Guru Dutt Biography in Hindi | गुरु दत्त जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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वास्तविक नाम | वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण |
व्यवसाय | अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, कोरियोग्राफर |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई | से० मी०- 173 मी०- 1.73 फीट इन्च- 5’ 8” |
वजन/भार (लगभग) | 75 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 9 जुलाई 1925 |
जन्मस्थान | बैंगलोर, मैसूर राज्य, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु तिथि | 10 अक्टूबर 1964 |
मृत्यु स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
आयु (मृत्यु के समय) | 39 वर्ष |
मृत्यु कारण | शराब के साथ नींद की गोलियों का सेवन करने से मृत्यु, हालांकि अभी तक यह पता नहीं लग पाया है कि मृत्यु आकस्मिक है या आत्महत्या। |
राशि | कर्क |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
हस्ताक्षर | |
गृहनगर | भवानीपुर, पश्चिम बंगाल, भारत |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | ज्ञात नहीं |
शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
डेब्यू | एक फिल्म अभिनेता के रूप में : फिल्म - चाँद (1944) एक फिल्म निर्देशक के रूप में : फिल्म - बाज़ी (1951) एक फिल्म निर्माता के रूप में : फिल्म - आर-पार (1954) एक फिल्म कोरियोग्राफर के रूप में : फिल्म : हम एक हैं (1946) |
आखिरी फिल्म | एक फिल्म निर्देशक के रूप में : फिल्म - कागज़ के फूल एक अभिनेता के रूप में : फिल्म - साँझ और सवेरा |
परिवार | पिता - शिवशंकर पादुकोण माता- वासंती पादुकोण भाई- आत्मा राम बहन- ललिता लाज़मी (चचेरी बहन) |
धर्म | हिन्दू |
शौक/अभिरुचि | बैडमिंटन खेलना, लेखन करना, पुस्तकें पढ़ना, नृत्य करना, जानवरों की देखभाल करना, संगीत सुनना |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा भोजन | बंगाली व्यंजन और दक्षिण भारतीय व्यंजन |
पसंदीदा अभिनेता | देवानंद, ए. आर. रहमान और दिलीप कुमार |
पसंदीदा अभिनेत्रियां | वहीदा रहमान, साधना, मीना कुमारी और माला सिन्हा |
पसंदीदा फ़िल्में | कागज के फूल, बाज़ी और प्यासा |
पसंदीदा लेखक | अबरार अल्वी और बलराज साहनी |
पसंदीदा गीतकार | मजरूह सुल्तानपुरी, शकील बदायुनी, साहिर लुधियानवी और कैफ़ी आज़मी |
पसंदीदा पालतू पशु | चिम्पैंजी और बाघ |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
विवाह तिथि | वर्ष 1953 |
गर्लफ्रेंड व अन्य मामले | गीता रॉय चौधरी (पार्श्व गायिका) वहीदा रहमान |
पत्नी | गीता रॉय चौधरी (पार्श्व गायिका) |
बच्चे | बेटा- अरुण दत्त (फिल्म निर्देशक / मृत्यु तिथि 26 जुलाई 2014) तरुण दत्त (फिल्म निर्देशक / मृत्यु तिथि वर्ष 1989) बेटी- नीना दत्त |
धन/संपत्ति संबंधित विवरण | |
कार संग्रह | हिलमैन मिन्क्स बीएमडब्ल्यू |
वेतन (लगभग) | 60-70 हजार भारतीय रुपए प्रति फिल्म (एक निर्देशक के रूप में) 80-90 हजार भारतीय रुपए प्रति फिल्म (एक अभिनेता के रूप में) |
कुल संपत्ति (लगभग) | ज्ञात नहीं |
गुरु दत्त से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- क्या गुरु दत्त शराब पीते थे ? हाँ
- उनके माता-पिता पूर्व में कर्वार, कर्नाटक से संबंधित थे, लेकिन बाद में वह भवानीपुर, पश्चिम बंगाल में स्थानांतरित हो गए।
