Rajguru Biography in Hindi | राजगुरु जीवन परिचय

  राजगुरु से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ राजगुरु का जन्म पुणे के एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ। बाल्यकाल में ही उनके पिता हरि नारायण का निधन हो गया था। उसके बाद उनका पालन पोषण उनके बड़े भाई और माँ ने किया। 12 वर्ष की उम्र में, वह वाराणसी विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने के लिए गए। वह बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। राजगुरु सरदार भगत सिंह और सुखदेव के घनिष्ठ मित्र थे। वह वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े प्रसंशक थे। 16 वर्ष की आयु में, वाराणसी में विद्याध्ययन करते समय राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ, जिसमें वह चंद्रशेखर आजाद से काफी प्रभावित हुए और तुरंत उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ गए।  चंद्रशेखर आज़ाद नवयुवक राजगुरु से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें निशानेबाजी की शिक्षा देने लगे। जिसके चलते शीघ्र ही राजगुरु आज़ाद जैसे एक कुशल निशानेबाज बन गए। चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के में उन्हें "रघुनाथ" और "एम महाराष्ट्र" के नाम से भी जाना जाता था। वर्ष 1925 में, जब काकोरी कांड के बाद क्रांतिकारी पार्टी बिखरने लगी, तो पार्टी को पुनः जोड़ने के लिए क्रांतिकारी नवयुवकों को जोड़ना शुरू किया गया। इसी दौरान उनकी मुलाकात श्रीराम बलवंत सावरकर से हुई। उसके बाद पार्टी में राजगुरु की भेंट भगत सिंह और सुखदेव से हुई, जिससे भगत सिंह और सुखदेव काफी प्रभावित हुए। 19 दिसंबर 1928 को, भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर उन्होंने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जे. पी सोंडर्स की हत्या की।  8 अप्रैल…

 

जीवन परिचय
वास्तविक नाम शिवराम हरि राजगुरु
उपनाम रघुनाथ, एम महाराष्ट्र
व्यवसाय स्वतंत्रता सेनानी
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 24 अगस्त 1908
आयु (मृत्यु के समय)22 वर्ष
जन्मस्थान गाँव खेडा, जिला पुणे, बॉम्बे प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश भारत
मृत्यु तिथि23 मार्च 1931
मृत्यु स्थललाहौर, ब्रिटिश भारत, (अब पंजाब,पाकिस्तान में)
मृत्यु का कारणफांसी (सजा-ए-मौत)
राशि कन्या
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर गाँव खेडा, जिला पुणे, बॉम्बे प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश भारत
परिवार पिता - हरि नारायण
माता- पार्वती बाई

भाई- 1
बहन- कोई नहीं
धर्म हिन्दू
जातिब्राह्मण
शौक/अभिरुचिकसरत (व्यायाम) करना, घुड़सवारी करना, तलवारबाजी करना, ग्रंथ पढ़ना
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा क्रांतिकारी वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति अविवाहित
पत्नी कोई नहीं

राजगुरु से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • राजगुरु का जन्म पुणे के एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ।
  • बाल्यकाल में ही उनके पिता हरि नारायण का निधन हो गया था। उसके बाद उनका पालन पोषण उनके बड़े भाई और माँ ने किया।
  • 12 वर्ष की उम्र में, वह वाराणसी विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने के लिए गए।
  • वह बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे।
  • राजगुरु सरदार भगत सिंह और सुखदेव के घनिष्ठ मित्र थे।
  • वह वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े प्रसंशक थे।
  • 16 वर्ष की आयु में, वाराणसी में विद्याध्ययन करते समय राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ, जिसमें वह चंद्रशेखर आजाद से काफी प्रभावित हुए और तुरंत उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ गए। 
  • चंद्रशेखर आज़ाद नवयुवक राजगुरु से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें निशानेबाजी की शिक्षा देने लगे। जिसके चलते शीघ्र ही राजगुरु आज़ाद जैसे एक कुशल निशानेबाज बन गए।
  • चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के में उन्हें “रघुनाथ” और “एम महाराष्ट्र” के नाम से भी जाना जाता था।
  • वर्ष 1925 में, जब काकोरी कांड के बाद क्रांतिकारी पार्टी बिखरने लगी, तो पार्टी को पुनः जोड़ने के लिए क्रांतिकारी नवयुवकों को जोड़ना शुरू किया गया। इसी दौरान उनकी मुलाकात श्रीराम बलवंत सावरकर से हुई।
  • उसके बाद पार्टी में राजगुरु की भेंट भगत सिंह और सुखदेव से हुई, जिससे भगत सिंह और सुखदेव काफी प्रभावित हुए।
  • 19 दिसंबर 1928 को, भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर उन्होंने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जे. पी सोंडर्स की हत्या की। 
  • 8 अप्रैल 1929 को, राजगुरु, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा दिल्ली सेंट्रल असेम्बली में बम फैंकने के कारण सभी क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया गया।
  • सांडर्स हत्याकाण्ड अपराध में राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।
  • 23 मार्च 1931 को, शाम सात बजे लाहौर की केंद्रीय कारागार में भगत सिंह और सुखदेव के साथ राजगुरु को फ़ाँसी दे दी गई।
  • स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु की याद में निर्देशक विनोद कामले ने 22 अक्टूबर 2010 को “क्रांतिकारी राजगुरु” फिल्म बनाई। 
  • राजगुरु की शहीदी को शत-शत नमन करते हुए, खेड़ा ग्रामवासियों ने उनके नाम पर गांव का नाम ‘राजगुरु नगर’ रख दिया।

  • 22 मार्च 2013 को, भारत सरकार द्वारा राजगुरु की पुण्यतिथि पर एक स्मरणीय डाक टिकट जारी की गई। 

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