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Anand Dighe Biography in Hindi | आनंद दिघे जीवन परिचय

Anand Dighe

जीवन परिचय
पूरा नामआनंद चिंतामणि दिघे [1]India.com
उपनामधर्मवीर और दीघे साहेब
व्यवसाय राजनेता
जाने जाते हैंशिवसेना के वरिष्ठ नेता और ठाणे जिला इकाई के प्रमुख के नाते
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 172
मी०- 1.72
फीट इन्च- 5’ 8”
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला
राजनीति
राजनीतिक पार्टी शिवसेना पार्टी
Shiv Sena logo
राजनीतिक यात्रा वर्ष 1984 में वह शिवसेना पार्टी की तरफ से ठाणे जिले का जिला पंचायत सदस्य बने थे।

नोट: वह शिवसेना के मुखिया बाल ठाकरे की तरह ही कभी चुनाव में खड़े नहीं होते थे।
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि स्रोत 1: 27 जनवरी 1952 (रविवार) [2]Navbharat Times
स्रोत 2: 27 जनवरी 1951 (शनिवार)
जन्मस्थान टेंभी नाका, ठाणे, बॉम्बे, भारत
मृत्यु तिथि26 अगस्त 2001 (रविवार) [3]ABP News
आयु (मृत्यु के समय)स्रोत 1 के अनुसार: 49 वर्ष [4]Navbharat Times
स्रोत 2 के अनुसार: 50 वर्ष
मृत्यु कारणदिल का दौरा [5]ABP News
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर ठाणे, महाराष्ट्र
राशिकुंभ (Aquarius)
शैक्षिक योग्यता ज्ञात नहीं
धर्म हिन्दू
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां

वैवाहिक स्थिति अविवाहित
परिवार
पत्नी ज्ञात नहीं
बच्चे ज्ञात नहीं
माता-पिता पिता- चिंतामणि दिघे
माता- नाम ज्ञात नहीं
भाई/बहन बहन- अरुणा दीघे
Anand Dighe's sister
धन संपत्ति संबंधित विवरण
कार संग्रहमहिंद्रा आर्मडा कार

