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Chanakya Biography in Hindi | चाणक्य जीवन परिचय

चाणक्य से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ चाणक्य के द्वारा अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि महान ग्रंन्थ रचित है। जिसके चलते अर्थशास्त्र को मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। चाणक्य तक्षशिला (वर्तमान में रावलपिंडी, पाकिस्तान) के निवासी थे और राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे। चाणक्य के पिता एक गरीब ब्राह्मण थे और किसी तरह अपना गुजर-बसर करने के लिए छोटा-मोटा कार्य करते थे। जिसके चलते चाणक्य का बचपन बहुत गरीबी और दिक्कतों में गुजरा। कई विद्वानों के मतानुसार यह कहा जाता है कि वह बड़े ही स्वाभिमानी एवं क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने उस समय के महान शिक्षा केंद्र तक्षशिला से शिक्षण प्राप्त किया था। विभिन्न स्त्रोतों के अनुसार यह माना जाता है कि एक बार मगध के राजा महानंद ने श्राद्ध के अवसर पर चाणक्य को बुलाया और अपमानित किया। जिसके चलते चाणक्य ने क्रोध में वशीभूत होकर अपनी शिखा (बालों की चोटी) खोलकर यह प्रतिज्ञा ली, कि जब तक वह नंदवंश का नाश नहीं कर देंगे, तब तक वह अपनी शिखा नहीं बाँधेंगे। नंदवंश के विनाश के बाद उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी का उत्तरदायित्व सौंपा। उसके बाद मौर्य साम्राज्य का विस्तार करने के उद्देश्य से चाणक्य ने व्यावहारिक राजनीति में प्रवेश किया और चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री बने।  भारत पर सिकन्दर के आक्रमण के कारण छोटे-छोटे राज्यों की पराजय से अभिभूत होकर चाणक्य ने "व्यावहारिक राजनीति" में प्रवेश करने का संकल्प किया। जिसके चलते वह भारत को एक गौरवशाली और विशाल राज्य बनाना चाहते थे।  चाणक्य की…

जीवन परिचय
वास्तविक नाम विष्णुगुप्त, कौटिल्य
उपनाम चाणक्य और भारतीय मेकियावली
व्यवसाय शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री
प्रसिद्ध हैं शास्त्रीय राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र के जनक
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 375 ई.
जन्मस्थान तक्षशिला (अब जिला रावलपिंडी, पाकिस्तान)
गोला क्षेत्र में गांव चणक (वर्तमान में उड़ीसा) (जैन पाठ्यक्रम के अनुसार)
मृत्यु तिथि 275 ई.
मृत्यु स्थल पाटलिपुत्र (वर्तमान में पटना), भारत
मृत्यु कारण कुछ विद्वानों के अनुसार, भोजन नहीं करने के कारण
आयु (मृत्यु के समय)75 वर्ष
गृहनगर तक्षशिला
कॉलेज/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय तक्षशिला या टैक्सिला विश्वविद्यालय, प्राचीन भारत (वर्तमान में रावलपिंडी, पाकिस्तान)
शैक्षणिक योग्यता समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र आदि में अध्ययन
धर्म हिन्दू
जाति द्रविण ब्राह्मण
शौक/अभिरुचि पुस्तकें पढ़ना, लेखन करना, भाषण देना
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति विवाहित (कुछ स्रोतों के अनुसार)
अविवाहित (कुछ स्रोतों के अनुसार)
परिवार
पत्नी ज्ञात नहीं
माता-पिता पिता - ऋषि कनक
माता - चनेश्वरी

