Menu

Savita Punia Biography in Hindi | सविता पुनिया जीवन परिचय

 

Savita Punia

जीवन परिचय
व्यवसायभारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी (गोलकीपर)
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 171
मी०- 1.71
फीट इन्च- 5’ 7”
भार/वजन (लगभग)60 कि० ग्रा०
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला
टेनिस
मौजूदा टीमइंडिया
कोच• पहले कोच- सुंदर सिंह खरब
• राष्ट्रीय कोच- सोजर्ड मारिजने
इंटरनेशनल डेब्यू2008
पोजीशनगोलकीपर
डोमेस्टिक/स्टेट टीमहरियाणा
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 11 जुलाई 1990 (बुधवार)
आयु (2021 के अनुसार)31 वर्ष
जन्मस्थान जोधकां, सिरसा जिला, हरियाणा, भारत
राशि कर्क (Cancer)
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर जोधकां, सिरसा जिला, हरियाणा
स्कूल/विद्यालयमहाराजा अग्रसेन गर्ल्स स्कूल, हरियाणा
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
बॉयफ्रेंडज्ञात नहीं
परिवार
पतिलागू नहीं
माता/पितानाम ज्ञात नहीं
Savita Punia with her father
Savita Punia with her mother
दादा- महिंदर सिंह
Savita with her grandfather
भाई/बहनभाई- नाम ज्ञात नहीं
Savita Punia with her brother and sister in law
बहन- नाम ज्ञात नहीं
Savita Punia with her sister

Savita Punia

सविता पुनिया से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • सविता पुनिया एक पेशेवर भारतीय हॉकी खिलाड़ी गोलकीपर हैं जो भारत के राष्ट्रीय हॉकी टीम की सदस्य हैं। जिन्हे हॉकी गोलकीपर के लिए जाना जाता है।
  • उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा महाराजा अग्रसेन गर्ल्स स्कूल, हरियाणा के सिरसा जिले से प्राप्त की। स्कूल के दौरान उनके दादा महिंदर सिंह ने उन्हें हॉकी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और जल्द ही उनका दाखिला हिसार के भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) केंद्र में करवा दिया।
  • हॉकी के शुरुआती दिनों में उनके कोच सुंदर सिंह खरब थे। उन्हें हॉकी खेल में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन जब उनके पिता ने उनके लिए बीस हजार रुपये की एक हॉकी किट ख़रीदा तो वह इस खेल को गंभीरता से लेने लगी। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा-

    मेरे पिताजी द्वारा मुझे किट खरीदने के बाद खेल के प्रति मेरा नजरिया बदल गया। कड़ी मेहनत करने और राष्ट्रीय टीम के लिए चुने जाने का मेरा उत्साह उन्हें मेरे लिए किए गए प्रयासों के लिए उन्हें वापस भुगतान करने का एक तरीका था।”

  • वर्ष 2007 में उन्होंने पहली बार लखनऊ के हॉकी राष्ट्रीय शिविर कम्पटीशन में भाग लिया और जल्द ही एक प्रोफेसनल तौर पर गोलकीपर के रूप में अपनी कोचिंग शुरू की। एक साक्षात्कार में उन्होंने खेल के प्रति अपने प्यार और अपनी पारिवारिक स्थितियों का खुलासा किया-

    माँ के बीमार होने और अस्पताल में भर्ती होने के बाद पाँचवीं कक्षा से, मैं घर पर सब कुछ संभालती थी। लेकिन मेरे दादाजी कुछ और हासिल करने के लिए घर छोड़ने पर अड़े थे और घर के बाकी लोग भी थे जो बहुत खुले विचारों वाले थे और चाहते थे कि मैं कुछ हासिल करूं।”

  • वर्ष 2007 में उन्हें 17 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया था। सविता पुनिया ने वर्ष 2008 में नीदरलैंड और जर्मनी में आयोजित चार देशों के बीच हॉकी कम्पटीशन में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया।
  • वर्ष 2009 में उन्हें जूनियर एशिया कप में हॉकी टीम के सदस्य के रूप में चुना गया। 2011 में उन्होंने अपना पहला वरिष्ठ स्तर का अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला। पुनिया अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 100 से अधिक मैच खेल चुकी हैं।
  • वर्ष 2013 में उन्होंने मलेशिया में आयोजित आठवें महिला एशिया कप में भाग लिया और पेनल्टी शूट-आउट में दो महत्वपूर्ण गोल बचाए जिसकी वजह से भारत ने कांस्य पदक जीता था। 2014 में वह इंचियोन एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता।
  • सविता पुनिया को वर्ष 2015 में हॉकी इंडिया के वार्षिक पुरस्कारों में 1 लाख रुपये के नकद पुरस्कार के साथ ‘द बलजीत सिंह गोलकीपर ऑफ द ईयर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 2016 में सविता पुनिया ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाते हुए मैच के अंतिम एक मिनट में जापान के खिलाफ पेनल्टी कार्नर पर खड़ी हुई जिसमे भारत को 1-0 से जीतने में मदद मिली। इस जीत ने भारतीय महिला हॉकी टीम को 36 साल बाद रियो ओलंपिक में क्वालीफाई करने का मौका दिया।
  • वर्ष 2016 में पुनिया ने खुलासा किया कि हरियाणा सरकार की मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना के तहत, उन्हें नौकरी देने का वादा किया था लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली। एक मीडिया हाउस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा-

    मुझे केवल सरकारी अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया गया है। पिछले तीन साल से मैं इसी पर जी रही हूँ।”

