जेरेमी लालरिननुंगा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां जेरेमी लालरिननुंगा एक भारतीय भारोत्तोलक हैं। वर्ष 2018 में वह 62 किलोग्राम पुरुष वर्ग युवा ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। उनका जन्म और पालन-पोषण मिजोरम के आइजोल में हुआ था। 6 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता की बॉक्सिंग अकादमी में एक मुक्केबाज के रूप में अपना प्रशिक्षण शुरू किया। 8 साल की उम्र में उनके पिता आर्थिक तंगी के कारण बॉक्सिंग अकादमी बंद कर दी। 7 साल की उम्र में वह अपने गाँव के एक जिम में जाने लगे थे जहाँ उन्होंने कुछ लड़कों को भारोत्तोलन करते हुए देखा। उन्होंने वहीं से भारोत्तोलन में रुचि विकसित करना शुरू कर दिया। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा, मैं लड़कों को अपने घर के पास एक जिम में ट्रेनिंग करते देखता था। वह वजन उठाते थे। इसने मुझे उत्साहित किया। इससे मुझे वह प्रोत्साहन मिला जिसकी मुझे खेल में हाथ आजमाने की जरूरत थी। मैंने जिम में उन लड़कों से संपर्क किया और उनसे पूछा कि क्या वह मुझे लिफ्ट करना सिखा सकते हैं। मैंने इसे करना शुरू कर दिया और पूर्णता के साथ वजन उठाना शुरू कर दिया। हो सकता है भगवान चाहते थे कि मैं किसी दिन भारोत्तोलक बन जाऊं।" इसके बाद उन्होंने भारोत्तोलन में पेशेवर प्रशिक्षण लेने का फैसला किया और प्रशिक्षण के लिए माल्सावमा खियांगते (उनके पहले कोच) से संपर्क किया। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा, मैं मालसावमा से संपर्क किया।…
जीवन परिचय | |
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पूरा नाम | जेरेमी लालरिनुंगा राल्ते [1]Facebook |
उपनाम | जलेबी और जर्मन [2]YouTube |
व्यवसाय | भारतीय वेटलिफ्टर |
जाने जाते हैं | कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने के तौर पर |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 165 मी०- 1.65 फीट इन्च- 5’ 5” |
भार/वजन (लगभग) | 55 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
वेटलिफ्टर | |
मौजूदा टीम | इंडिया |
इंटरनेशनल डेब्यू | 2016 |
राष्ट्रीय कोच | • मालसावमा खियांगते • जरज़ोकेमा • विजय शर्मा |
पुरस्कार/उपलब्धियां | वर्ष 2021 में उन्हें गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन द्वारा "वार्षिक खेल पुरस्कार" से सम्मानित किया गया। |
पदक | • वर्ष 2018 में युवा ओलंपिक ब्यूनस आयर्स में गोल्ड मेडल • वर्ष 2017 में राष्ट्रमंडल युवा चैंपियनशिप गोल्ड कोस्ट में गोल्ड मेडल • वर्ष 2017 में राष्ट्रमंडल जूनियर चैम्पियनशिप गोल्ड कोस्ट में गोल्ड मेडल • वर्ष 2016 में आईडब्ल्यूएफ युवा विश्व चैंपियनशिप पिनांग में रजत पदक |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 26 अक्टूबर 2002 (शनिवार) |
आयु (2021 के अनुसार) | 19 वर्ष |
जन्मस्थान | आइजोल, मिजोरम, भारत |
राशि | वृश्चिक (Scorpio) |
धर्म | ईसाई [3]YouTube |
आहार | मांसाहारी [4]YouTube |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | आइजोल, मिजोरम |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
टैटू | • उन्होंने अपने बायें हाथ के अग्रभाग बाइसेप्स पर ओलिंपिक रिंग्स बनवाया है। • जेरेमी लालरिननुंगा ने अपने बायें हाथ के अग्रभाग पर- भारोत्तोलक का चित्र बनवाया है। |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
गर्लफ्रेंड | वह अपने फेसबुक अकाउंट के मुताबिक रिलेशनशिप में है। [5]Facebook |
परिवार | |
पत्नी | लागू नहीं |
माता/पिता | पिता- लालमैथुआवा राल्ते (लोक निर्माण विभाग, आइजोल में मस्टर रोल मजदूर और पूर्व राष्ट्रीय जूनियर बॉक्सिंग चैंपियन) माता- लालमुआनपुई राल्ते |
भाई/बहन | भाई- 4 • जैरी राल्ते (सबसे बड़े; आइजोल में लोक निर्माण विभाग और बॉक्सर) • जोसेफ राल्टे (मुक्केबाज) • जेम्स राल्टे (मुक्केबाज) • जैकब राल्ते |
पसंदीदा चीजें | |
फुटबॉलर खिलाडी | क्रिस्टियानो रोनाल्डो |
स्थान | अर्जेंटीना |
होटल | सैनपियाउ, आइजोल |
गीत | एड शीरान का "परफेक्ट" (2017) |
भोजन | आलू और दाल |
सुपर मॉडल | गीगी हदीद |
मैं लड़कों को अपने घर के पास एक जिम में ट्रेनिंग करते देखता था। वह वजन उठाते थे। इसने मुझे उत्साहित किया। इससे मुझे वह प्रोत्साहन मिला जिसकी मुझे खेल में हाथ आजमाने की जरूरत थी। मैंने जिम में उन लड़कों से संपर्क किया और उनसे पूछा कि क्या वह मुझे लिफ्ट करना सिखा सकते हैं। मैंने इसे करना शुरू कर दिया और पूर्णता के साथ वजन उठाना शुरू कर दिया। हो सकता है भगवान चाहते थे कि मैं किसी दिन भारोत्तोलक बन जाऊं।”
मैं मालसावमा से संपर्क किया। उन्होंने ही मुझे पेशेवर भारोत्तोलन का पाठ पढ़ाया। वह मुझसे एक बांस लाने को कहते थे और धीरे से उठाने को कहते थे। वह 5 मीटर लंबे और 20 मिमी चौड़े थे। उन पर कोई भार नहीं था, लेकिन वास्तव में भार की तुलना में एक छड़ी उठाना कठिन था क्योंकि आपको यह जानना होगा कि इसे कैसे संतुलित किया जाए। यह काफी कठिन है। मैंने दिन-रात अभ्यास किया, बांस की छड़ें उठाकर संतुलन बनाने की कला सीखी।”
मैं अपने पिता से मिलने का इंतजार नहीं कर सकता। मैं सीधे उनके कार्यालय जाऊंगा और उनसे औचक भेंट करूंगा। वह मजदूरी का काम करते हैं। मुझे वास्तव में गर्व है कि मेरे पिता ने एक खिलाड़ी बनने में मेरी मदद करने के लिए हर संभव कोशिश की। मैं उनके सपनों को पूरा करके बहुत खुश हूं। वह अनुबंध पर है और उन्हें कभी भी नौकरी छोड़ने के लिए कहा जा सकता है। मैं चाहता हूं कि वह आराम करे। मैं अब अपने परिवार की देखभाल करूंगा।”
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