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Munawwar Rana Biography in Hindi | मुनव्वर राना जीवन परिचय

मुनव्वर राना से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ क्या मुनव्वर राना धूम्रपान करते हैं ? हाँ  क्या मुनव्वर राना शराब पीते हैं ? हाँ उनका जन्म उत्तर प्रदेश स्थित रायबरेली में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। भारत विभाजन के बाद, उनके अधिकांश रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए थे, तब उनके पिता ही थे, जिन्होंने भारत में रहने को प्राथमिकता दी। मुनव्वर राना का बचपन कोलकाता में बीता और वहीं के स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी। विभाजन की उथलपुथल ने उनके पिता से "जमींदारी" को छीन लिया। इसके बाद उनके पिता ने जीवन निर्वाह करने के लिए परिवहन कार्य का व्यवसाय शुरू किया। कोलकाता में रहते हुए, मुनव्वर राना "नक्सलवाद" की तरफ काफी आकर्षित होने लगे थे। जिसके चलते उन्होंने नक्सलियों से मिलना शुरू कर दिया और उनमें से कुछ मुनव्वर राना के दोस्त भी बन गए थे। जब उनके पिता को "नक्सली" संबंध के बारे में पता चला, तो उन्होंने मुनव्वर राना को घर से निकाल दिया और अगले दो सालों के लिए, मुनव्वर राना बिना किसी उद्देश्य के यहां वहां भटकने लग गए। आखिर में उन्होंने कहा कि "मैंने उन दो वर्षों में बहुत कुछ सीखा जिसमें उन्होंने मानव मूल्यों और जीवन के अर्थ को समझा था। मुनव्वर राना अपनी मां से बहुत प्रेम करते हैं, और अपनी शायरीयों में "माँ" के प्रेम को प्रकट करते हैं। मुनव्वर राना जब लखनऊ गए तो वहां के स्वाद ने उन्हें इतना मोहित कर दिया कि लखनऊ उनका पसंदीदा शहर बन गया। जब मुनव्वर राना लखनऊ में थे तब उनकी मुलाकात प्रसिद्ध…

जीवन परिचय
वास्तविक नाम मुनव्वर राना
व्यवसाय कवि, लेखक
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 168
मी०- 1.68
फीट इन्च- 5’ 6”
वजन/भार (लगभग)90 कि० ग्रा०
आँखों का रंग गहरा भूरा
बालों का रंग धूसर
पुरस्कार एवं सम्मान 1993: में, रईस अमरोहवी पुरस्कार, रायबरेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1995: में, दिलकुश पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1997: में, सलीम जाफ़री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2004: में, सरस्वती समाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2005: में, ग़ालिब, उदयपुर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2006: में, कविता के कबीर सम्मान उपाधि, इंदौर से सम्मानित किया गया।
2011: में, पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी द्वारा मौलाना अब्दुल रजाक मलिहावादी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2014: में, उन्हें भारत सरकार द्वारा उर्दू साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। (उन्होंने एक लाइव टीवी शो पर 18 अक्तूबर 2015 को इस पुरस्कार को वापस लौटाया और भविष्य में किसी भी सरकारी पुरस्कार को स्वीकार न करने का वचन दिया।)
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 26 नवंबर 1952
आयु (2017 के अनुसार ) 65 वर्ष
जन्मस्थान रायबरेली, उत्तर प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
राशि धनु
गृहनगर रायबरेली, उत्तर प्रदेश, भारत
स्कूल/विद्यालय नाम ज्ञात नहीं है (कोलकाता में एक स्कूल)
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयज्ञात नहीं
शैक्षिक योग्यता ज्ञात नहीं
परिवार पिता : नाम ज्ञात नहीं
माता : आयशा खातून

भाई : ज्ञात नहीं
बहन : ज्ञात नहीं
धर्म इस्लाम
शौकपतंग उड़ाना, भारतीय शास्त्रीय संगीत को सुनना
विवाद • वर्ष 2015 में, दादरी घटना के बाद उन्होंने एक विवादास्पद नज़्म का व्यक्तव्य किया,"लगाया था, जो कि पेड़ भक्तों ने कभी, वो पेड़ फल देने लग गए, मुबारक हो हिन्दूस्तान में अफवाहों से कत्ल होने लगा," जिसके चलते मुनव्वर राना को सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि मेरे द्वारा ऐसी कोई नज़्म नहीं लिखी गई है और जिसका कोई साक्ष्य भी नहीं है।
• अक्टूबर 2015 में, उन्होंने साहित्य अकादमी पुरस्कार को वापस कर दिया और भविष्य में किसी भी सरकारी पुरस्कार को स्वीकार न करने का वचन दिया। इस विवादास्पद बयान से मीडिया और सोशल मीडिया में कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
• एक बार फिर मुनव्वर राना सुर्ख़ियों में तब आए, जब उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें मुसलमानों की स्थिति से अवगत करवाते हुए, कहा कि मोदी जी आप तो दलितों के उद्धार के लिए कार्य कर रहे हैं, आपने मुसलमानों के लिए क्या किया है। इस विवादास्पद बयान से उन्हें कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा शायर वली असी और राहत इंदौरी
पसंदीदा शहर लखनऊ
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पत्नी नाम ज्ञात नहीं
बच्चे बेटा :- तबरेज खान
बेटी :- 5

मुनव्वर राना से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • क्या मुनव्वर राना धूम्रपान करते हैं ? हाँ 
  • क्या मुनव्वर राना शराब पीते हैं ? हाँ
  • उनका जन्म उत्तर प्रदेश स्थित रायबरेली में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था।
  • भारत विभाजन के बाद, उनके अधिकांश रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए थे, तब उनके पिता ही थे, जिन्होंने भारत में रहने को प्राथमिकता दी।
  • मुनव्वर राना का बचपन कोलकाता में बीता और वहीं के स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी।
  • विभाजन की उथलपुथल ने उनके पिता से “जमींदारी” को छीन लिया। इसके बाद उनके पिता ने जीवन निर्वाह करने के लिए परिवहन कार्य का व्यवसाय शुरू किया।
  • कोलकाता में रहते हुए, मुनव्वर राना “नक्सलवाद” की तरफ काफी आकर्षित होने लगे थे। जिसके चलते उन्होंने नक्सलियों से मिलना शुरू कर दिया और उनमें से कुछ मुनव्वर राना के दोस्त भी बन गए थे। जब उनके पिता को “नक्सली” संबंध के बारे में पता चला, तो उन्होंने मुनव्वर राना को घर से निकाल दिया और अगले दो सालों के लिए, मुनव्वर राना बिना किसी उद्देश्य के यहां वहां भटकने लग गए। आखिर में उन्होंने कहा कि “मैंने उन दो वर्षों में बहुत कुछ सीखा जिसमें उन्होंने मानव मूल्यों और जीवन के अर्थ को समझा था।
  • मुनव्वर राना अपनी मां से बहुत प्रेम करते हैं, और अपनी शायरीयों में “माँ” के प्रेम को प्रकट करते हैं।
  • मुनव्वर राना जब लखनऊ गए तो वहां के स्वाद ने उन्हें इतना मोहित कर दिया कि लखनऊ उनका पसंदीदा शहर बन गया।
  • जब मुनव्वर राना लखनऊ में थे तब उनकी मुलाकात प्रसिद्ध ग़ज़ल शायर वली असी से हुई। उन्होंने वली आसी के परामर्श पर कविता सीखना शुरू किया। इसके चलते मुनव्वर राना ने अपने कविता कौशल का श्रेय वली असी को दिया।
  • मुनव्वर ने पहली बार दिल्ली में एक “मुशायरे” में अपनी नज़्मों को गाया।
  • वर्ष 2015 में, उन्हें साम्प्रदायिक सौहार्द के चलते साहित्य अकादमी पुरस्कार को वापस करने के लिए कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

  • वह हिंदी और अवधी भाषा के शब्दों के प्रयोग से अपने नज़्मों में संवेदनशील मुद्दों को चित्रित करने के लिए जाने जाते हैं।
  • मुनव्वर राना की कविताओं की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह है कि वह अपने नज़्मों में “माँ” का सम्मान करते हैं। जिसकी एक झलक इस प्रकार है :

“मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना”
“किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई”
“ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया”
“इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है”
“अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है”

  • यहां मुनव्वर राना और उनके काव्य जीवन की एक झलक प्रस्तुत है :

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