  • वर्ष 2017 में न्यूजीलैंड हॉक्स बे कप में उनके प्रभावी प्रदर्शन ने भारतीय हॉकी टीम को टूर्नामेंट में 6वां स्थान दिलाया। उसी वर्ष महिला हॉकी विश्व लीग में उनके बेहतरीन प्रदर्शन ने भारतीय महिला हॉकी टीम को फाइनल मैच के राउंड 2 में चिली को हराने में मदद की।
  • वर्ष 2018 में आयोजित एशिया कप में उन्होंने फाइनल मैच में चीन के खिलाफ एक उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखाते हुए “गोलकीपर ऑफ़ द टूर्नामेंट का पुरस्कार” अपने नाम किया। इस जीत ने भारतीय महिला हॉकी टीम को लंदन में आयोजित 2018 विश्व कप के सेमीफइनल में जगह बनाने में मदद किया।
  • वर्ष 2018 में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सविता पुनिया को भारत के सर्वोच्च “अर्जुन पुरस्कार” से सम्मानित किया। Savita Punia while receiving Arjuna Award for Hockey in 2018
  • उन्होंने कहा कि एक इंटरव्यू में मेरे खेल रोल मॉडल के बारे में पूछा गया था-

    मैं अपने दादाजी की वजह से ही यहां हूं। उन्होंने हमेशा मुझे इतना सपोर्ट किया। वह हमेशा बहुत उत्साहजनक थे और मुझे लगता है कि उनके प्रोत्साहन और आशीर्वाद के कारण मैं आज यहां हूं। मुझे याद है जब मैं पहली बार भारत के लिए खेला था तो दादाजी ने समाचार में सुना था और 67 वर्ष की आयु में उन्होंने पढ़ना सीखने का फैसला किया। एक के बाद उन्होंने पढ़ना सीखा और फिर मुझे अपने साथ बैठाया और ज़ोर से ख़बर पढ़े यह वास्तव में एक महान क्षण था, और मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा थी।”

  • हॉकी के शुरुआती दिनों में सविता ने एक मिडफील्डर के रूप में अभ्यास करना शुरू किया था। अकादमी में शामिल होने के एक साल बाद उनके कोच सुंदर सिंह खरब ने उन्हें गोलकीपिंग का विकल्प चुनने की सलाह दी। क्योंकि उनकी लम्बाई 5 फ़ीट 7 इंच है। जिसके चलते उन्हें गोलकिपरिंग में जाने के लिए प्रेरित किया। उनके दादा ने एक इंटरव्यू में बताया-

    खरब सर ने मुझे बताया कि सविता अपने कद के कारण एक अच्छी गोलकीपर बन सकती है। उन्होंने वास्तव में मुझे गारंटी दी थी कि जब वह सिर्फ 12 या 13 साल की थीं तब वह भारतीय टीम में होंगी।”

  • सविता के मुताबिक शुरू में उन्हें हॉकी की गेंदों से डर लगता था। एक साक्षात्कार में उन्होंने खुलासा किया-

    मैंने छठी कक्षा के बाद एक छात्रावास में अध्ययन किया। छात्रावास घर से दो घंटे की दूरी पर था। हॉकी की ट्रेनिंग से बचने के लिए मैं कई बहाने बनाती थी। मुझे मेरी ऊंचाई के कारण गोलकीपर बनाया गया था। मैं गेंद से बहुत डरती थी।”

  • एक मीडिया हाउस से बातचीत के दौरान पुनिया ने खुलासा किया कि भारत का प्रतिनिधित्व करने का उनका पहला अनुभव है। उन्होंने अपना अनुभव व्यक्त किया-

    मुझे याद है जब मैंने पहली बार मैदान पर कदम रखा और राष्ट्रगान गाया – मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मैंने फैसला किया कि मैं इसे पूरे दिल से करना चाहती हूं। यह मेरे लिए जीवन बदलने वाला क्षण था। भले ही मैं दूसरी पसंद का गोलकीपर थी। लेकिन दीपिका मूर्ति के बाद यह एक शानदार अनुभव था।”

  • पुनिया के अनुसार हॉकी से उनके परिवार को जो सम्मान मिला है वह उनकी पसंदीदा चीज थी। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा-

    मेरे परिवार को हॉकी के माध्यम से बहुत सम्मान मिला है- और यह मेरा पसंदीदा हिस्सा है। जब मैंने खेलना शुरू किया था तो मेरे गांव में कोई भी खेल नहीं खेला करता था।”

  • सविता एक फिटनेस फ़्रीक़ हैं और वह नियमित रूप से हाई-इंटेंसिटी वर्कआउट करती हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने खुलासा किया-

    हमारा दिन आमतौर पर व्यक्तिगत उच्च-तीव्रता वाले वर्कआउट या बॉडी-वेट ट्रेनिंग से शुरू होता है और फिर हम कुछ विश्लेषण करने के लिए आगे बढ़ते हैं जो हमारे कोचिंग स्टाफ हमें व्यक्तिगत रूप से देते हैं।” Savita Punia while gymming

  • एक इंटरव्यू के दौरन सविता पुनिया-

  • 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम के चयन पर पुनिया ने एक साक्षात्कार में अपने लक्ष्यों का खुलासा किया-

    रियो बीत चुका था और हमारा लक्ष्य टोक्यो से पदक के साथ वापसी करना है। इस टीम में अत्यधिक आत्मविश्वास है और यह समूह किसी भी दिन किसी भी शीर्ष टीम को हरा सकता है। हमारे पास अब कोई डर फैक्टर नहीं है।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *