Dr. A.P.J. Abdul Kalam Biography in Hindi | डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम जीवन परिचय
डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- उनका जन्म रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था।
- कलाम के पिता एक नौका के मालिक थे, जो रामेश्वरम और धनुष्कोडी (अब निर्जन) के बीच हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जाने का कार्य करते थे।
- कलाम अपने परिवार में चार भाइयों और एक बहन से सबसे छोटे थे।
- उनके पूर्वज संपन्न व्यापारी और जमींदार थे और वे मुख्य रूप से श्रीलंका में किरयाने का व्यापार करते थे।
- तीर्थयात्रियों को श्रीलंका से पंबन के बीच नाव से यात्रा करवाने के लिए उनके परिवार को “Mara Kalam iyakkivar (wooden boat steerers)” के ख़िताब से नवाजा गया।
- वर्ष 1914 में, मुख्य भूमि (मेनलैंड) से पबंन तक ब्रिज को खोला गया, जिसके कारण उनके परिवार की आजीविका प्रभावित हुई।
- बचपन से ही कलाम ने ग़रीबी को बहुत नजदीक से देखा और महसूस किया, क्योंकि उनके माता-पिता की आय इतनी नहीं थी कि वह पूरे परिवार का पालन पोषण कर सकें। अपने परिवार की निर्धनता को देखते हुए, कलाम ने समाचार पत्रों के वितरण का कार्य करना प्रारम्भ किया। वह धनुष्कोडी मेल ट्रेन से बाहर गिरे हुए अखबारों को एकत्रित करके दुसरी ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को बेचते थे, और उसी समय विश्वयुद्ध शुरू हो गया था। विश्वयुद्ध के दौरान भी कलाम ने अपना कार्य नहीं छोड़ा।
- कलाम सिर्फ 10 वर्ष के थे, जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। एक साक्षात्कार में, कलाम ने यह खुलासा किया था कि उन्होंने युद्ध की आग को बिल्कुल समीप से महसूस किया था, क्योंकि युद्ध की आग धीरे-धीरे रामेश्वरम तक पहुंच गई थी।
- बचपन के बाद से उन्हें किताबें पढ़ने का शौक जागृत हुआ, जिसके चलते वह अपने भाई के मित्र से किताबें उधार लेकर पढ़ते थे।
- अपने विद्यालय में, कलाम एक औसत दर्जे के छात्र थे। हालांकि, उनके शिक्षकों ने उन्हें एक उज्ज्वल और मेहनती छात्र के रूप में वर्णित किया कि जिसके अंदर सीखने की तीव्र इच्छा थी।
- सेंट जोसेफ कॉलेज तिरुचिरापल्ली से भौतिकी में स्नातक करने के बाद, वह एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के अध्ययन के लिए मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गए।
- एमआईटी में एक सीनियर क्लास प्रोजेक्ट पर काम करते समय, डीन ने उनके कार्य से असंतुष्टि प्रकट की, और उन्होंने कलाम को चेतावनी देते हुए कहा कि ” यदि वह अगले तीन दिनों तक प्रोजेक्ट को नहीं समाप्त करते तो उन्हें छात्रवृति से वंचित कर दिया जाएगा। तीन दिन बाद डीन ने कलम से कहा ” मैं आपके कार्य को देखकर काफी आश्चर्यचकित हुआ, कार्य करने की समय सीमा समाप्त होने तक आपने कार्य को सम्पूर्ण कर दिया। मैं आपको मुश्किलों में कार्य करने की सीख दे रहा था।”
- कलाम ने एक लड़ाकू पायलट (Pilot) बनने का सपना देखा था। हालांकि, वह भारतीय हवाई दल (आईएएफ) के क्वालीफायर में 9 वें स्थान पर थे, परन्तु दुर्भाग्यवश उसमे केवल आठ ही सीटें उपलब्ध थीं और जिसके कारण वह अपना लड़ाकू पायलट (Pilot) बनने का सपना साकार नहीं कर सके।
- वर्ष 1960 में एमआईटी से स्नातक करने के बाद, वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में शामिल हुए और वहां एक छोटे से होवरक्राफ्टर डिजाइनर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि, कलाम डीआरडीओ में नौकरी करने से संतुष्ट नहीं थे।
- INCOSPAR समिति के सदस्य होने के कारण उन्होंने प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के अंतर्गत कार्य किया।
- वर्ष 1963 में, कलाम ने नासा (NASA’s) के विभिन्न अंतरिक्ष केंद्रों का दौरा किया। जिनमें वर्जीनिया: Goddard Space Flight Center in Greenbelt (Maryland), Langley Research Center in Hampton; and Wallops Flight Facility.
