Mahatma Gandhi Biography in Hindi | महात्मा गांधी जीवन परिचय
महात्मा गांधी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- क्या महात्मा गांधी धूम्रपान करते हैं ? नहीं (युवावस्था में करते थे)
- क्या महात्मा गांधी शराब पीते हैं ? नहीं
- मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म पश्चिमी भारत में गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर (जिसे सुदामापुरी के नाम से भी जाना जाता है) नामक स्थान पर एक हिंदू मोध बनिये के परिवार में हुआ था।
- उनके पिता करमचंद गांधी की शैक्षणिक योग्यता सिर्फ प्राथमिक स्तर की थी। फिर भी वह पोरबंदर राज्य के एक कुशल मुख्यमंत्री रहे। पहले, उन्हें राज्य प्रशासन में क्लर्क के रूप में तैनात किया गया था।
- पोरबंदर के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, करमचंद ने 4 बार शादी की (पहली दो पत्नियों की मृत्यु 1-1 पुत्री को जन्म देने के बाद हो गई थी) करमचंद की तीसरी शादी से कोई संतान नहीं हुई। इसके बाद 1857 में, करमचंद का चौथा विवाह पुतलीबाई (1841-1891) के साथ हुआ।
- महात्मा गांधी जी की मां, पुतलीबाई, जुनागढ़ के प्रणामी वैष्णव परिवार से थीं।
- मोहनदास (महात्मा गांधी) के जन्म से पहले करमचंद और पुतलीबाई के तीन बच्चे थे – बेटा लक्ष्मीदास (1860-1914), बेटी रालियताबेन (1862-1960) और एक बेटा करनदास (1866-1913) ।
- 2 अक्टूबर 1869 को, पोरबंदर के एक बिना खिड़की वाले अंधेरे कमरे में, पुतलीबाई ने अपनी अंतिम संतान मोहनदास (महात्मा गांधी) को जन्म दिया।
- गांधी जी की बहन के अनुसार, “गांधी शांत स्वभाव के व्यक्ति थे, उन्हें घूमना बहुत पसंद था, और अपने खाली समय में वह कुत्तों के कानों के साथ खेलते थे।”
- राजा हरिश्चंद्र और श्रवण कुमार की पारंपरिक भारतीय कहानियों का गांधीजी के बचपन पर काफी प्रभाव पड़ा। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि, “मैंने बचपन से ही हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व को अपने जीवन में ढाला है, और इन कहानियों से ही मैंने सच्चाई, प्रेम और बलिदान की प्रेरणा प्राप्त की है।”
- महात्मा गांधी की मां एक पवित्र महिला थीं, वह अपनी माँ से बहुत प्रभावित थे। वह दैनिक प्रार्थनाओं के बिना कभी भी भोजन ग्रहण नहीं करती थीं और लगातार दो तीन उपवास रखना उनके लिए सामान्य था। शायद, उनकी मां के यही गुण थे जिन्होंने गांधी जी को लंबे समय तक उपवास के लिए प्रेरित किया था।
- वर्ष 1874 में, उनके पिता करमचंद ने पोरबंदर को छोड़ दिया और राजकोट में उन्हें शासक (ठाकुर साहिब) के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
- 9 वर्ष की आयु में, उन्होंने राजकोट में अपने घर के पास एक स्थानीय स्कूल में प्रवेश लिया।
- 11 वर्ष की आयु में गांधी जी ने राजकोट के एक हाई स्कूल में प्रवेश लिया। जहां उनका स्वभाव शर्मीला और प्रदर्शन औसत छात्र के रूप में रहा।
- हाई स्कूल के दौरान उनकी दोस्ती एक मुस्लिम लड़के से हुई , जिसका नाम शेख मेहताब था। शेख मेहताब का व्यक्तित्व काफी आश्चर्यजनक था। एक दिन शेख मेहताब ने मोहनदास को ऊंचाई बढ़ाने के लिए मांस के सेवन के लिए आग्रह किया और उन्हें वेश्यालय ले गया। वह दिन मोहनदास के लिए काफी परेशानी भरा रहा। जिसके चलते मोहनदास का मेहताब के साथ अनुभव अच्छा नहीं रहा और परिणामस्वरूप उन्होंने मेहताब की संगति से दरकिनार कर लिया।
- मई 1883 में, महज 13 साल की उम्र में उनका विवाह 14 वर्षीय कस्तूरबा माखनजी कपाड़िया (जिन्हें कस्तुरबा और बा कहकर भी पुकारा जाता था) से हुआ।
अपने विवाह के दिन को याद करते हुए महात्मा गांधी जी ने कहा कि,” मुझे शादी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, हमारे लिए शादी का मतलब सिर्फ नए कपड़े पहनना, मिठाई खाना और रिश्तेदारों के साथ मौज – मस्ती करना है।” उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि अपनी पत्नी के प्रति उनके अंदर वासना की भावनाएं भी उत्पन्न होती थीं।
- वर्ष 1885 में, उनके पिता का निधन हो गया, उस समय महात्मा गांधी 16 वर्ष के थे और उसी वर्ष, उनके पहले बच्चे की भी मृत्यु हो गई थी, वह बच्चा कुछ ही दिन जीवत रहा था। बाद में, उनके घर चार बच्चों का जन्म हुआ : हरिलाल (जन्म तिथि 1888), मणिलाल (जन्म तिथि 1892), रामदास (जन्म तिथि 1897), और देवदास (जन्म तिथि 1900)।
- नवंबर 1887 में, महज 18 साल की उम्र में, उन्होंने अहमदाबाद के हाई स्कूल से स्नातक की डिग्री हासिल की।
- जनवरी 1888 में, महात्मा गांधी ने भावनगर स्थित सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया। हालांकि, कुछ समय बाद उन्होंने कॉलेज को छोड़ दिया और पोरबंदर चले गए।
- 10 अगस्त 1888 को, माविजी दवे जोशीजी (एक ब्राह्मण पुजारी और परिवार मित्र) की सलाह पर, मोहनदास ने लंदन में लॉ स्टडीज के उद्देश्य से पोरबंदर को छोड़ दिया और बॉम्बे चले गए। लोगों ने उन्हें चेतावनी दी कि इंग्लैंड में उन्हें मांस खाने और शराब पीने के लिए उकसाया जाएगा, गांधी जी ने अपनी मां को एक वचन दिया, कि वह शराब, मांस और महिलाओं से दूर रहेंगे।
- 4 सितंबर 1888 को, वह मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुए।
- महात्मा गांधी जी ने बैरिस्टर बनने के लिए, उन्होंने लंदन स्थित इनर टेम्प्लेट (Inner Temple) में दाखिला लिया और वहां कानून और न्यायशास्त्र का अध्ययन किया। गांधी जी का बचपन वाला शर्मीलापन लंदन में भी जारी रहा। हालांकि, उन्होंने धीरे-धीरे लंदन में पाश्चात्य संस्कृति को अपनाना शुरू कर दिया था जैसे :- अंग्रेजी बोलना, क्लबों में जाना, पाश्चात्य नृत्य सीखना इत्यादि।
- लंदन में उन्हें “शाकाहारी सभा” (Vegetarian Society) में शामिल किया गया था और उन्हें सभा की कार्यकारी समिति के सद्स्य के रूप में चुना गया था। उन शाकाहारियों में से समिति के ज्यादातर लोग थियोसोफिकल सोसाइटी (Theosophical Society) (1875 में न्यूयॉर्क शहर में स्थापित) के सद्स्य थें। उन्होंने मोहनदास गांधी को थियोसोफिकल सोसाइटी (Theosophical Society) में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
- 12 जनवरी 1891 को, उन्होंने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की।
- जून 1891 में, 22 वर्ष की उम्र में, मोहनदास गांधी को उच्च न्यायालय और ब्रिटिश बार में नामांकन के लिए बुलाया गया था। परन्तु उसी वर्ष वह भारत लौट आए, जहां उन्हें पता चला कि लंदन में रहने के दौरान उनकी मां की मृत्यु हो गई थी।
- भारत लौटने पर गांधी जी की मुलाकात रायचंदभाई (जिन्हे गांधीजी के गुरु के रूप में जाना जाता है) से हुई।
- मोहनदास गांधी ने बॉम्बे से कानून का अभ्यास करना प्रारंम्भ किया, हालांकि उनमे गवाहों की पारस्परिक जाँच के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से रणनीति का अभाव था। जिसके कारण वह राजकोट लौट आए। जहां उन्होंने दावेदारों के लिए याचिकाओं का प्रारूप तैयार करके मामूली जीवन जीना शुरू किया। हालांकि, एक ब्रिटिश अधिकारी के साथ विवाद होने के कारण उन्हें अपने काम को बीच में ही बंद करना पड़ा।
- वर्ष 1893 में, मोहनदास गांधी की मुलाकात एक मुस्लिम व्यापारी दादा अब्दुल्ला से हुई। जिसका दक्षिण अफ्रीका में बहुत बड़ा पोत परिवहन (shipping) का व्यापार था। अब्दुल्ला का चचेरा भाई जोहान्सबर्ग में रहता था, जिसे एक वकील की जरुरत थी। अब्दुल्ला ने उन्हें लगभग 9000 रुपए और अधिक यात्रा खर्च देने पेशकश की, जिसे उन्होंने खुशी से स्वीकार किया।
- अप्रैल 1893 में, 23 साल की उम्र में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका (जहां उन्होंने 21 साल बिताते हुए, अपने नैतिक मूल्यों और राजनीतिक विचारों को विकसित किया) की यात्रा पर गए।
- जून 1893 में, पीटरमरेट्ज़बर्ग स्टेशन (Pietermaritzburg station) पर मोहनदास गांधी को ट्रेन की प्रथम श्रेणी की टिकट होने के बावजूद ट्रेन के वैन डिब्बे में यात्रा करने का आदेश दिया गया था, जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन्हें ट्रेन से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया। और उन्हें पुरी रात कंपकपाती ठंड में प्लेटफार्म पर ही गुजारनी पड़ी।
- मई 1894 में वह अब्दुल्ला केस के फैसले के लिए दक्षिण अफ्रीका आए।
- वर्ष 1894 में, दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ भेदभाव किया जा रहा था, जिसके चलते गांधी जी ने भारतीयों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक संगठन का प्रस्ताव रखा और भारतीयों को रंगभेद से लड़ने के लिए 22 अगस्त 1894 को गांधी जी ने “नटलाल भारतीय कांग्रेस संगठन” का निर्माण किया।
- अक्टूबर 1899 में, बोअर युद्ध के बाद, मोहनदास गांधी एम्बुलेंस शाखा (Ambulance Corps) में शामिल हुए। जहां उन्होंने 1100 भारतीय स्वयंसेवकों के साथ मिलकर बोअर्स के खिलाफ ब्रिटिश लड़ाकू सैनिकों की सहायता की थी। जिसके लिए गांधी जी और 37 अन्य भारतीयों को The Queen’s South Africa Medal से नवाजा गया था।
- 11 सितंबर 1906 को, पहली बार, उन्होंने ट्रांसवाल सरकार के खिलाफ सत्याग्रह (एक अहिंसक विरोध) अपनाया, जिसमें नए कानून के आधार पर भारतीय और चीनी लोगों को अपनी कॉलोनियों का पंजीकरण करवाना आवश्यक था, अन्यथा उन्हें वहां रहने की अनुमति नहीं थी। इसलिए गांधी जी ने ट्रांसवाल सरकार के खिलाफ सत्याग्रह किया।
- रूसी शांतिवादी लियो टॉल्स्टॉय द्वारा तारकनाथ दास को लिखे गए, एक पत्र से प्रेरित होकर महात्मा गांधी ने सत्याग्रह की विचारधारा को अपनाया और 1915 में भारत पर इस विचारधारा को लागू किया।
- वर्ष 1909 में, 13 से 22 नवंबर के बीच S.S.Kildonan Castle नामक समुद्री जहाज द्वारा दक्षिण अफ्रीका से लंदन की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने गुजराती भाषा में “हिन्द स्वराज” नामक पुस्तक लिखी।
