Shushila Likmabam Biography in Hindi | सुशीला लिकमाबाम जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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पूरा नाम | सुशीला देवी लिकमाबाम [1]Aaj Tak |
व्यवसाय | भारतीय जूडो खिलाड़ी |
जानी जाती हैं | वर्ष 2014 में ग्लासगो में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने के लिए |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई | से० मी०- 158 मी०- 1.58 फीट इन्च- 5’ 2” |
भार/वजन [2]IJF | 48 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
जूडो | |
कोच | जीवन शर्मा (जूडो कोच) |
पदक | • वर्ष 2014 में ग्लासगो में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक • वर्ष 2018 में हांगकांग में होने वाले एशियाई ओपन में रजत पदक • वर्ष 2019 में हांगकांग में होने वाले एशियाई ओपन में स्वर्ण पदक |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 1 फरवरी 1995 (बुधवार) |
आयु (2022 के अनुसार) | 27 वर्ष |
जन्मस्थान | इंफाल, मणिपुर, भारत |
राशि | कुंभ (Aquarius) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | इंफाल, मणिपुर |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
परिवार | |
पति | लागू नहीं |
माता/पिता | पिता- लिकमबम मनिहार सिंह माता- लिकमबम चौबी देवी |
भाई/बहन | उनका एक बड़ा भाई, शिलाक्षी सिंह और दो और छोटे भाई-बहन हैं। |
सुशीला देवी लिकमाबाम से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
- सुशीला लिकमाबाम एक पेशेवर भारतीय जूडो खिलाडी हैं, जिन्हें वर्ष 2014 में ग्लासगो में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 2020 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और वह भारत की जूडो का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र एथलीट है।
- सुशीला ने 7 साल की उम्र में ही जूडो अकादमी में अपना प्रशिक्षण शुरू कर दिया था। वह अपने बड़े भाई शिलाक्षी सिंह के साथ प्रशिक्षण लेती थी और भाई-बहन की जोड़ी सुबह जल्दी उठकर जूडो अभ्यास के लिए जाती थी। शुशीला को साइकिल पर बैठाकर जूडो अकादमी तक पहुँचने के लिए वह दोनों 25-30 मिनट का सफर तय करते थे।
- सुशीला ने अपने चाचा लिकमाबाम दीनित, जो एक अंतरराष्ट्रीय जूडो खिलाड़ी थे, उनके मार्गदर्शन में अपना जूडो अभ्यास शुरू किया और राज्य और राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में भाग लेना शुरू किया। उन्होंने 2010 में सिंगापुर में कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। साथ ही उन्होंने 44 किग्रा वर्ग की कैटेगरी में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता।
- वर्ष 2010 में सुशीला अपने प्रशिक्षण में सुधार करने और खेल के बारे में बेहतर सीखने के लिए नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान, पटियाला चली गईं। उन्होंने 2010 से 2017 तक कोच जीवन शर्मा के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया।
- उनके करियर में सफलता तब मिली जब उन्होंने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया और देश के लिए रजत पदक जीता।
- वर्ष 2017 में सुशीला मणिपुर पुलिस में शामिल हुईं। जब उन्होंने अपनी आगामी जूडो चैंपियनशिप और टूर्नामेंट के लिए प्रशिक्षण शुरू किया तो उन्होंने मणिपुर पुलिस अधिकारियों से अनुमति ली। वर्ष 2019 में शुशीला देवी ने हांगकांग में एशियाई ओपन में रजत पदक जीता।
- वर्ष 2019 में जब सुशीला जापान के ओसाका में ग्रैंड स्लैम में प्रतिस्पर्धा कर रही थी, तो उन्होंने अपने नाम की घोषणा नहीं सुनी। इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उनके भाई ने कहा-
नियम यह है कि वह एक बार आपके नाम की घोषणा करेंगे और 10 सेकंड तक प्रतीक्षा करेंगे। यदि आप नहीं दिखाते हैं तो यह खत्म हो गया है और प्रतिद्वंद्वी को वॉकओवर मिल जाता है। लेकिन शुशीला अकेली थी और घोषणाएं जापानी भाषा में हुई थीं। उसे नहीं पता था कि उन्होंने उसका नाम पुकारा। वो बहार ही नहीं निकले। तो हम सोचे क्या हुआ?”
- सुशीला लिकमाबाम को 2018 एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाइंग दौर से हटना पड़ा क्योंकि ट्रायल शुरू होने से पहले उन्होंने हैमस्ट्रिंग खींच लिया था। इसके चलते उनके एक प्रायोजक ने उनसे नाता तोड़ लिया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई। उन्होंने अपने कोच जीवन शर्मा का सामना इस तथ्य से किया कि वह आर्थिक रूप से थक गई थी। वित्तीय बोझ को कम करने के लिए शुशीला को कर्ज लेना पड़ा और अपनी कार बेचनी पड़ी। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा-
गांव के लोग काफी सहयोग कर रहे हैं। उन्हें अच्छा लगता है जब कोई खेल में अच्छा करता है। यह सिर्फ आर्थिक रूप से है, वहां कोई भी वास्तव में अच्छा नहीं है, इसलिए वह मदद नहीं कर सकते।”
- भले ही सुशीला देवी कई क्वालीफाइंग टूर्नामेंट से चूक गई थीं, लेकिन वह कॉन्टिनेंटल कोटा के आधार पर क्वालीफाई की, जिससे वह 2020 टोक्यो ओलंपिक में जूडो के लिए भारत की एकमात्र प्रतिनिधि बनी।