- वर्ष 1965 में डीआरडीओ में, कलाम ने स्वतंत्र रूप से एक रॉकेट प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था।
- वर्ष 1969 में, कलाम को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां वह वर्ष 1980 में भारत के प्रथम उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (एसएलवी-तृतीय) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बने और उनके द्वारा प्रोजेक्ट उपग्रह “रोहिणी” जो पृथ्वी की कक्षा के बिल्कुल निकट है, उसका सफल प्रक्षेपण किया गया।
- 1970 और 1990 के बीच, कलाम ने पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हेकल (पीएसएलवी) और (एसएलवी -3) प्रोजेक्ट्स को विकसित करने में काफी प्रयास किया और दोनों ही सफल साबित हुए।
- राजा रमन्ना ने कलाम को भारत के प्रथम परमाणु परीक्षण (Smiling Buddha) करने के लिए आमंत्रित किया, परन्तु किसी कारणवश कलाम इस परीक्षण में हिस्सा नहीं ले पाए।
- 1970 के दशक में, बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करने के लिए कलाम ने एसएलवी-3 प्रोग्राम का उपयोग किया। इसके बाद कलाम ने दो प्रोजेक्टों को निर्देशित किया :- प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वोलियंट। उसी समय तत्कालीन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो प्रोजेक्टों को अस्वीकार कर दिया, तभी इंदिरा गाँधी (भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री) ने इन प्रोजेक्टों को गुप्त रूप से धन आवंटित किया।
- वर्ष 1980 में, कलाम के शैक्षिक नेतृत्व और अनुसंधान कार्य को देखते हुए, सरकार द्वारा कलाम को उन्नत मिसाइल कार्यक्रम को अपने निर्देशन में नियोजित करने का प्रस्ताव रखा गया।
- वेंकटरामन (तत्कालीन रक्षा मंत्री) ने कलाम को इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का मुख्य कार्यकारी नियुक्त किया और मिशन के लिए 388 करोड़ रुपये का आवंटन किया। इसके साथ-साथ कलाम द्वारा मिशन अग्नि और मिशन पृथ्वी सहित कई सफल मिसाइलों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की गई।
- जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक, कलाम ने प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सचिव के रूप में कार्य किया। इस अवधि के दौरान उन्होंने पोखरन -2 परमाणु परीक्षण को आयोजित किया, जिसमें कलाम ने अटल बिहारी वाजपेयी (भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री) के साथ एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और तकनीकी भूमिका अदा की।
- वर्ष 1990 में, एक मीडिया कवरेज ने कलाम को भारत का सबसे कुशल परमाणु वैज्ञानिक बताया, जिसके कारण उन्हें “मिसाइल मैन” के नाम से पुकारा जाता है।
- 1998 में, कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के सहयोग से कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट (coronary stent) विकसित किया और उसका नाम “कलाम-राजू स्टेंट” रखा। वर्ष 2012 में, दोनों ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए “कलाम-राजू टैबलेट” नामक एक टैबलेट कंप्यूटर का अविष्कार भी किया।
- वर्ष 2002 में, भारत के पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन के कार्यकाल के बाद अब्दुल कलाम ने भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला।
- एपीजे अब्दुल कलाम भारत के तीसरे राष्ट्रपति बने, जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उनसे पहले डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954) और डॉ जाकिर हुसैन (1963) ने भारत रत्न को प्राप्त कर, राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की थी।
- राष्ट्रपति भवन में निवास के दौरान, उन्होंने कहा कि “वह अपने भोजन के लिए स्वयं भुगतान करेंगे।” उसी समय जनरल केएस डोगरा (पूर्व सैन्य सचिव एपीजे अब्दुल कलाम) ने एक घटना को याद करते हुए कहा कि “उनके रिश्तेदार पहली बार उनसे मिलने आए थे, जब वे राष्ट्रपति बने। उन्होंने राष्ट्रपति भवन से कोई विशेष व्यवस्था लेने से इंकार कर दिया। अपने परिवार के साथ दिल्ली के आसपास की जगह पर घूमने के लिए एक छोटी सामान्य स्लीपर क्लास बस को किराए पर लेकर यात्रा की और जिसके लिए कलाम ने ही भुगतान किया था। हालांकि, राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति और उनके परिवार के इस्तेमाल के लिए वाहनों का एक बेड़ा है, एक अस्तबल, क्लब, अस्पताल, एक गोल्फ कोर्स है, जिसे कलाम ने कभी इस्तेमाल नहीं किया। उनका एकमात्र मनोरंजन उनकी किताबें थीं, जिसे वह मुगल गार्डन में टहलते हुए पढ़ते थे।
- भारत के राष्ट्रपति (अपने कार्यकाल के दौरान) के रूप में मीडिया ने उन्हें प्यार से “पीपुल्स प्रेसिडेंट” कहा।
- सितंबर 2003 में, पीजीआई चंडीगढ़ में एक इंटरैक्टिव सत्र के दौरान उन्होंने भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता का समर्थन किया।
- वर्ष 2011 में, एक हिंदी फिल्म “आई एम कलाम” को रिलीज़ किया गया, जिसमें कलाम को ‘छोटू’ नाम के एक गरीब राजस्थानी लड़के पर सकारात्मक प्रभाव के रूप में चित्रित किया गया था।
- 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में जब वह “Creating a Livable Planet Earth” विषय पर सभा को सबोंधित कर रहे थे, तब अपने संबोधन के मात्र पांचवें मिनट में (भारतीय समयानुसार सायं 6:35 बजे) वह अचानक गिर पड़े। जब उन्हें समीप के Bethany Hospital में ले जाया गया, तो उनकी नब्ज रुकी हुई थी और उनके शरीर के जीवंत होने का कोई भी लक्षण परिलक्षित नहीं था। उसी दिन लगभग सायं 7:45 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, उनके अंतिम शब्द निम्नवत थे :- “Funny guy! Are you doing well?” जो कि उन्होंने अपने सहायक श्रीजनपाल सिंह से कहे थे।
- डॉ अब्दुल कलाम के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सम्पूर्ण भारत ने सोशल मीडिया पर उनके लिए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दुखद घटना के लिए भारत सरकार ने सात दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया। उनके निधन पर प्रणव मुखर्जी (भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति), हामिद अंसारी (भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति) और राजनाथ सिंह (भारत के वर्तमान गृह मंत्री) एवं अन्य लोगों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए, उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
- 30 जुलाई 2015 को, रामेश्वरम के Pei Karumbu Ground पर पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम क्रिया सम्पन्न की गई। उनकी अंतिम क्रिया पर नरेंद्र मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री), राहुल गांधी, तमिलनाडु के राज्यपाल और केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्रियों सहित अंतिम क्रिया में 3.5 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया।
- 27 जुलाई 2017 को, नरेंद्र मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री) ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर “अब्दुल कलाम नेशनल मेमोरियल” पेइ करुम्बु रामेश्वरम के द्वीप समूह पर स्थित मेमोरियल का अनावरण किया, जिसे डीआरडीओ (DRDO) द्वारा बनाया गया है।
- कलाम को अपनी मां से बहुत लगाव था, और उन्होंने अपनी आत्मकथा, “विंग्स ऑफ़ फायर” में लिखी एक कविता में अपनी मां के लिए कुछ इस प्रकार स्नेह प्रकट किया:
Mother “I still remember the day when I was ten,
Sleeping on your lap to the envy of my elder brothers and sisters.
It was full moon night, my world only you knew Mother!, My Mother!
When at midnight, I woke with tears falling on my knee
You knew the pain of your child, My Mother.
Your caring hands, tenderly removing the pain
Your love, your care, your faith gave me strength,
To face the world without fear and with His strength.
We will meet again on the great Judgment Day. My Mother