- उन्होंने बचपन की एक दुर्घटना के कारण अपना नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण से बदलकर गुरु दत्त रख लिया था। एक अन्य कारण उनका बंगाल में पालन -पोषण हो सकता है।
- मात्र 16 साल की उम्र में उनका नृत्य के प्रति काफी लगाव हो गया था। जिसके चलते वह प्रसिद्ध नर्तक और कोरियोग्राफर पंडित उदय शंकर की नृत्य अकादमी में शामिल हुए, जो सितार वादक पंडित रवि शंकर के बड़े भाई थे।
- वर्ष 1943 में, नौकरी की तलाश में, वह कोलकाता चले गए, जहां उन्होंने लीवर ब्रदर्स कारखाने में टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में कार्य करना शुरू किया। कई महीनों तक वहां कार्य करने के बाद, उन्हें वह कार्य पसंद नहीं आया और उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
- वर्ष 1944 में, उनके चाचा गुरु दत्त के लिए एक उपयुक्त नौकरी खोजने के लिए पुणे पहुंचे। जिसके चलते बहुत जल्द उन्हें प्रभात फिल्म कंपनी में एक सहायक निर्देशक के रूप में तीन साल के अनुबंध के तौर पर नौकरी मिल गई।
- गुरु दत्त के चचेरे भाई श्याम बेनेगल ने भी दत्त के साथ एक सहायक निर्देशक के रूप में कार्य किया और उनके प्रोडक्शन हाउस के तहत फिल्म निर्देशन करना सीखा।
- वर्ष 1946 में, उन्हें फिल्म “हम एक हैं” के लिए एक नृत्य कोरियोग्राफर के रूप में कार्य करने का मौका मिला।
- वह प्रभा अनंत फिल्म कंपनी में देवानंद से मिले थे और जिसके चलते दोनों एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र बन गए। उन्होंने कुछ शर्तों पर सहमत होते हुए कार्य करने का निर्णय किया, जब भी देवानंद किसी भी फिल्म का निर्माण करेंगे, वह गुरु दत्त को अपने निर्देशक के रूप में रखेंगे, और जब भी गुरु दत्त किसी भी फिल्म का निर्देशन करेंगे, तो वह देवानंद को एक अभिनेता के रूप में रखेंगे। जिसके चलते दोनों ने सीआईडी (C.I.D), बाजी जैसी कई फिल्मों में एक साथ मिलकर कार्य किया।
- फिल्म ‘आर-पार’ के बाद, गुरु दत्त ने वी.के. मूर्ति (चलचित्रकार) और अबरार अल्वी (लेखक-निर्देशक) के साथ अपनी अंतिम फिल्म तक कार्य किया।
- फिल्मजगत में पेशेवरों का एक समूह जिसे “द गुरु दत्त टीम” के रूप में जाना जाता है। जिसने भारतीय सिनेमा में एक क्रांतिकारी कार्य किए। टीम ने कुछ असाधारण रचनात्मक फ़िल्में जैसे कि पासा, कागाज़ के फूल, चौदहवीं का चाँद, इत्यादि बनाई।
- ऐसा कहा जाता है कि एक बार “21 सेंचुरी फॉक्स” की टीम सिनेमासस्कोप में एक फिल्म की शूटिंग के लिए भारत आई और कुछ लेंस यहीं छोड़कर चली गई। इसी दौरान गुरु दत्त ने नए किस्म के लेंस को देखा और फिल्म “कागज के फूल” के कुछ शॉट्स लिए। शॉट्स इतने अच्छे थे कि उन्होंने उसी लेंस के साथ पूरी फिल्म को शूट करने का फैसला किया और जिसके चलते यह भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म बन गई।
- वर्ष 1951 में, वह एक महान पार्श्व गायिका गीता रॉय से मिले और जहां एक गाने की रिकॉर्डिंग “तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले” के दौरान एक दूसरे के प्यार में पड़ गए।
- उनकी बहन ललिता लाजमी ने एक बार कहा था कि “मैं दोनों के बीच एक संदेशवाहक के रूप में कार्य करती थी, वह उनके पत्रों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए कार्य करती थी। मैं बहुत खुश थी कि एक दिन दोनों ने वर्ष 1953 में शादी करने का फैसला किया।”
- शादी के कुछ सालों के बाद, दोनों के बीच काफी अनबन होनी शुरू हो गई। जिसका प्रमुख कारण तत्कालीन अग्रणी अभिनेत्री वहीदा रहमान के साथ उनका संबंध था।