- 9 जनवरी 1915 को गांधी जी भारत लौटे और वर्ष 2003 से वह दिन (9 जनवरी 1915) भारत में प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
- भारत आने पर महात्मा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। जहां उनकी मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से हुई, जिन्होंने गांधी जी को भारतीय मुद्दों, राजनीति और भारतीय लोगों की समस्याओं से अवगत करवाया।
- अप्रैल 1917 में, चंपारण के एक स्थानीय जमींदार राज कुमार शुक्ल के आग्रह पर गांधी जी ने चंपारण का दौरा किया। जहां उन्होंने नील की खेती कर रहे किसानों के साथ हो रहे उत्पीड़न को करीब से देखा। महात्मा गांधी ने चंपारण के किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों का पुर जोर विरोध किया, अंग्रेजों के खिलाफ गांधी जी का यह पहला विरोध था।
- वर्ष 1918 में, “खेड़ा सत्याग्रह” गुजरात के खेड़ा जिले में ब्रिटिश सरकार के द्वारा किसानों पर कर-वसूली के विरुद्ध एक सत्याग्रह हुआ। यह महात्मा गांधी की प्रेरणा के आधार पर वल्लभ भाई पटेल एवं अन्य नेताओं की अगुवाई में हुआ था। इस सत्याग्रह के फलस्वरूप गुजरात के जनजीवन में एक नया तेज और उत्साह उत्पन्न हुआ। यह सत्याग्रह यद्यपि साधारण सा था परन्तु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इसका महत्व चंपारन के सत्याग्रह से कम नहीं था।
- वर्ष 1919 में, प्रथम विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद, महात्मा गांधी ने तुर्क साम्राज्य का समर्थन किया और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई में मुसलमानों से राजनीतिक सहयोग मांगा।
- वर्ष 1920-1921 के दौरान, गांधी जी ने खिलाफत और गैर-सहकारिता आंदोलन का नेतृत्व किया।
- फरवरी 1922 में, चौरी-चौरा घटना के बाद, गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
- 10 मार्च 1922 को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें यरवदा जेल ले जाया गया, जहां उन्हें मार्च 1924 तक रखा गया।
- अपने पूरे राजनीतिक जीवन में गांधी जी ने सिर्फ एक ही बार किसी कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की। यह अधिवेशन दिसंबर 1924 को बेलगाम में हुआ था।
- 12 मार्च 1930 को, उन्होंने प्रसिद्ध दांडी मार्च आंदोलन (अहमदाबाद से दांडी तक 388 किलोमीटर) की शुरुआत की। यह आंदोलन नमक कानून तोड़ने के लिए शुरू किया गया था।
- विंस्टन चर्चिल (तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री) महात्मा गांधी जी के कट्टर आलोचक थे और उन्होंने गांधी जी को एक तानाशाह एवं एक हिन्दू मुसोलिनी की संज्ञा दी।
- 28 अक्टूबर 1934 को उन्होंने कांग्रेस पार्टी से सन्यास लेने की घोषणा की।
- वर्ष 1936 में, महात्मा गांधी ने वर्धा में सेवाग्राम आश्रम की स्थापना की।
- 8 मार्च 1942 को, बॉम्बे की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को संबोधित करते हुए, गांधी जी ने अपना प्रसिद्ध उद्धरण कहा,”भारतीयों करो या मरो”।
- 22 फरवरी 1944 को उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी की मृत्यु हो गई। कस्तूरबा गांधी का पार्थिव शरीर धागों से बुनीं एक साड़ी (जो कि गांधी जी ने स्वयं अपने हाथ से बुनी थी) से लपेटा गया था।