Anand Dighe

आनंद दिघे से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां

  • आनंद दिघे एक भारतीय राजनेता हैं। जो महाराष्ट्र की शिवसेना पार्टी के वरिष्ठ नेता के तैर पर जाने जाते हैं।
  • दिघे लगभग 18 साल की उम्र में ही राजनीती में कदम रखा था।
  • आनंद दिघे पानी पीने के लिए ज्यादातर स्टील के घड़े का उपयोग करते थे। Dighe drinking water in a steel pitcher
  • हिंदुत्व और मराठी अस्मिता को लेकर आगे बढ़ने वाले दिघे 70 के दशक में शिवसेना पार्टी के कार्यकर्त्ता के रूप में काम करना शुरू किया था। जिसके बाद बाल साहेब ठाकरे ने उन्हें ठाणे जिला का प्रभारी नियुक्त किया। ठाणे जिला की जिम्मेदारी सँभालने के बाद आनंद दिघे लोगों की समस्या सुनने के लिए एक दरबार लगाया करते थे। जहां समस्याओं का तत्काल निवारण किया जाता था। अपने इस छवि के लिए वह गरीबों और कमजोर लोगों के मसीहा माने जाते थे।Anand Dighe with Bal Thackeray
  • आनंद दिघे लोगो के हितों में एक आश्रम की शुरुआत की थी जिसका नाम उन्होंने अपने नाम “आनंद आश्रम” के नाम पर रखा था। आनंद आश्रम के तहत गरीब और बेसहारा लोगों की मदद की जाती थी। Anand Dighe in his ashram
  • उन्हें कैरमबोर्ड खेलना बहुत पसंद था और वह अपने खाली समय में अपने सहपाठियों के साथ कैरमबोर्ड खेला करते थे। Dighe playing carrom board with friends
  • उन्हें कई समारोहों के दौरान अन्ना हजारे के साथ भी देखा जा चुका है। Anand Dighe with Anna Hazare
  • आनंद दिघे शिव सेना पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता थे। उन्हें ठाणे जिला का छोटा बाल साहेब कहा जाता था। Anand Dighe in his Shiv Sena office
  • आनंद दिघे भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे और वह नियमित रूप से उनकी पूजा-पाठ किया करते थे। Dighe worshiping Lord Shiva
  • बाल ठाकरे की तरह ही दिघे कभी चुनाव के लिए खड़े नहीं हुए।
  • वह कई बार भक्ति साधना के लिए सूनसान जगहों का चुनाव करते थे। Anand Dighe reciting the mantra
  • आनंद दिघे ज्यादातर अपना समय दिंदुत्व की लड़ाई और समाज सेवा में व्यतीत किया था।
  • शिवसेना पार्टी में रहते हुए दिघे के ऊपर शिवसेना के सदस्य श्रीधर खोपकर की हत्या का आरोप लगा था। जिसके बाद दिघे ने शिवसेना पार्टी से दूरियां बना ली थी और उन्होंने अपनी नाराजगी उजागर करने के लिए वर्ष 1989 में कांग्रेस पार्टी को वोट दिया था। दिघे ने उस समय कहा था कि गद्दारों के लिए कोई माफी नहीं है। उनके बयानबाजी के कुछ दिनों बाद शिवसेना पार्षद श्रीधर खोपकर की हत्या कर दी गई थी। आनंद दिघे को टाडा के तहत एक बार गिरफ्तार किया गया था। दिघे जब श्रीधर खोपकर की हत्या के मामले में जेल से जमानत पर वापस लौटे तो शिवसैनिकों ने कहा की उन्होंने जो भी किया वह शिवसेना की धर्म की लड़ाई के लिए किया इसलिए उनके अनुयायियों ने उनको धर्मवीर की उपाधि दी और लोगों में आनंद दिघे “धर्मवीर” के नाम से चर्चित हो गये। लेकिन कुछ शिवसेना के लोगों ने दिघे के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाया, लेकिन दिघे ने कहा कि हम जो भी करते थे वह बालासाहेब ठाकरे की सहमति से करते थे।
  • गणपति महोत्सव से वापस आ रहे आनंद दिघे का वंदना एसटी बस डिपो के पास कार एक्सिडेंट हो गया। जिसके बाद वह बुरी तरह से घायल हो गए थे। घायल अवस्था में उन्हें नजदीकी अस्पताल सिंघानिया में भर्ती कराया गया। जहाँ इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से 26 अगस्त 2001 को महज 49/50 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी। मृत्यु की खबर सुनने के बाद आनंद दिघे के अनुयायियों ने अस्पताल को पूरी तरह से घेर लिया और तोड़ फोड़ शुरू कर दिया। यहीं नहीं उनके चाहने वालों ने अस्पताल को आग के हवाले कर दिया। [6]ABP News Anand Dighe in Hospital
  • उनकी मृत्यु के बाद उद्धव ठाकरे सहित शिवसेना के कई अन्य नेताओं को घटना को रोकने के लिए ठाणे से बाहर ले जाना पड़ा था, क्योंकि शिवसेना कार्यकर्ता उग्र हो चुके थे। “मृत्यु के दो दशक बाद भी, दिघे अभी भी ठाणे शहर और जिले में एक करिश्माई व्यक्ति बने हुए हैं, जिसमें शिव सेना कार्यकर्ताओं का एक महत्वपूर्ण वर्ग है जो उन्हें एक देवता के रूप में मानते हैं।”
  • आनंद दिघे की मृत्यु के बाद एकनाथ शिंदे को ठाणे जिले का सियासी वारिस बनाया गया और उन्होंने अपने राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भी उसी तरह से करने की कोशिश की जैसी की उनके गुरु आनंद दिघे करते थे।
  • आनंद दिघे जब तक जीवित रहे, ठाणे जिला में दूसरा कोई और ‘साहब’ नहीं हुआ। बाल साहेब ठाकरे के बाद उनके नाम के अलावा किसी भी शिवसेना राजनेता के नाम के आगे ‘साहब’ शब्द का प्रयोग नहीं हुआ।
  • महाराष्ट्र के कलवा शहर में एक अस्पताल का नाम उनके “धर्मवीर आनंद दिघे हृदयरोग उपचार केंद्र” रखा गया है। Dharmaveer Anand Dighe Heartcare Center & Urocare Center
  • आनंद दिघे अपने समय के बाहुबली नेता थे, यहाँ तक कि पुलिस उनके कार्यों में दखलअंदाजी नहीं देते थे। इतना ही नहीं, उस समय जो पुलिस कमिश्नर उस शहर में ट्रांसफर होकर आते थे, वह दिघे के पास ‘शिष्टाचार भेंट’ करने जरूर जाते थे।
  • 13 मई 2022 को रिलीज हुई मराठी फिल्म “धर्मवीर” आनंद दिघे के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में बाल ठाकरे और आनंद दिघे के आत्मीय संबंधों को दिखाया गया है। एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में अशोक वानखेड़े कहते हैं, ‘बाल ठाकरे और आनंद दिघे के बीच लव-हेट का रिलेशन था। [7]Navbharat Times Dharamveer movie poster
  • मराठी फिल्म “धर्मवीर” की स्क्रीनिंग को लेकर भी काफी विवाद रहा। बताया जाता है उद्धव ठाकरे फिल्म की स्क्रीनिंग को बीच में ही छोड़कर चले गए थे। इसके पीछे उन्होंने अपरिहार्य वजह का हवाला दिया। उद्धव ने कहा कि वह आनंद दिघे की फिल्म का क्लाइमेक्स देखने के लिए तैयार नहीं थे। उनके मुताबिक वह स्क्रीन पर आनंद दिघे को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। इस फिल्म को एकनाथ शिंदे ने लॉन्च किया था। एकनाथ शिंदे ने इस फिल्म के टिकट को थोक में खरीदकर अपने समर्थकों में बांटे थे, जिससे वह फिल्म में दिघे के जरिए शिंदे के सियासी उत्थान को जान सकें। इस फिल्म में एकनाथ शिंदे को ही आनंद दिघे का असली वारिस बताया गया है।
  • आनंद दिघे महाराष्ट्र सरकार में भूचाल लाने वाले और महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुरु माने जाते हैं।

 

 

सन्दर्भ

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