- उस अनबन के कुछ सालों के बाद, उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और मुंबई में अपने घर में अकेले रहना शुरू कर दिया। इससे वह काफी अवसाद में चले गए और जिसके कारण नींद की गोलियों का सेवन करना शुरू कर दिया।
- फिल्म “कागज़ के फूल” को उनके जीवन की सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म के रूप में माना जाता है, जिसके लिए गुरु दत्त ने हर संभव प्रयास किया था। परन्तु दुर्भाग्यवश उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही, जिसके कारण दत्त पूरी तरह से टूट गए थे।
- हालांकि, उनकी दो फिल्मों “चौदहवीं का चाँद” (1960) और “साहिब बीबी और गुलाम” को “कागज़ के फूल” के बाद रिलीज़ किया गया था और जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुईं थी, जिसने उनकी पिछली फिल्म के दर्द को कम कर दिया था।
- इसके बाद, वर्ष 1970 और 1980 के दशक में, फ़िल्म “कागज़ के फूल” एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई। जिसका अंदाजा हम एशिया और यूरोप के 13 देशों द्वारा फिल्म स्क्रीनिंग के लिए इस फिल्म के प्रिंट को पाने के लिए अनुरोधकिए जाने से लगा सकते हैं। इसके साथ-साथ विदेशी फिल्म स्कूलों/विश्वविद्यालयों में भी फिल्मों के प्रशिक्षण के लिए “कागज के फूल” फिल्म के प्रिंट का प्रयोग किया जाने लगा। कुछ समय बाद यह फिल्म भारत में दोबारा रिलीज़ हुई, जिसे लोगों द्वारा अद्भुत प्रतिक्रिया मिली। यहां तक आज-कल इस फिल्म को अधिकांश विश्वविद्यालयों में और फिल्मजगत में शोध करने के लिए उदाहरणस्वरूप अध्ययन किया जाने लगा।
- उनकी विशेष फिल्मों जैसे:- प्यासा, कागज़ के फूल, साहिब बीबी और गुलाम और चौहदवीं का चाँद के कुछ हिट गाने “चौहदवीं का चाँद हो”, “जाने वो कैसे लोग थे”, “ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो”, “वक्त ने किया क्या हसीन सितम”, इत्यादि को मुख्य संगीतकार एस. डी. बर्मन द्वारा निर्मित और उल्लेखनीय शायर साहिर लुधियानवी द्वारा लिखा गया था।
- उनकी फ़िल्में “कागज के फूल” और “प्यासा” को टाइम्स मैगज़ीन की ऑल-टाइम 100 सबसे बेहतरीन फिल्मों के रूप में नामित किया गया था। उन फिल्मों को the Sight Sound सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण पत्रिका और डायरेक्टरों के पोल द्वारा फिल्मजगत में सदाबहार फिल्म की श्रेणी में रखा गया।
- फिल्मजगत में उच्च सफलता पाने के बाद भी गुरु दत्त हमेशा तनाव से ग्रस्त रहे। 10 अक्टूबर 1964 को, बॉम्बे में पेडेर रोड पर अपने किराए के मकान में वह बिस्तर पर मृत पाए गए। एक जाँच के दौरान यह पाया गया, उनकी मृत्यु नींद की गोलियों की अधिक मात्रा लेने से हुई है। जैसा कि देवानंद ने अपने एक साक्षात्कार में बताया था कि वही एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने दत्त की मृत्यु के समय उनके समीप एक गिलास में नीले रंग का तरल पदार्थ देखा था।
- वर्ष 1972 में, उनकी पत्नी गीता दत्त की 41 वर्ष की आयु में अत्यधिक शराब के सेवन से मृत्यु हो गई थी, क्योंकि अधिक शराब के सेवन ने उनके यकृत (Liver) को काफी प्रभावित कर दिया था।
- गीता की मृत्यु के बाद तीन बच्चों का पालन-पोषण उनके भाई आत्मा राम ने किया।
- वर्ष 1989 में, उनके छोटे बेटे तरुण ने भी आत्महत्या कर ली थी और वर्ष 2014 में, उनके बड़े बेटे अरुण की अत्याधिक शराब के सेवन से मृत्यु हो गई थी।
- यहां गुरु दत्त के जीवन पर बनाई गई एक डॉक्यूमेंटरी वीडियो है, जो फिल्म उद्योग में उनकी यात्रा के विभिन्न चरणों का खुलासा करती है :