Sukhdev Biography in Hindi | सुखदेव जीवन परिचय
सुखदेव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- सुखदेव का जन्म गांव गोपरा, लुधियाना, पंजाब के एक मध्यवर्गीय सिख परिवार में हुआ था।
- जब सुखदेव तीन वर्ष के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। जिसके बाद उनका पालन पोषण उनकी माँ और ताऊ अचिन्तराम ने किया था।
- उनके ताऊ आर्य समाज से काफी प्रभावित थे, जिसके कारण सुखदेव भी समाज सेवा व देशभक्तिपूर्ण कार्यों में आगे बढ़ने लगे।
- कॉलेज से आने के बाद वह शाम को अस्पृश्य कहे जाने वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करते थे।
- वर्ष 1919 में, जलियाँवाला बाग के भीषण नरसंहार के कारण देश में भय तथा आतंक का वातावरण बन गया था, उस समय सुखदेव महज 12 वर्ष के थे, जब पंजाब के प्रमुख नगरों में मार्शल लॉ लगा दिया गया था। उस समय स्कूलों तथा कॉलेजों में तैनात ब्रिटिश अधिकारियों को भारतीय छात्रों द्वारा सलाम किया जाता था। लेकिन एक दिन सुखदेव ने दृढ़तापूर्वक ऐसा करने से मना कर दिया, जिसके कारण उन्हें ब्रिटिश अधिकारीयों की मार खानी पड़ी।
- स्कूल समाप्त करने के बाद, उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज में प्रवेश लिया। जहाँ पर उनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई। दोनों एक ही राह के पथिक थे, अत: शीघ्र ही दोनों का परिचय गहरी दोस्ती में बदल गया।
- वर्ष 1926 में, लाहौर में ‘नौजवान भारत सभा’ का गठन हुआ। इसके मुख्य योजक सुखदेव, भगत सिंह, यशपाल, भगवती चरण व जयचन्द्र विद्यालंकार थे।
- प्रारम्भ में वह नौतिक कार्यक्रम, साहित्यिक तथा सामाजिक विचारों पर विचार गोष्ठियाँ करना, स्वदेशी वस्तुओं, देश की एकता, सादा जीवन, शारीरिक व्यायाम तथा भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता पर विचार, इत्यादि पहलुओं पर चर्चा करते थे।
- सितंबर 1928 में, दिल्ली स्थित फिरोजशाह कोटला के खंडहर में उत्तर भारत के प्रमुख क्रांतिकारियों की एक गुप्त बैठक हुई। इसमें एक केंद्रीय समिति का निर्माण हुआ और समिति का नाम “हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी” रखा गया। सुखदेव को पंजाब की समिति का उत्तरदायित्व दिया गया।
- साइमन कमीशन का भारत आने पर हर जगह तीव्र विरोध किया जा रहा था, पंजाब में इसका नेतृत्व लाला लाजपत राय कर रहे थे, 30 अक्टूबर को लाहौर में एक विशाल जुलूस का नेतृत्व करते समय डिप्टी सुपरिटेंडेंट स्कार्ट के कहने पर सांडर्स ने लोगों पर लाठीचार्ज किया, जिसमें लाला लाजपत राय घायल हो गए और 17 नवंबर 1928 को लाला जी का देहांत हो गया। जिसके चलते सुखदेव और भगत सिंह ने एक शोक सभा में ब्रिटिश साम्राज्य से बदला लेने का निश्चय किया।
- लाला लाजपत राय की मृत्यु के एक महीने बाद सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु ने डिप्टी सुपरिटेंडेंट स्कार्ट को मारने की योजना बनाई, परन्तु गलती से उन्होंने सांडर्स को मार दिया।
- 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश सरकार के बहरे कानों में आवाज पहुंचाने के लिए दिल्ली में केंद्रीय सभा में बम फेंककर धमाका किया। जिसके चलते चारों ओर गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया। जिसके फलस्वरूप 15 अप्रैल 1929 को सुखदेव, किशोरी लाल तथा अन्य क्रांतिकारियों को पकड़ा गया।
- 23 मार्च, 1931 को उन्हें लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई।