Uyyalawada Narasimha Reddy Biography in Hindi | उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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वास्तविक नाम | उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी |
व्यवसाय | स्थानीय शासक, स्वतंत्रता सेनानी |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 1805 |
जन्मस्थान | उय्यालवाड़ा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश, भारत |
मृत्यु तिथि | 22 फ़रवरी 1847 |
मृत्यु स्थल | जिला कुरनूल, कोइलकुंटला, आंध्र प्रदेश |
मृत्यु का कारण | फांसी |
आयु (मृत्यु के समय) | 42 वर्ष |
गृहनगर/राज्य | उय्यालवाड़ा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश, भारत |
शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
परिवार | दादा- जयारामी रेड्डी पिता- उय्यलावडा पेडडामल्ला रेड्डी माता- नाम ज्ञात नहीं भाई- 2 (नाम ज्ञात नहीं) |
शौक/अभिरुचि | घुड़सवारी, तलवारबाजी, तैरना |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | सिद्दम्मा, पेरम्मा, ओबुलम्मा |
बच्चे | बेटा- डोरा सुब्बैयह, 2 अन्य (नाम ज्ञात नहीं) बेटी- 1 (नाम ज्ञात नहीं) |
उय्यलावडा नरसिम्हा रेड्डी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- नरसिम्हा रेड्डी का जन्म उय्यालवाड़ा, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश, में एक सैन्य परिवार में हुआ था।
- नरसिम्हा रेड्डी मिलिटरी में गवर्नर थे, कदपा, अनंतपुर, बेल्लारी और कुरनूल जैसे 66 गांवों की कमान उनके हाथ में रहती थी, और वह 2000 की सेना को नियंत्रित किया करते थे।
- रायलसीमा के क्षेत्र पर ब्रिटिशों के अधिकार करने के बाद, नरसिम्हा रेड्डी ने अंग्रेजों के साथ इस क्षेत्र की आय को साझा करने से इनकार कर दिया था।
- नरसिम्हा रेड्डी एक सशस्त्र विद्रोह के पक्ष में थे, वह युद्ध में गोरिल्ला रणनीति का इस्तेमाल किया करते थे।
- 10 जून 1846 को उन्होंने कोइलकुंटला में खजाने पर हमला किया और कंबम (जिला प्रकाशम्) की तरफ प्रस्थान किया।
- उन्होंने वन रेंजर रूद्राराम को मारकर विद्रोह किया। जिला कलेक्टर ने विद्रोह को बड़ी गंभीरता से लिया और कैप्टन नॉट और वाटसन को नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने का आदेश दिया। वह अपने प्रयास में असफल रहे तथा ब्रिटिश सरकार ने नरसिम्हा रेड्डी की सूचना देने वाले को ₹5000 और उसके सिर के लिए ₹10000 देने की घोषणा की, जो उन दिनों में एक बड़ी रकम थी।
- 23 जुलाई 1846 को उन्होंने अपनी सेना के साथ गिद्दलूर(Giddalur) में ब्रिटिश सेना के ऊपर आक्रमण कर दिया और उन्हें हरा दिया। नरसिम्हा रेड्डी को पकड़ने के लिए ब्रिटिश सेना ने उनके परिवार को कदपा में बन्दी बना लिया।
- अपने परिवार को मुक्त करने के प्रयास में वह नल्लामला वन चले गए। जब अंग्रेजों को पता लगा की वह नल्लामला वन में छिपे हैं तब अंग्रेजों ने अपनी गतिविधियों को और ज्यादा मजबूत कर दिया, जिसके बाद नरसिम्हा रेड्डी कोइलकुंतला क्षेत्र में वापस आ गए और गांव रामबाधुनीपल्ले के पास जगन्नाथ कोंडा में मौके का इंतजार करने लगे।
- ब्रिटिश अधिकारियों को उनके कोइलकुंतला के ठिकाने की जानकारी मिली जिसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने वह क्षेत्र रातों-रात घेर लिया। 6 अक्टूबर 1846 को आधी रात के समय उन्हें बन्दी बना लिया गया।
- कोइलकुंतला में उनके पकड़े जाने के बाद उन्हें बुरी तरह से पीटा गया, उनको मोटी-मोटी जंजीरों से बांधा गया था, और कोइलकुंतला की सड़कों पर खून से सने हुए कपड़े में ले जाया गया ताकि किसी अन्य व्यक्ति को ब्रिटिश के खिलाफ विद्रोह करने की हिम्मत ना हो सके।
- नरसिम्हा रेड्डी के साथ यह विद्रोह करने लिए 901 लोगों पर आरोप लगाया गया था। बाद में उनमें से 412 लोगों को बरी कर दिया गया और 273 लोगों को जमानत पर रिहा किया गया, और 112 लोगों को दोषी ठहराया गया था। उन्हें 5 से 14 साल के लिए कारावास की सजा सुनाई गई थी। कुछ को तो अंडमान द्वीप समूह की एक जेल में भेजा दिया गया।
- नरसिम्हा रेड्डी पर हत्या और राजद्रोह करने का आरोप लगाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।
- छह सप्ताह बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से जुर्रेती बैंक, कोइलकुंटला, जिला कुरनूल में सुबह 7 बजे, सोमवार, 22 फरवरी 1847 को फांसी दी गई।
- उनकी फांसी को देखने के लिए करीब दो हजार लोग उपस्थित हुए थे।
- उनके द्वारा बनाए गए किले आज भी उय्यलावडा, रूपनगुड़ी, वेल्ड्रथी, और गिद्दलुर जैसे स्थानों पर मौजूद हैं।
- प्रथम स्वतंत्रता सेनानी उय्यालवाड़ा नरसिम्हा रेड्डी की 170 वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए 22 फरवरी, 2017 को उय्यालवाड़ा में एक विशेष आवरण जारी किया गया था।
- वर्ष 2019 की तेलुगू फिल्म ‘सई रा नरसिम्हा रेड्डी’ स्वतंत्रता सेनानी उय्यालवाड़ा नरसिम्हा रेड्डी के जीवन शैली पर आधारित है। इस फिल्म में चिरंजीवी, अमिताभ बच्चन, नयनतारा, कीचा सुदीप, विजय सेतुपति, और जगतपति बाबू की महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं।