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Surendranath Banerjee Biography in Hindi | सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी जीवन परिचय

सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी

जीवन परिचय
वास्तविक नाम सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी
उपनाम राष्ट्रगुरू, इंडियन ग्लेडस्टोन, इंडियन एडमंड बर्क
व्यवसाय शिक्षाविद, राजनेता
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 10 नवम्बर 1848
आयु (मृत्यु के समय)76 वर्ष
जन्मस्थान कोलकाता, बंगाल प्रेसिडेन्सी
मृत्यु तिथि6 अगस्त 1925
मृत्यु स्थलबैरकपुर, बंगाल प्रेसिडेन्सी
मृत्यु का कारणज्ञात नहीं
राशि वृश्चिक
राष्ट्रीयता भारतीय
हस्ताक्षर सुरेंद्रनाथ बैनर्जी हस्ताक्षर
गृहनगर कोलकाता, बंगाल प्रेसिडेन्सी
स्कूल/विद्यालय ज्ञात नहीं
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयहिन्दू कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय
शैक्षिक योग्यता बैरिस्टर (Barrister-at-law)
परिवार पिता - डॉ॰ दुर्गा चरण बैनर्जी
माता- नाम ज्ञात नहीं
भाई- ज्ञात नहीं
बहन- ज्ञात नहीं
धर्म हिन्दू
जाति ब्राह्मण
शौक/अभिरुचिपुस्तकें पढ़ना, लिखना
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति अविवाहित
पत्नी कोई नहीं

सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी

सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी का जन्म कोलकाता के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
  • वह अपने पिता की उदारवादी प्रगतिशील नीतियों से काफी प्रभावित थे।
  • वर्ष 1868 में, कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद वह अपने दो मित्रों रोमेश चन्द्र दत्त और बिहारी लाल गुप्ता के साथ भारतीय लोक सेवा आयोग की परीक्षा सम्पूर्ण करने के लिए इंग्लैंड गए थे।
  • वर्ष 1869 में, बैनर्जी की सही उम्र नहीं होने के कारण उन्हें परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था।
  • वर्ष 1871 में, अदालत द्वारा उन्हें पुनः परीक्षा में बैठने की मंजूरी मिली। जिसके चलते उन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए, सिलहट में सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य करना आरम्भ किया।
  • हालांकि, जल्द ही उन्हें नस्लीय भेदभाव के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, इस फैसले के विरोध में वह इंग्लैंड गए, लेकिन वहां उन्हें असफलता प्राप्त हुई।
  • वर्ष 1874-1875 के दौरान, उन्होंने इंग्लैंड में एडमंड बर्क और अन्य दार्शनिकों के कार्यों का अध्ययन किया। एडमंड बर्क
  • जून 1875 में भारत लौटने के बाद, वह मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन, फ्री चर्च इंस्टीट्यूशन और रिपन कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर बने,  जिसकी स्थापना वर्ष 1882 में उनके द्वारा की गई थी।
  • 26 जुलाई 1876 को उन्होंने आनन्दमोहन बोस के साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय समिति की स्थापना की। उन्होंने इस समिति का उपयोग भारतीय संघ लोक सेवा परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों की आयु सीमा के मुद्दे से निपटने के लिए किया था।
  • वर्ष 1879 में, उन्होंने “द बंगाली” समाचार पत्र को शुरू किया।
  • वर्ष 1885 में मुंबई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद उन्होंने आम जनता के उद्देश्यों के कारण अपने संगठन का विलय कर दिया।
  • वर्ष 1895 में वह पुणे और वर्ष 1902 में अहमदाबाद में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुने गए।
  • सुरेन्द्रनाथ भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के सबसे लोकप्रिय नेताओ में से एक थे, जिन्होंने वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन का बचाव किया था।
  • वह स्वदेशी आंदोलन में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, क्योंकि वह विदेशी उत्पादों के खिलाफ भारत में निर्मित माल की वकालत करते थे।
  • वर्ष 1909 में, उन्होंने मॉर्ले-मिन्टो सुधार अधिनियम का समर्थन किया। जिसके चलते उन्हें भारतीय जनता और राष्ट्रवादी राजनेताओं के द्वारा कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
  • बंगाल सरकार में एक मंत्री के रूप में उन्हें अधिकांश जनता और राजनेताओं के क्रोध का सामना करना पड़ा। जिसके परिणामस्वरूप स्वराज पार्टी के उम्मीदवार विधान चंद्र राय के विरुद्ध बंगाल विधानसभा का चुनाव हार गए।
  • 6 अगस्त 1925 को, सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी का बैरकपुर, बंगाल प्रेसिडेन्सी में निधन हो गया।
  • ब्रिटिश सरकार द्वारा सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी को ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। जिसके चलते उन्हें “सर सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी” पुकारा जाने लगा।
  • 28 दिसंबर 1983 को, भारत सरकार द्वारा सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी के सम्मान के रूप में एक स्मरणीय डाक टिकट जारी किया गया। सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी डाक टिकट

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