Deepak Punia Biography in Hindi | दीपक पुनिया जीनव परिचय
जीवन परिचय | |
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अन्य नाम | बजरंग पूनिया |
व्यवसाय | भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान |
जाने जाते हैं। | 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों के 86 किग्रा वर्ग की कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीतने के लिए |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 177 मी०- 1.77 फीट इन्च- 5’ 8” |
भार/वजन [1]Zee News | 86 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
कुश्ती | |
मौजूदा टीम | इंडिया |
इंटरनेशनल डेब्यू | 2016 त्बिलिसी, जॉर्जिया में कैडेट विश्व चैंपियनशिप |
कोच | • वीरेंद्र कुमार • सतपाल सिंह |
पदक | स्वर्ण पदक • 2016 कैडेट विश्व चैम्पियनशिप (त्बिलिसी) में 85 किग्रा वर्ग कैटेगरी में • 2018 एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप (नई दिल्ली) में 86 किग्रा वर्ग कैटेगरी में • 2019 जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप (तालिन) 86 वर्ग कैटेगरी में स्वर्ण पदक • 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की फ्रीस्टाइल 86 किग्रा वर्ग कैटेगरी में रजत पदक • 2018 जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप (ट्रनावा) में 86 किग्रा वर्ग कैटेगरी में • 2019 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप (नूर-सुल्तान) 86 किग्रा वर्ग कैटेगरी में • 2019 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप (शीआन) 86 किग्रा वर्ग कैटेगरी में कांस्य पदक • 2020 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप (नई दिल्ली) 86 किग्रा वर्ग कैटेगरी में • 2021 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप (अल्माटी) 86 किग्रा वर्ग कैटेगरी में |
पुरस्कार/उपलब्धियां | वर्ष 2021 में दीपक पुनिया को भारत सरकार द्वारा "पद्मा श्री" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 19 मई 1999 (बुधवार) |
आयु (2022 के अनुसार) | 23 वर्ष |
जन्मस्थान | छारा, झज्जर, हरियाणा, भारत |
राशि | वृषभ (Taurus) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | छारा, झज्जर, हरियाणा |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
परिवार | |
पत्नी | लागू नहीं |
माता/पिता | पिता- सुभाष पुनिया (दूधिया) माता- कृष्णा पूनिया |
बहन/भाई | बहन- नीरू ढांडा (भारत निशानेबाजी टीम) |
दीपक पुनिया से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
- दीपक पुनिया एक भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं जिन्हें 2019 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने के लिए जाना जाता है।
- दीपक के दादा और पिता पेशेवर पहलवान थे जो स्थानीय टूर्नामेंट (दंगल) में भाग लिया करते थे। दीपक को कुश्ती के खेल से तब परिचित कराया गया था जब वह चार साल के थे। उन्होंने कुछ पैसे कमाने के लिए स्थानीय अखाड़ों में कुश्ती शुरू की और बाद में वह उचित प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए छत्रसाल स्टेडियम चले गए।
- वर्ष 2015 में दीपक अपने कोच वीरेंद्र कुमार और सतपाल सिंह के मार्गदर्शन में अपना पेशेवर प्रशिक्षण शुरू करने के लिए छत्रसाल स्टेडियम गए। जहाँ वह दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार की देखरेख में अभ्यास कर रहे थे।
- दीपक के प्रयासों और कड़ी मेहनत का भुगतान तब हुआ जब उन्होंने जॉर्जिया के त्बिलिसी में हुई 2016 कैडेट विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। दीपक ने 2018 में एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया और 86 किलोग्राम वर्ग कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीता। वह धीरे-धीरे 2018 में जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप की ओर बढ़े और देश के लिए रजत पदक जीता। हालांकि उनका सपना देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना था।
- वर्ष 2019 में दीपक ने फिर से जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लिया और 86 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक के साथ विजयी हुए। जूनियर लेवल चैंपियनशिप से हटकर दीपक ने वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। यह जीत उनके लिए 2020 टोक्यो ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में जाने के लिए मार्गदर्शक बना।
- दीपक पुनिया कंधे और टखने की चोट से जूझते हुए 2019 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। 86 किग्रा भार वर्ग के फाइनल राउंड में उनका सामना ईरानी पहलवान हसन याजदानी से होना था।
- टोक्यो ओलंपिक के लिए चुने जाने के बाद दीपक ने कजाकिस्तान के अल्माटी में हुई 2021 एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। इसके बाद दीपक पोलैंड ओपन चैंपियनशिप में गए; हालांकि हाथ में चोट लगने के बाद वह चैंपियनशिप से हट गए। क्वार्टर फाइनल में उनका सामना अमेरिकी पहलवान जाहिद वालेंसिया से होना था, लेकिन टोक्यो ओलंपिक खेलों को ध्यान में रखते हुए दीपक ने किसी भी चोट से बचने के लिए मैच से पीछे हटने का फैसला किया।
- दीपक पुनिया अठारह वर्षों में जूनियर विश्व चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले पहलवान थे। उनके प्रदर्शन के कारण उन्हें फोर्ब्स की ’30 अंडर 30′ की सूची में शामिल किया गया था।
#DeepakPunia, the 21-year-old wrestler, became the first Indian in 18 years to win a Junior World Championship. Watch out for him at the Tokyo Olympics later this year! #ForbesIndia30U30
Check out the full list here: https://t.co/OcRKzXXdSl @India_AllSports@FederationWrest pic.twitter.com/gKdKwGzD1P
— Forbes India (@ForbesIndia) February 9, 2020
- वर्ष 2019 में दीपक पुनिया को यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा जूनियर फ्रीस्टाइल रेसलर ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा गया। [2]UWW
- वर्ष 2021 में दीपक पुनिया और रवि कुमार दहिया रूस में टोक्यो ओलंपिक के लिए प्रशिक्षण ले रहे थे। जब वह रूस पहुंचे, तो उन्हें आंशिक रूप से कोविशील्ड का टीका लगाया गया। मॉस्को में भारतीय दूतावास ने फैसला किया कि वह दीपक और रवि दोनों को दूसरी खुराक मुहैया कराएंगे, लेकिन पोलैंड की सख्त टीकाकरण नीति के कारण ऐसा नहीं हो पाया। [3]The Times of India
- दीपक ने बड़े होने के दौरान 2016 के ओलंपिक चैंपियन और दो बार के विश्व चैंपियन हसन यज़्दानी को पस्त कर दिया। दीपक का सामना एशियाई चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक की लड़ाई में यज़्दानी से हुआ जहाँ दीपक का बचाव टूट गया और तकनीकी श्रेष्ठता के कारण याज़दानी ने मैच जीत लिया। पीटीआई से बातचीत में दीपक के कोच वीरेंद्र ने कहा-
जब आपको उस पहलवान से लड़ना होता है, जिसे आप बड़े होने के लिए आदर्श मानते हैं, तो झुंझलाहट होना स्वाभाविक है। लेकिन यह हिचकिचाहट बीते दिनों की बात हो गई है। उन्होंने मेरे साथ उस एशियाई फाइनल मुकाबले पर चर्चा की और पहले से ही एक योजना है।”
- एक साक्षात्कार के दौरान वीरेंद्र ने दीपक के खेल के प्रति समर्पण के बारे में बात की, कि कैसे उन्होंने वर्षों से अपना अनुशासन बनाए रखा है, और कैसे वह बच्चों से भी सीखने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा,
अगर मैं प्रशिक्षुओं से कहूं कि उनके पास टास्क में 600 दंड-बैठक (पुश-अप्स प्लस डीप नी बेंड्स) हैं, तो दीपक न केवल उसे पूरा करेंगे, वह कुछ अतिरिक्त करेंगे। मैंने उसे बच्चों से भी मूव्स सीखते हुए देखा है।”
- दीपक के पिता उन्हें दूध और फल पहुंचाने के लिए रोजाना सुबह 60 किमी झज्जर से उनके प्रशिक्षण केंद्र तक जाते थे। उनके गांव में दीपक को केतली पहलवान के नाम से जाना जाता था। इस नाम के पीछे की कहानी यह है कि एक बार गांव के मुखिया ने उन्हें केतली में दूध पिलाया जिसे उन्होंने एक घूंट में पिया। जिसके बाद से उन्हें केतली पहलवान के नाम पुकारने लगे।
- वर्ष 2018 में दीपक को भारतीय सेना में नायक सूबेदार की नौकरी मिल गई। इसके साथ ही वह अपने कुश्ती मैचों से भी लगातार कमाई कर रहे थे।
- दीपक ने 2018 में एक एसयूवी कार भी खरीदी और उन्होंने अपने पिता से दूध बेचना बंद करने को कहा क्योंकि वह अपने परिवार के लिए पर्याप्त कमाई कर ले रहे थे।
- कुश्ती के शुरुआती दिनों में दीपक पुनिया को हरियाणा सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिल पा रही थी। उनके अनुसार उन्हें कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीत के लिए कोई नकद पुरस्कार नहीं दिया गया था। दीपक का समर्थन करते हुए भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया ने इस मामले को ट्विटर पर ले लिया और अपने खाते से एक ट्वीट पोस्ट किया और बताया कि सरकार द्वारा वरिष्ठों के लिए पुरस्कार राशि कैसे काटी जा रही है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जूनियर पहलवानों को भी कठिन प्रशिक्षण और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार से समर्थन की आवश्यकता है।
सीनियर खिलाड़ियों को तो फिर भी पुरस्कार रकम काट के दी गइ, जूनियर खलाडिय़ों को क्या सीनियर बन्ने तक प्रतिक्षा करनी पडेगी प्रत्साहन के लिय ? मेडल का रंग भी वही है और देस का नाम भी वही है, फिर ऐसा भेदभाव क्यूँ? कैडेट और जूनियर खिलाडिय़ों के लिए भी कुछ सोचे साहब। @anilvijminister https://t.co/SEs68tcZlA
— Bajrang Punia 🇮🇳 (@BajrangPunia) August 15, 2019