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Padmavati Biography in Hindi | पद्मिनी उर्फ पद्मावती जीवन परिचय

पद्मावती से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ रानी पद्मिनी को पद्मावती के नाम से भी जाना जाता है और उन्हें 13 वीं -14 वीं सदी की महान भारतीय रानी माना जाता है। रानी पद्मावती के जीवन का उल्लेख करने वाला सबसे पहला स्रोत 16 वीं शताब्दी के सूफी-कवि मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित "पद्मावत" नामक एक महाकाव्य है। यह महाकाव्य 1540 ई . वीं में अवधी भाषा में लिखा गया।  महाकाव्य "पद्मावत" के अनुसार, रानी पद्मावती का जन्म सिंहल साम्राज्य के राजा गंधर्व सेन के घर हुआ था। गंधर्व सेन (रानी पद्मावती के पिता) उनके प्रति काफी सुरक्षात्मक थे, जिसके चलते उन्हें पद्मावती का किसी और से बात करना पसंद नहीं था। जिसके कारण रानी पद्मावती का लगाव एक तोते (हीरामणी) से हो गया था। जब उनके पिता को तोता (हीरमणी) व पद्मावती के घनिष्ठ संबंधों के बारे में पता चला तो, उनके पिता ने तोते को मारने का आदेश दे दिया। हालांकि, वह तोता अपनी जान बचाकर वहाँ से उड़ गया। उसी दौरान, एक शिकारी ने तोते को पकड़ लिया और उसे एक ब्राह्मण को बेच दिया। उस ब्राह्मण ने वह तोता चितौड़ के राजा रतन सिंह को बेच दिया। क्योंकि राजा रतन सिंह उस तोते के क्रियाकलापों से काफी प्रभावित थे। तोते (हीरामणी) ने राजा रतन सिंह के समक्ष रानी पद्मावती की सुंदरता की प्रशंसा करते हुए, राजा रतन सिंह को रानी पद्मावती के प्रति ललायित किया। जिसके कारण राजा रतन सिंह ने रानी पद्मावती से विवाह करने का निश्चय किया और अपने सोलह हजार सैनिकों के साथ सात…

जीवन परिचय
वास्तविक नाम पद्मिनी उर्फ पद्मावती
उपनाम रानी
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 13 वीं -14 वीं सदी के मध्य (पद्मावत के अनुसार मलिक मोहम्मद जायसी)
जन्म स्थानसिंहल साम्राज्य (श्रीलंका का एक द्वीप)
मृत्यु तिथि14 वीं शताब्दी (1303) के प्रारम्भ में (पद्मावत के अनुसार मलिक मोहम्मद जायसी)
मृत्यु स्थानचित्तौड़ (राजस्थान में आधुनिक चित्तौड़गढ़)
आयु (मृत्यु के समय) ज्ञात नहीं
मृत्यु कारणजौहर (आत्म-दाह)
साम्राज्य / गृहनगर सिंहल साम्राज्य, चित्तौड़
परिवार पिता : राजा गंधर्व सेन (सिंहल द्वीप के राजा)
माता : रानी चंपावती
भाई : ज्ञात नहीं
बहन : ज्ञात नहीं
धर्म हिन्दू
जातिक्षत्रिय (राजपूत)
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति विवाहित
बॉयफ्रेंडस / मामलेरतन सेन उर्फ़ रावल रतन सिंह
पतिरतन सेन उर्फ़ रावल रतन सिंह
बच्चे ज्ञात नहीं

पद्मावती से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • रानी पद्मिनी को पद्मावती के नाम से भी जाना जाता है और उन्हें 13 वीं -14 वीं सदी की महान भारतीय रानी माना जाता है।
  • रानी पद्मावती के जीवन का उल्लेख करने वाला सबसे पहला स्रोत 16 वीं शताब्दी के सूफी-कवि मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित “पद्मावत” नामक एक महाकाव्य है। यह महाकाव्य 1540 ई . वीं में अवधी भाषा में लिखा गया। 
  • महाकाव्य “पद्मावत” के अनुसार, रानी पद्मावती का जन्म सिंहल साम्राज्य के राजा गंधर्व सेन के घर हुआ था। गंधर्व सेन (रानी पद्मावती के पिता) उनके प्रति काफी सुरक्षात्मक थे, जिसके चलते उन्हें पद्मावती का किसी और से बात करना पसंद नहीं था। जिसके कारण रानी पद्मावती का लगाव एक तोते (हीरामणी) से हो गया था।
  • जब उनके पिता को तोता (हीरमणी) व पद्मावती के घनिष्ठ संबंधों के बारे में पता चला तो, उनके पिता ने तोते को मारने का आदेश दे दिया। हालांकि, वह तोता अपनी जान बचाकर वहाँ से उड़ गया। उसी दौरान, एक शिकारी ने तोते को पकड़ लिया और उसे एक ब्राह्मण को बेच दिया। उस ब्राह्मण ने वह तोता चितौड़ के राजा रतन सिंह को बेच दिया। क्योंकि राजा रतन सिंह उस तोते के क्रियाकलापों से काफी प्रभावित थे।
  • तोते (हीरामणी) ने राजा रतन सिंह के समक्ष रानी पद्मावती की सुंदरता की प्रशंसा करते हुए, राजा रतन सिंह को रानी पद्मावती के प्रति ललायित किया। जिसके कारण राजा रतन सिंह ने रानी पद्मावती से विवाह करने का निश्चय किया और अपने सोलह हजार सैनिकों के साथ सात समुद्र पार कर सिंहल साम्राज्य की ओर प्रस्थान किया।
  • रतन सिंह के द्वारा अपने सोलह हजार सैनिकों के साथ सिंहल साम्राज्य पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप राजा रतन सिंह को पराजय का सामना करना पड़ा और उन्हें क़ैद कर लिया गया।
  • जैसे ही रतन सेन को फांसी दी जाने वाली थी, उनके साम्राज्य के गायक (Royal Bard) ने वहां मौजूद लोगों को बताया कि रतन सेन दरअसल चितौड़ के राजा हैं। यह सुनने के बाद, गंधर्व सेन ने पद्मावती का विवाह रतन सिंह के साथ करने का निर्णय लिया और साथ-ही-साथ रतन सेन के साथ आए हुए, सोलह हजार सैनिकों का विवाह भी सिंहल साम्राज्य की सोलह हजार पद्मनियों के साथ सम्पन्न करवा दिया।
  • जल्द ही, रतन सेन को एक संदेशवाहक पक्षी के द्वारा संदेश प्राप्त हुआ, कि उनकी पहली पत्नी नागमती राजा रतन सेन के लिए वापस चितौड़ लौट रही हैं। यह संदेश प्राप्त करने के पश्चात् रतन सेन ने तुरंत चितौड़ लौटने का फैसला किया। चितौड़ के रास्ते पर, समुद्र देवता ने उन्हें दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत को जीतने के लिए अत्याधिक गर्व पैदा करने के लिए रतन सेन को दंडित करने का निर्णय किया। हालांकि, रतन सेन ने समुद्र के देवता को चितौड़ में बीती अपनी दुःख भरी व्यथा को बताया, अंत में समुद्र देवता ने उन्हें चितौड़ जाने के लिए लौटा दिया।
  • कुछ दिन बाद, रतन सेन ने अपने साम्राज्य से एक ब्राह्मण (राघव चेतन) को निर्वासित किया। वह अपनी रक्षा व सुरक्षा हेतू दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की अदालत में पहुंचा और वहां पद्मावती के सौंदर्य रूप को अलंकृत कर खिलजी को पद्मावती के प्रति आकर्षित किया।
  • अलाउद्दीन ने पद्मावती को हासिल करने की ठान लीं। और चितौड़ पर कब्जा कर लिया। जब रतन सेन ने अलाउद्दीन को पद्मावती को सौपनें से इंकार कर दिया, तो अलाउद्दीन ने छलपूर्वक रतन सेन को बंदी बना लिया और उसे दिल्ली ले गया।
  • पद्मावती ने रतन सेन के दो वफादारों “गोरा” और “बादल” को अलाउद्दीन खिलज़ी के चंगुल से राजा रतन सेन को बचाने के लिए भेजा। क्योंकि गोरा और बादल राजा रतन सेन को रानी पद्मावती की महिला साथियों से बचाया करते थे। अंत में, गोरा खिलजी के सैनिकों के साथ लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए, जबकि बादल और रतन सेन सुरक्षित रूप से चितौड़ पहुँच गए।
  • जब रतन सेन को दिल्ली में कैद किया गया था, उसी समय चितौड़ के पड़ोसी राज्य – कुंभलनेर के राजा देवपाल का भी रानी पद्मावती के प्रति आकर्षण हो गया था। जिसके चलते राजपूत राजा देवपाल ने एक दूत के द्वारा रानी पद्मावती को विवाह का प्रस्ताव भेजा।
  • चितौड़ लौटने के बाद, रतन सेन ने देवपाल से बदला लेने का फैसला लेते हुए,युद्ध करने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप इस एकल युद्ध में राजा देवपाल और राजा रतन सेन मारे गए।
  • इसी बीच, अलाउद्दीन ने फिर से पद्मवती को प्राप्त करने के लिए चित्तौड़ पर आक्रमण किया। अलाउद्दीन से हारने के बाद पद्मावती और नागमती ने रतन सेन के अंतिम संस्कार के दौरान अपना आत्म-समर्पण (सती) कर दिया। 
  • चितौड़ की अन्य महिलाओं ने भी रानी पद्मावती की भांति अपने आत्मसम्मान के लिए (जौहर) को प्रतिबद्ध किया, और अलाउद्दीन से लड़ते- लड़ते चित्तौड़ के सभी लोगों की मृत्यु हो गई, परिणामस्वरूप अलाउद्दीन को चितौड़ से सिर्फ खाली किला ही हासिल हुआ। 
  • पद्मावती की कहानी 16 वीं सदी के सूफी कवि-मलिक मुहम्मद जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य “पद्मावत” से रूपांतरित है।
  • मलिक मुहम्मद जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य “पद्मावत” के बाद, पद्मावती की कहानी का वर्णन कई लोकगाथाओं में किया गया।
  • कई वर्षों से, रानी पद्मावती का चरित्र एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व के रूप में देखा जाने लगा, जिसके चलते उनके चरित्र पर कई नाटकों, उपन्यासों, टेलीफ़िल्म्स और फिल्मों को रूपांतरित किया गया।
  • सन 1303 ई. वीं में, अलाउद्दीन द्वारा चितौड़ पर किया गया आक्रमण एक ऐतिहासिक घटना है। किन्तु पद्मनी की कहानी की कोई ऐतिहासिक बुनियाद नहीं है। यहां तक कि आधुनिक इतिहासकारों एवं इतिहासविदों ने पद्मिनी की कहानी के औचित्य को सिरे से ख़ारिज किया है।
  • भारत में रानी पद्मावती पर कई फिल्में बनाई गई। रानी पद्मावती पर सबसे पहले बनाई जाने वाली फिल्म “देबाकी बोस” के द्वारा निर्देशित मूक फिल्म थी – Kamonar Agun or Flames of Flesh (1930)
  • रानी पद्मावती पर हिंदी भाषा पर आधारित पहली फिल्म “महारानी पद्मिनी (1964)” थी।
  • वर्ष 2017 में, संजय लीला भंसाली के द्वारा “पद्मावती” शीर्षक वाली एक फिल्म बनाई गई, हालांकि बाद में, विवादों में आने पर फिल्म का शीर्षक “पद्मावती” से बदलकर “पद्मावत” रख दिया गया।
  • वर्ष 2017 में, संजय लीला भंसाली के द्वारा “पद्मावती” शीर्षक वाली एक फिल्म बनाई गई। जिसमें दीपिका पादुकोण ने प्रमुख भूमिका निभाई। 

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