- वर्ष 1948 में, महात्मा गांधी ने धर्म के आधार पर भारत के विभाजन का विरोध किया।
- 30 जनवरी 1948 के दिन शाम को महात्मा गांधी जी जब बिरला हाउस (गांधी स्मृति स्थल) में प्रार्थना करने जा रहे थे, उसी समय दक्षिण पंथ के एक कट्टरवादी व्यक्ति – नाथूराम विनायक गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
- वर्ष 1994 में, जब काले दक्षिण अफ्रीकीयों को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ, तब गांधी जी को राष्ट्र नायक घोषित किया गया और तब उनके कई स्मारक बनाए गए।
- वर्ष 1937 से 1948 तक, गांधी जी का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पांच बार मनोनीत किया गया, परन्तु उन्हें यह पुरस्कार कभी नहीं मिला और जब पांचवे अवसर पर उन्हें पुरस्कार देने का फैसला किया गया, तो उस से पहले उनकी हत्या कर दी गई थी।
- वर्ष 2006 में, नॉर्वे स्थित नोबेल समिति के सचिव Geir Lundestad ने कहा, “हमारे 106-वर्ष के इतिहास में सबसे बड़ी चूक महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया जाना है।”
- वर्ष 1969 में, सोवियत संघ द्वारा महात्मा गांधी जी को सम्मान देते हुए, उनकी याद में एक टिकट जारी किया गया।
- King Martin Luther गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित थे, और उन्होंने गांधी जी के लिए कुछ शब्द कहे,”यीशु मसीह ने हमें लक्ष्य दिए और महात्मा गांधी जी ने उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के उपाय दिए।”
- नेल्सन मंडेला को गांधीवादी सिद्धांतों ने काफी प्रेरित किया था, और उन सिद्धांतों के आधार पर उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद आंदोलन कर श्वेत शासन को सफलतापूर्वक समाप्त किया। यह कहा जाता है कि “गांधी जी ने आंदोलन की शुरुआत की और मंडेला ने इसका निष्कर्ष निकाला।”
- वर्ष 1968 में, विट्ठलभाई झावेरी के द्वारा उनके जीवन के ऊपर एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म बनाई गई हैं। जिसका शीर्षक “Mahatma: Life of Gandhi, 1869–1948”
- Richard Attenborough की फिल्म “Gandhi 1982” को सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।
- सम्पूर्ण भारत उन्हें “राष्ट्र के पिता” के रूप में वर्णित करता है, लेकिन भारत सरकार द्वारा उन्हें आधिकारिक रूप से यह शीर्षक नहीं दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, 6 जुलाई 1944 को सुभाष चंद्र बोस ने एक रेडियो एड्रेस में (सिंगापुर रेडियो पर) पहली बार इस शीर्षक “राष्ट्रपिता” का इस्तेमाल किया था।
- वर्ष 1996 में, रिज़र्व बैंक के द्वारा “गांधी श्रृंखला” के अंतर्गत 10 और 500 के नोटों को जारी किया गया। इसके चलन के बाद सभी नोटों को “गांधी श्रृंखला” में परिवर्तित कर दिया गया।
- वर्ष 2006 में आई बॉलीवुड कॉमेडी फिल्म “लगे रहो मुन्ना भाई (2006)” में महात्मा गांधी जी के सिद्धांतों को प्रदर्शित किया गया।
- वर्ष 2007 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 2 अक्टूबर (गांधी के जन्मदिन) को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया।