Devendra Jhajharia Biography in Hindi | देवेंद्र झाझरिया जीवन परिचय
देवेंद्र झाझरिया से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- देवेंद्र झाझरिया एक पेशेवर भारतीय भाला फेंक (जेवलिन थ्रोअर) हैं जो किसी पैरालंपिक इवेंट (रियो 2016) में दो गोल्ड मेडल हासिल करने वाले पहले भारतीय हैं।
- देवेंद्र झाझरिया का पालन-पोषण राजस्थान के चूरू जिले के एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता राम सिंह झाझरिया एक किसान थे और उनकी माता जीवनी देवी झाझरिया एक गृहणी हैं।
- 8 साल की उम्र में ही देवेंद्र झाझरिया को बिजली का करंट लगने के चलते अपना बांया हाथ गंवाना पड़ा था। जिसके चलते उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- देवेंद्र झाझरिया को बचपन से ही खेल के प्रति काफी लगाव था जिसके चलते वह स्कूल में होने वाले सभी खेल प्रतियोगिताओं में बढ़चढ़कर भाग लिया करते थे। स्कूल में होने वाले इन प्रतियोगिताओं के दौरान उनके टैलेंट को उनके कोच आर डी शर्मा ने पहचाना और उन्हें खेलों में भाग लेने की सलाह दी। उनके गुरु आर डी शर्मा को “द्रोणाचार्य पुरस्कार” से नवाजा जा चुका है। वह 2004 एथेंस पैरालंपिक में जीते स्वर्ण पदक का पूरा-पूरा श्रेय अपने व्यक्तिगत कोच आर डी शर्मा को देते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान अपने कोच के बारे में कहा-
वह मुझे बहुत सलाह देते हैं और प्रशिक्षण के दौरान मेरी मदद करते हैं।”
- वह जेवलिन के शुरुआती दिनों में अपने खेत में लकड़ी के बने भाले से भाला फेंक का अभ्यास किया करते थे।
- अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने जिलास्तरीय टूर्नामेंट में भाग लिया और भाला फेंक कम्पटीशन में गोल्ड मैडल जीता।
- देवेंद्र झाझरिया ने वर्ष 2002 में दक्षिण कोरिया में आयोजित 8वीं FESPIC खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था।
- इसके बाद वर्ष 2003 में ग्रीस की सिटी एथेंस में आयोजित जेवलिन में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले भारतीय पैरालम्पिक बने। इस खेल में उन्होंने 62.15 मीटर की दूरी के साथ एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले का रिकॉर्ड 49.77 था।
- देवेंद्र झाझरिया ने वर्ष 2004 में एथेंस में आयोजित जेवलिन पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन करते हुए जेवलिन थ्रो में विश्व रिकॉर्ड बनाया।
- देवेंद्र झाझरिया को वर्ष 2005 में राजस्थान सरकार द्वारा “महाराणा प्रताप पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2013 में फ्रांस की सिटी ल्योन में आयोजित IPC Athletics World Championships में उन्होंने एफ46 भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता था।
- इसके बाद उन्होंने वर्ष 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक जीता।
- वर्ष 2014 में देवेंद्र झाझरिया को FICCI पैरा-खिलाड़ी स्पोर्ट्समैन ऑफ़ दी इयर के ख़िताब से सम्मानित किया गया।
- 2016 रियो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद वह पैरालंपिक में 2 स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरालिंपियन बने।
- भारतीय रेल के एक पूर्व कर्मचारी देवेंद्र झाझरिया वर्तमान में भारतीय खेल प्राधिकरण के साथ काम कर रहे हैं।
- वर्ष 2016 में उन्होंने ग्रीष्मकालीन रियो पैरालंपिक में पुरुष भाला फेंक थ्रो ऍफ़46 इवेंट में भाग लिया और अपने 2004 के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए 63.97 मीटर का एक नया रिकॉर्ड बनाया।
- देवेंद्र झाझरिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके 39वें जन्म दिन पर उन्हें ग्रीटिंग कार्ड देकर बधाई दी।
- जुलाई 2021 में उन्होंने नई दिल्ली में अपने चयन परीक्षणों के दौरान 65.71 मीटर के नए विश्व रिकॉर्ड के साथ 2020 टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक के लिए अपनी तैयारियों के बारे में बात करते हुए कहा-
मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूं और अपने निजी कोच सुनील तंवर द्वारा निर्धारित एक सुविचारित कार्यक्रम का पालन कर रहा हूं। मुझे विश्वास है कि एथेंस और रियो की तरह मैं टोक्यो में भी स्वर्ण पदक जीतूंगा।”
#Paralympics #Tokyo2020 @ParalympicIndia pic.twitter.com/r1DFqzOmc3
— Devendra Jhajharia (@DevJhajharia) August 10, 2021
- देवेन्द्र झाझरिया ने पैरालंपिक में 4 मेडल हासिल किए हैं जिसमें 2 गोल्ड मेडल, 1 सिल्वर मेडल, और 1 ब्रोंज मेडल शामिल है।