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Palwankar Baloo Biography in Hindi | पालवंकर बालू जीवन परिचय

पालवंकर बालू से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ उनके परिवार का नाम उन्ही के मूल गांव पालवन से पड़ा। उनके पिता ने सेना में कार्य किया। पालवंकर बालू ने 112 वें इन्फैंट्री रेजिमेंट में एक सिपाही के रूप में काम किया, यही-नहीं उन्होंने किर्कि में एक गोला बारूद कारखाने में भी काम किया है। पुणे में पारसी (तब पूना) क्रिकेट क्लब में उन्हें पिच साफ करने का पहला काम मिला। जहां उन्होंने एक महीने में ₹3 अर्जित किए। वर्ष 1892 में, वह यूरोपियन के क्रिकेट क्लब, द पूना क्लब में गए, जहां उन्होंने प्रैक्टिस नेट और पिच बनाई। यूरोपियनों में से एक ट्रॉस ने उन्हें नेट पर गेंदबाजी करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी धीमी बाएं हाथ की गेंदबाजी ने कई लोगों को प्रभावित किया, जिसमें से कप्तान J.G. Greig विशेष रूप से प्रभावित हुए। उन्होंने नेट में बहुत गेंदबाजी की, लेकिन उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका कभी नहीं दिया गया था। क्योंकि उस समय बल्लेबाजी को उच्च वर्ग के लिए माना जाता था। बालू एक अनुसूचित जाति से संबंध रखते थे और इसी कारण उन्हें हिन्दुओं की टीम के लिए खेलने का मौका नहीं दिया गया था, हालांकि, उनके प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद, चयनकर्ताओं के लिए यह चुनना मुश्किल हो गया कि उन्हें चुनना चाहिए या नहीं। उन्होंने बॉम्बे जिमखाना के यूरोपीय लोगों के खिलाफ वर्ष 1906 और वर्ष 1907 के सभी मैचों में हिन्दुओं के पक्ष में खेला। हिन्दुओं ने क्रमश: 109 और 238 रनों से यूरोपीय लोगों को हराया था। वर्ष 1911 में, उन्होंने 18.84 के औसत से…

जीवन परिचय
वास्तविक नाम बाबाजी पालवंकर बालू
व्यवसाय क्रिकेट खिलाड़ी (गेंदबाज)
शारीरिक संरचना
लम्बाई से० मी०- 180
मी०- 1.80
फीट इन्च- 5’ 11”
वजन/भार (लगभग)75 कि० ग्रा०
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला
क्रिकेट
डेब्यू 8 फरवरी 1906 को, प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हिन्दू बनाम यूरोपियन
टीम हिन्दुओं (1905-1921), पटियाला के महाराजाओं की अखिल भारतीय टीम
गेंदबाज़ी शैली बाएं हाथ से स्पिन
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 19 मार्च 1876
जन्म स्थान धारवाड़, कर्नाटक, भारत
मृत्यु तिथि 4 जुलाई 1955
मृत्यु स्थल बॉम्बे (मुंबई), भारत
आयु (मृत्यु के समय)79 वर्ष
राशि मीन
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर पूना (पुणे), महाराष्ट्र
धर्महिन्दू
जाति अनुसूचित जाति (चमार)
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारी
वैवाहिक स्थिति विवाहित
परिवार
पत्नी नाम ज्ञात नहीं
बच्चे बेटा- वाईबी पालवंकर
बेटी- कोई नहीं
माता-पिता नाम ज्ञात नहीं
भाई-बहन भाई-
• बाबाजी पालवंकर शिवराम (क्रिकेट खिलाड़ी)
• पालवंकर गणपत (क्रिकेट खिलाड़ी)
• पालवंकर विठ्ठल (क्रिकेट खिलाड़ी)

बहन- कोई नहीं

पालवंकर बालू से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • उनके परिवार का नाम उन्ही के मूल गांव पालवन से पड़ा।
  • उनके पिता ने सेना में कार्य किया। पालवंकर बालू ने 112 वें इन्फैंट्री रेजिमेंट में एक सिपाही के रूप में काम किया, यही-नहीं उन्होंने किर्कि में एक गोला बारूद कारखाने में भी काम किया है।
  • पुणे में पारसी (तब पूना) क्रिकेट क्लब में उन्हें पिच साफ करने का पहला काम मिला। जहां उन्होंने एक महीने में ₹3 अर्जित किए।
  • वर्ष 1892 में, वह यूरोपियन के क्रिकेट क्लब, द पूना क्लब में गए, जहां उन्होंने प्रैक्टिस नेट और पिच बनाई।

    पालवंकर बालू पूना जिम टीम के साथ

  • यूरोपियनों में से एक ट्रॉस ने उन्हें नेट पर गेंदबाजी करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी धीमी बाएं हाथ की गेंदबाजी ने कई लोगों को प्रभावित किया, जिसमें से कप्तान J.G. Greig विशेष रूप से प्रभावित हुए।
  • उन्होंने नेट में बहुत गेंदबाजी की, लेकिन उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका कभी नहीं दिया गया था। क्योंकि उस समय बल्लेबाजी को उच्च वर्ग के लिए माना जाता था।
  • बालू एक अनुसूचित जाति से संबंध रखते थे और इसी कारण उन्हें हिन्दुओं की टीम के लिए खेलने का मौका नहीं दिया गया था, हालांकि, उनके प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद, चयनकर्ताओं के लिए यह चुनना मुश्किल हो गया कि उन्हें चुनना चाहिए या नहीं।

    पालवंकर बालू पटियाला महाराजा टीम के साथ

  • उन्होंने बॉम्बे जिमखाना के यूरोपीय लोगों के खिलाफ वर्ष 1906 और वर्ष 1907 के सभी मैचों में हिन्दुओं के पक्ष में खेला। हिन्दुओं ने क्रमश: 109 और 238 रनों से यूरोपीय लोगों को हराया था।
  • वर्ष 1911 में, उन्होंने 18.84 के औसत से इंग्लैंड दौरे पर 114 विकेट लिए थे।
  • उन्हें अपनी जाति के कारण बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा और टीम से बाहर भी रहना पड़ता था।
  • उनके तीन भाई भी क्रिकेटर थे, जिनमें पालवंकर विठ्ठल हिन्दू टीम के कप्तान रहे और काफी सफलता हासिल की।
  • वह अनुसूचित जाति के बी. आर. अम्बेडकर के बहुत अच्छे मित्र थे। हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारत में जाति व्यवस्था को खत्म करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
  • उसके कुछ समय बाद, वह राजनीति में शामिल हो गए और गांधीवादी विचारों के एक सशक्त समर्थक बन गए थे।
  • अक्टूबर 1933 में, उन्होंने हिन्दू महासभा टिकट पर बॉम्बे नगर पालिका का चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा।
  • वर्ष 1937 में, बालू ने बी.आर. अम्बेडकर के खिलाफ बॉम्बे विधान सभा में “अनुसूचित जाति” सीट के लिए चुनाव लड़ा, जिसमें वह 13,245 से 11,225 वोटों के अंतर से हार गए थे।
  • वर्ष 1905/06 से वर्ष 1920/21 तक, उन्होंने 15.21 के औसत से 179 विकेट लिए और वह पहले भारतीय दलित क्रिकेट खिलाड़ी भी बने।
  • वर्ष 2018 में, प्रीति सिन्हा द्वारा उनके जीवन पर एक फिल्म की घोषणा की गई, जिसे तिग्मांशु धुलीया द्वारा निर्देशित किया गया है।

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