चाणक्य से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • चाणक्य के द्वारा अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि महान ग्रंन्थ रचित है। जिसके चलते अर्थशास्त्र को मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।
  • चाणक्य तक्षशिला (वर्तमान में रावलपिंडी, पाकिस्तान) के निवासी थे और राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे।
  • चाणक्य के पिता एक गरीब ब्राह्मण थे और किसी तरह अपना गुजर-बसर करने के लिए छोटा-मोटा कार्य करते थे। जिसके चलते चाणक्य का बचपन बहुत गरीबी और दिक्कतों में गुजरा।
  • कई विद्वानों के मतानुसार यह कहा जाता है कि वह बड़े ही स्वाभिमानी एवं क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति थे।
  • उन्होंने उस समय के महान शिक्षा केंद्र तक्षशिला से शिक्षण प्राप्त किया था।
  • विभिन्न स्त्रोतों के अनुसार यह माना जाता है कि एक बार मगध के राजा महानंद ने श्राद्ध के अवसर पर चाणक्य को बुलाया और अपमानित किया। जिसके चलते चाणक्य ने क्रोध में वशीभूत होकर अपनी शिखा (बालों की चोटी) खोलकर यह प्रतिज्ञा ली, कि जब तक वह नंदवंश का नाश नहीं कर देंगे, तब तक वह अपनी शिखा नहीं बाँधेंगे।
  • नंदवंश के विनाश के बाद उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी का उत्तरदायित्व सौंपा। उसके बाद मौर्य साम्राज्य का विस्तार करने के उद्देश्य से चाणक्य ने व्यावहारिक राजनीति में प्रवेश किया और चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री बने। 
  • भारत पर सिकन्दर के आक्रमण के कारण छोटे-छोटे राज्यों की पराजय से अभिभूत होकर चाणक्य ने “व्यावहारिक राजनीति” में प्रवेश करने का संकल्प किया। जिसके चलते वह भारत को एक गौरवशाली और विशाल राज्य बनाना चाहते थे। 
  • चाणक्य की विद्वता, निपुणता और दूरदर्शिता का बखान भारत के शास्त्रों, काव्यों तथा अन्य ग्रंथों में निहित है।
  • उन्होंने पाश्चात्य राजनीतिक चिन्तकों द्वारा प्रतिपादित राज्य के चार आवश्यक तत्त्वों – भूमि, जनसंख्या, सरकार व सम्प्रभुता का विवरण न देकर राज्य के सात तत्वों का विवेचन किया है। जिसमें स्वामी (राजा), अमात्य (मंत्री), जनपद (भूमि तथा प्रजा या जनसंख्या), दुर्ग (किला), कोष (राजकोष), दण्ड (बल, डण्डा या सेना), सुहृद (मित्र), इत्यादि शामिल है।
  • चाणक्य चंद्रगुप्त के भोजन में प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा जहर मिलाया करते थे, ताकि भविष्य में उनके दुश्मनों द्वारा जहर दिए जाने पर भी वह सुरक्षित रह सके। लेकिन, चंद्रगुप्त को इस बारे में कुछ पता नहीं था, एक बार उन्होंने गर्भवती रानी के साथ अपना खाना साझा किया, जो प्रसव से सात दिन दूर थे। भोजन करने से रानी की मृत्यु हो गई, लेकिन चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य के अजन्मे बच्चे को बचा लिया।
  • उन्होंने सम्राट चंद्रगुप्त और उनके बेटे बिंदुसारा दोनों के साथ मुख्य राजनीतिक और आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया।
  • कुछ विद्वानों के अनुसार चाणक्य ने वास्तव में महिलाओं की एक सेना को बनाया था। जिन्हे ‘विश्वकण्य’ के नाम से जाना जाता था। विद्वानों के मतानुसार, “विषकन्या” जो बेहद खूबसूरत लड़कियां थीं, जो अपने होठों से जहर छोड़ती थी। इन विषकन्याओं का प्रयोग युद्ध में किया जाता था। यही-नहीं विषकन्याओं को अधिक मात्रा में जहर देकर बहुत घातक बना दिया, मात्र उनके चुंबन से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। 
  • अर्थशास्त्र के अलावा, चाणक्य की प्रसिद्ध पुस्तक “चाणक्य नीति” को भी चाणक्य नीती-शास्त्र कहा जाता है, जो मुख्य रूप से एफ़ोरिज्म (सामान्य सत्य और सिद्धांत) पर आधारित है।
  • आज के विद्वानों द्वारा चाणक्य के महिलाओं पर विचारों की निंदा की जाती है, क्योंकि चाणक्य ने महिलाओं पर बड़े पैमाने पर शोध किया था और अपने पाठ में दर्ज किया था।
  • कुछ विद्वानों के अनुसार, एक बार बिंदुसारा (चंद्रगुप्त के पुत्र) को उत्तेजित कर दिया गया, कि चाणक्य ने उनकी मां को मारा है, जिसके चलते बिंदुसारा ने अपने साम्राज्य से चाणक्य को निष्कासित कर दिया। बाद में, जब बिंदुसारा को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने चाणक्य को वापस बुलाने का आदेश दे दिया, लेकिन चाणक्य ने मना कर दिया।
  • वर्ष 1995 में, उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ को लाइब्रेरियन रुद्रपत्न शामाशास्त्री द्वारा प्राचीन हथेली के पत्ते की पांडुलिपियों के एक अनिश्चित समूह में खोजा गया और ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट मैसूर में संरक्षित किया गया।
  • चाणक्य को भारत में एक महान विचारक और राजनायिक के रूप में सम्मानित किया जाता है। कई भारतीय राष्ट्रविदों ने उनकी प्रशंसा में बहुत कुछ कहा है, जिनमें से भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार शिवशंकर मेनन भी एक हैं, उन्होंने चाणक्य के अर्थशास्त्र की प्रसंशा करते हुए उसे वर्तमान परिस्थितियों में भी प्रासंगिक बताया है।

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