, दिल्ली |
कॉलेज/विश्वविद्यालय | • किरोड़ीमल महाविद्यालय, दिल्ली • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली |
शैक्षणिक योग्यता | • राजनीति विज्ञान में स्नातक • राजनीति में स्नातकोत्तर [2]Hindustan Times |
शौक/अभिरुचि | पढ़ना और फिल्में देखना |
विवाद | 2020 टोक्यो पैरालंपिक में प्रवेश करने से ठीक पहले शरद कुमार का मेडिकल टेस्ट हुआ तो पता चला कि उन्होंने कुछ नशीले पदार्थ का सेवन किया था। [3]News18 |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
गर्लफ्रेंड | ज्ञात नहीं |
परिवार | |
पत्नी | लागू नहीं |
माता-पिता | पिता- सुरेंद्र कुमार (व्यवसायी) माता- कुमकुम देवी (गृहिणी) |
भाई | भाई- नाम ज्ञात नहीं (एथलीट) |
पसंदीदा चीजें | |
टेनिस खिलाड़ी | रॉजर फ़ेडरर |
भोजन | कढ़ी चावल |
अभिनेता | शाहरुख खान |
अभिनेत्री | जेनिफर एनिस्टन |
फिल्म | हॉलीवुड- "द लास्ट समुराई" (2003) |
डायलॉग्स | “Bond! James Bond”...(wink) no a serious note, my own dialogue - “Let"s get started, All” |
स्थान | गोवा और लंदन |
मेरे भाई ने मुझे हाई जम्पर बनने के लिए प्रेरित किया। मैंने स्कूल में उनके सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और उन्होंने मुझे खेल को गंभीरता से लेने का विश्वास दिलाया। सेंट पॉल स्कूल के बाद मैंने दिल्ली में राष्ट्रीय पैरालंपिक टीम का हिस्सा बनने के लिए खुद को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया।”
मैं अपने जीवन के उस दौर को याद नहीं करना चाहता। यह मेरे लिए एक बुरा सपना था। यह सब गलती से हुआ। मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता। मुझे सकारात्मक परीक्षण किया गया था लेकिन मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। मुझे इसकी जानकारी भी नहीं थी। यह वास्तव में एक कठिन समय था, जिसने मुझे अंदर से पीड़ा दी। मैं खून के आंसू रोता था। मैंने कई बार खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और फूट-फूट कर रोने लगा। अब मैं इसे एक बुरे सपने के रूप में भूल गया हूं। मैंने नाडा (नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी) को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब मेरा टेस्ट पॉजिटिव आया, तो बार-बार सिर पीटने का कोई फायदा नहीं हुआ। मैं पूरी तरह से तबाह हो गया था। मुझे शर्म आती थी कि मैं डोपिंग का केस लड़ रहा हूं। लेकिन मैं अधिकारियों को समझा नहीं सका।”
ईमानदारी से कहूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मुझे यह महसूस करने में कुछ मिनट लगे कि मैंने स्वर्ण पदक जीत लिया है। मैं पोडियम पर भावुक हो गया था लेकिन रोना नहीं चाहता था। तिरंगा फहराते हुए और राष्ट्रगान को सुनते हुए देखना एक अद्भुत एहसास था। मैं अभी भी उस पल को महसूस कर सकता हूं।
आगे उन्होंने कहा-
मुझे इसके बारे में पता नहीं था। जब मैंने प्रदर्शन किया और मुझे स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया, तब मेरी टीम के सदस्यों ने मुझे रिकॉर्ड के बारे में बताया। यह मेरे लिए केक पर चेरी की तरह था।”
तीन दिनों के बाद (2020 टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक को स्थगित करने की घोषणा के बाद) मुझे लगा कि 17 महीने बहुत समय हैं जब आपके पास एक निश्चित लक्ष्य है जिसके लिए आपने चार साल की कड़ी मेहनत की थी तो मेरे लिए यूक्रेन में रहना एक लक्ष्य बन गया।”
हम इस पल का इंतजार कर रहे हैं। अपने अभ्यास और कड़ी मेहनत की यात्रा के दौरान मेरा बेटा धैर्य खो रहा था और थोड़ा निराश हो गया था। हालाँकि यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी थे जिन्होंने मेरे बेटे को प्रेरित और प्रोत्साहित किया। इस जीत का पूरा-पूरा श्रेय प्रधानमंत्री को जाता है।”
सन्दर्भ
↑1, ↑2 | Hindustan Times |
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↑3 | News18 |
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