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Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in hindi | डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

जीवन परिचय
वास्तविक नाम डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
व्यवसाय शिक्षाविद, महान दार्शनिक, हिन्दू विचारक और भारतीय राजनेता
राजनीतिक जीवन
राजनीतिक दल निर्दलीय
राजनीतिक यात्रा • वर्ष 1931 में, उन्हें बौद्धिक सहयोग के लिए लीग ऑफ नेशन कमेटी में नामांकित किया गया।
• वर्ष 1949 से 1952 तक, वह सोवियत संघ के लिए भारत के राजदूत बने।
• वर्ष 1952 में, उन्हें भारत के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया।
• वर्ष 1962-1967 तक, वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने।
पुरस्कार/सम्मान • वर्ष 1931 में, उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा "सर" की उपाधि से नवाजा गया।
• वर्ष 1954 में, स्वतंत्रता के बाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद जी ने उन्हें महान दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिए भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया।
राधाकृष्णन भारत रत्न पुरस्कार ग्रहण करते हुए
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 5 सितंबर 1888
आयु (मृत्यु के समय)86 वर्ष
जन्मस्थान तिरुट्टानी, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
मृत्यु तिथि17 अप्रैल 1975
मृत्यु स्थलमद्रास, तमिलनाडु, भारत
मृत्यु का कारणहृदयाघात [1]NY Times
राशि कन्या
हस्ताक्षर डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हस्ताक्षर
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर मद्रास, तमिलनाडु, भारत
स्कूल/विद्यालय क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरूपति
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय• मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास
• मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज
शैक्षिक योग्यता • कला में स्नातक
• दर्शनशास्त्र में परास्नातक
परिवार पिता - सर्वपल्ली वीरास्वामी (राजस्व विभाग में कर्मचारी)
माता- सीताम्मा
भाई- 4 (नाम ज्ञात नहीं)
बहन - 1 (नाम ज्ञात नहीं)
धर्म हिन्दू
जाति ब्राह्मण
शौक/अभिरुचिपुस्तकें पढ़ना, संगीत सुनना, यात्रा करना और क्रिकेट खेलना
 सर्वपल्ली राधाकृष्णन क्रिकेट खेलते हुए
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा व्यक्तिवीर सावरकर और स्वामी विवेकानन्द
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पत्नी शिवकामु
राधाकृष्णन अपनी पत्नी के साथ
बच्चे बेटा - सर्वपल्ली गोपाल
बेटी - 5 (नाम ज्ञात नहीं)

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  •  डॉ॰ राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरूतनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार के घर हुआ था।
  • उनके पूर्वज पहले एक “सर्वपल्ली” गांव में रहते थे, 18 वीं शताब्दी के मध्य में उनके पूर्वज तिरुतनी गांव में आकर बस गए। जिसके चलते वह अपने नाम के साथ जन्मस्थल का नाम भी लगाने लगे ताकि अपने गांव का नाम सदैव याद रहे।
  • उनका बचपन तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर व्यतीत हुआ था।
  • राधाकृष्णन के पिता एक रूढ़िवादी विचारधारा के व्यक्ति थे, जिसके बावजूद उन्होंने क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरूपति से शिक्षा प्राप्त की।
  • बचपन में ही उन्होंने धार्मिक ज्ञान अर्जित कर लिया था, जिसके चलते वह वीर सावरकर और स्वामी विवेकानन्द से काफी प्रेरित हुए।
  • वर्ष 1903 में, 16 वर्ष की कम उम्र में उनका विवाह शिवकामु से कर दिया गया था।
  • विवाह के 6 वर्ष बाद वर्ष 1909 में उन्होंने कला में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की।
  • परास्नातक की पढ़ाई के दौरान अपने निजी जीवन के लिए आमदनी को एकत्रित करने के लिए उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया।
  • उन्होंने हिन्दू शास्त्रों और वेदों का भरपूर ज्ञान अर्जित किया है, जिसके चलते उन्हें अनुभव हुआ कि भारतीय संस्कृति, धर्म, ज्ञान और सत्य पर आधारित है जो प्राणी को जीवन का सच्चा सन्देश देती है।
  • वर्ष 1910 में राधाकृष्णन ने मद्रास में शिक्षण का प्रशिक्षण देना आरम्भ किया। उस समय उनका वेतन मात्र ₹37 था।
  • वर्ष 1912 में, डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की “मनोविज्ञान के आवश्यक तत्व” नामक एक लघु पुस्तिका प्रकाशित हुई।
  • वर्ष 1928 में, उनकी प्रथम मुलाक़ात पण्डित जवाहर लाल नेहरू से उस समय हुई, जब वह कांग्रेस पार्टी के वार्षिक अधिवेशन में सम्मिलित होने के लिए कलकत्ता आए हुए थे।
  • सर्वपल्ली भारतीय शैक्षिक सेवा के सदस्य होने के कारण किसी भी राजनीतिक संभाषण में भाग नहीं ले सकते थे, इसके बावजूद उन्होंने भाषण दिया।

    सर्वपल्ली राधाकृष्णन भाषण देते हुए

    सर्वपल्ली राधाकृष्णन भाषण देते हुए

  • स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद वह संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बने।
  • अखिल भारतीय कांग्रेस चाहती थी कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन गैर राजनीतिक व्यक्ति होते हुए भी संविधान सभा के सदस्य बनें। जबकि जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि राधाकृष्णन 14 – 15 अगस्त 1947 की रात्रि को उस समय भाषण दें, जब संविधान सभा का ऐतिहासिक सत्र आयोजित होगा। इसके साथ उन्हें यह निर्देश भी दिया गया कि वे अपना सम्बोधन रात्रि के ठीक 12 बजे समाप्त करें, क्योंकि उसके बाद ही नेहरू जी के नेतृत्व में संवैधानिक संसद द्वारा शपथ ली जानी थी।
  • अद्वितीय राष्ट्रपति डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस (5 सितम्बर) को प्रतिवर्ष ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।
  • 5 सितम्बर 1967 को, भारत सरकार द्वारा डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर एक स्मारक डाक टिकट की।

    डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्मारक डाक टिकट

    डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्मारक डाक टिकट

सन्दर्भ

सन्दर्भ
1 NY Times

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