द्रौपदी मुर्मू से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय राजनेत्री हैं, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 2022 के भारतीय राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के रूप में जाना जाता है। द्रौपती मुर्मू को बचपन से ही राजनीतिक में लगाव था क्योंकि जब वह छोटी थी, तब उनके पिता और दादा ग्राम प्रधान थे। वर्ष 1997 में राजनीति में आने से पहले, वह श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर, राजगांगपुर में सहायक प्रोफेसर थीं। उन्होंने 1979 से 1983 तक ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में भी काम किया। उन्होंने अपने बच्चों की देखभाल के लिए 1983 में अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। वर्ष 2015 में वह झारखंड की नौवीं और पहली राज्यपाल महिला बनीं। वर्ष 2016 में प्रत्यूषा बनर्जी के माता-पिता ने द्रौपदी से मुलाकात की और अपनी बेटी की मौत की सीबीआई जांच का अनुरोध किया। वर्ष 2016 में मुर्मू ने घोषणा किया कि वह रांची के कश्यप मेमोरियल आई अस्पताल में मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करेंगी। वर्ष 2018 में रक्षा बंधन के अवसर पर ब्रह्माकुमारी निर्मला ने द्रौपदी को राखी बांधकर रक्षा बंधन के त्योहार को और भी आकर्षक बनाया। एक साक्षात्कार में, मुर्मू ने कहा कि अपने बेटों और पति की मृत्यु के बाद अवसाद से लड़ने के लिए मैंने ब्रह्माकुमारी निर्मला का अनुसरण करना शुरू कर दिया था।" द्रौपती मुर्मू ने वर्ष 2021 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों की समीक्षा किया था। 2022 में भारतीय राष्ट्रपति चुनाव…
जीवन परिचय | |
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व्यवसाय | राजनेत्री |
जानी जाती हैं | भारत की 15वीं राष्ट्रपति और देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के तौर पर |
राजनीति करियर | |
पार्टी/दल | • भारतीय जनता पार्टी |
राजनीतिक यात्रा | • वर्ष 1997 में उन्हें ओडिशा के रायरंगपुर के जिला पार्षद के रूप में चुना गया था। उसी वर्ष उन्हें रायरंगपुर के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया। • 2000 के विधानसभा चुनाव में वह रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के मंत्री के रूप में चुनी गईं और 2004 तक वह परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन विभाग की प्रभारी रहीं। • 2004 में वह रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक के रूप में दोबारा से चुनी गईं। • उन्होंने मयूरभंज में भाजपा की जिलाध्यक्ष और 2006 से 2009 तक भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। • मई 2015 में उन्हें झारखंड की पहली राज्यपाल महिला के रूप में चुना गया। उन्होंने 2021 तक राज्यपाल के रूप में कार्य किया। • वर्ष 2022 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भारतीय राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति की उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया। |
पुरस्कार/उपलब्धियां | वर्ष 2007 में उन्हें ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए "नीलकंठ पुरस्कार" से सम्मानित किया गया। |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 163 मी०- 1.63 फीट इन्च- 5’ 4" |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 20 जून 1958 (शुक्रवार) |
आयु (2022 के अनुसार) | 64 वर्ष |
जन्मस्थान | मयूरभंज, उड़ीसा, भारत |
राशि | मिथुन (Gemini) |
हस्ताक्षर/ऑटोग्राफ | |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | बलदापोसी गांव, मयूरभंज, ओडिशा |
स्कूल/विद्यालय | के.बी. एचएस उपरबेड़ा स्कूल, मयूरभंज |
कॉलेज/विश्विवद्यालय | रमा देवी महिला कॉलेज, भुवनेश्वर, ओडिशा |
शैक्षिक योग्यता | बीए [1]MyNeta |
धर्म | हिन्दू |
जातीयता | संथाल जनजाति [2]India Today |
जाति | अनुसूचित जनजाति |
पता | ग्राम बलदापोसी, पीओ-रायरंगपुर, डब्ल्यू नंबर -2 जिला, मयूरभंज, ओडिशा |
शौक/अभिरुचि | पढ़ना और बुनाई करना |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विधवा |
परिवार | |
पति | श्याम चरण मुर्मू (पूर्व बैंक अधिकारी, मृत्यु 2014) |
बच्चे | उनके दो बेटे थे, जिनमें से एक का नाम लक्ष्मण मुर्मू है, जिसकी मृत्यु वर्ष 2009 में हो गई थी और दूसरे की वर्ष 2013 में मृत्यु हो गई थी। बेटी- इतिश्री मुर्मू (बैंक कर्मचारी) |
माता/पिता | पिता- बिरंची नारायण टुडू (किसान) माता- नाम ज्ञात नहीं |
भाई/बहन | भाई- 2 • भगत टुडु • सारनी टुडु |
धन संपत्ति संबधित विवरण | |
संपत्ति [3]MyNeta | चल संपत्ति • नकद: रु. 1,80,000 • बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में जमा: रु. 5,05,000 • एलआईसी या अन्य बीमा पॉलिसियां: रु. 1,30,000 • आभूषण: रु. 2,60,000 |
कुल संपत्ति | रु. 6,10,000 (2009 के अनुसार) [4]MyNeta |
मुर्मू ने कहा कि अपने बेटों और पति की मृत्यु के बाद अवसाद से लड़ने के लिए मैंने ब्रह्माकुमारी निर्मला का अनुसरण करना शुरू कर दिया था।”
लाखों लोग, विशेष रूप से वह जिन्होंने गरीबी का अनुभव किया है और कठिनाइयों का सामना किया है, श्रीमती के जीवन से बहुत ताकत मिलती है। द्रौपदी मुर्मू जी के नीतिगत मामलों उनकी समझ और दयालु स्वभाव से हमारे देश को बहुत फायदा होगा।”
मैं हैरान भी हूं और खुश भी। सुदूर मयूरभंज जिले की एक आदिवासी महिला के रूप में, मैंने शीर्ष पद के लिए उम्मीदवार बनने के बारे में कभी भी नहीं सोचा था।”
उनकी उम्मीदवारी एकदम सही है और उन्होंने हमेशा लोगों के मुद्दों को उठाया है। अपने कार्यकाल के दौरान, जब भी आदिवासियों या महिलाओं पर अत्याचार की खबरें आती थीं, तो वह अक्सर डीजीपी या अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाती थीं।”
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