Pranab Mukherjee Biography in Hindi | प्रणब मुखर्जी जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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पूरा नाम | प्रणब कुमार मुखर्जी [1]India Today |
उपनाम | • पोल्टू [2]The Hindu • प्रणब दा [3]Hindustan Times • पीकेएम [4]Hindustan Times |
व्यवसाय | भारतीय राजनेता |
जाने जाते हैं | भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई [5]Hindustan Times | से० मी०- 152 मी०- 1.52 फीट इन्च- 5’ |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
राजनीति करियर |
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पार्टी/दल | • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) (1969-1986; 1986-2012) • राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस (आरएससी) (1986-1989) [6]The Indian Express |
राजनीतिक यात्रा | • वर्ष 1969 में उन्होंने मिदनापुर उपचुनाव में वी. के. कृष्णा मेनन के लिए प्रचार किया था। • उसी वर्ष उन्हें इंदिरा गांधी द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल किया गया था। • उन्होंने 1969, 1975, 1981, 1993 और 1999 तक एक राज्यसभा सदस्य के रूप में काम किया। • प्रणव मुखर्जी को 2004, 2009, और 2012 तक लोकसभा के लिए चुना गया था। • वर्ष 2012 में उन्होंने सक्रिय रूप से राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लिया। |
प्रमुख पदनाम | • वर्ष 1973 से 1977 तक इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में केंद्रीय औद्योगिक विकास मंत्री के रूप में • वर्ष 1980 से 990 तक भारत के वाणिज्य मंत्री के रूप में • वर्ष 1982 से 2012 तक भारत के वित्त मंत्री के रूप में • वर्ष 1998 से 1999 तक एआईसीसी के महासचिव के रूप में • वर्ष 1985 से 2010 तक पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में • वर्ष 2004 में लोकसभा सदन के नेता के रूप में • वर्ष 2004 से 2006 तक भारत के रक्षा मंत्री के रूप में • वर्ष 1995 से 2009 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में • कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष के रूप में • एशियाटिक सोसाइटी के योजना बोर्ड में भी कार्य किया। • 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में |
पुरस्कार/उपलब्धियां | • वर्ष 2008 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार "पद्म विभूषण" से सम्मानित किया गया। • 5 मार्च 2013 को उन्हें "बांग्लादेश मुक्ति युद्ध सम्मान" (बांग्लादेश मुक्तिजुद्धो सनमनोना) से नवाजा गया। • जून 2016 में उन्हें आइवरी कोस्ट के राष्ट्रीय आदेश का ग्रैंड क्रॉस दिया गया। • 28 अप्रैल 2017 को प्रणब मुख़र्जी को "ग्रैंड कॉलर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ मकारियोस III" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। • वर्ष 2019 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति राम नाथ गोविंद द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया। नोट: उनके नाम और भी कई सम्मान शामिल हैं। |
पुस्तकें | • गठबंधन के वर्ष (2017) • अशांत वर्ष 1980-1996 (2016) • चयनित भाषण-प्रणब मुखर्जी (2015) • नाटकीय दशक: इंदिरा गांधी वर्ष (2014) • विचार और विचार (2014) • कांग्रेस और भारतीय राष्ट्र का निर्माण (2011) • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक शताब्दी इतिहास (खंड V: 1964-1984) (2011) • राष्ट्र के सामने चुनौतियां (1992) • संघर्ष और बलिदान की गाथा (1992) • ऑफ द ट्रैक (1987) • बियॉन्ड सर्वाइवल: इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ इंडियन इकोनॉमी (1984) |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 11 दिसंबर 1935 (बुधवार) |
जन्म स्थान | मिराती, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पश्चिम बंगाल, भारत) |
मृत्यु तिथि | 31 अगस्त 2020 (सोमवार) |
मृत्यु स्थान | सेना अनुसंधान और रेफरल अस्पताल, नई दिल्ली |
आयु (मृत्यु के समय) | 84 वर्ष |
मृत्यु का कारण | नई दिल्ली की सेना अनुसंधान और रेफरल अस्पताल में ब्रेन सर्जरी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इससे पहले उन्हें कोविड- 19 से भी गुजरना पड़ा था। |
राशि | धनु (Sagittarius) |
हस्ताक्षर | |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
जाति | बंगाली ब्राह्मण [7]Hindustan Times |
आहार | मांसाहारी [8]Rediff |
गृहनगर | बीरभूम, पश्चिम बंगाल |
स्कूल/विद्यालय | किरनाहर हाई स्कूल, बीरभूम, पश्चिम बंगाल |
कॉलेज/विश्वविद्यालय | सूरी विद्यासागर कॉलेज, सूरी (बीरभूम), कलकत्ता विश्वविद्यालय |
शैक्षिक योग्यता | • कलकत्ता विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और इतिहास में एमए • कलकत्ता विश्वविद्यालय से एलएलबी [9]pranabmukherjee.in • 1984 में जबलपुर विश्वविद्यालय से पी एच डी [10]MyNeta |
शौक/अभिरुचि | लम्बा सैर करना, डायरी लिखना, पढ़ना, बागवानी करना, और संगीत सुनना |
पता | 60/2/7 लेक रोड कोलकाता 700029 [11]MyNeta |
विवाद | • इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में केंद्रीय औद्योगिक विकास मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने "स्थापित मानदंडों और शासन के नियमों को खत्म करने" के लिए अतिरिक्त-संवैधानिक शक्तियों का उपयोग किया। वर्ष 2018 में मुखर्जी ने स्वयं 1975 में आपातकाल लगाने की आलोचना की और कहा कि इसे टाला जा सकता था क्योंकि यह लोगों के अधिकारों पर अंकुश लगाता है। उन्होंने कहा, "आपातकाल में आपातकाल से बचा जा सकता था" इससे बचा जा सकता था तो अच्छा होता। [12]The Economic Times • वर्ष 2018 में मुख्य अतिथि के रूप में आरएसएस के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी सहित उनकी पार्टी में कई लोगों द्वारा उनकी आलोचना की थी। [13]The Indian Express |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय) | विदुर |
विवाह तिथि | वर्ष 1957 |
परिवार | |
पत्नी | सुवरा मुखर्जी (18 अगस्त 2015 को 74 वर्ष की आयु में हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई) |
बच्चे | बेटा- 2 • अभिजीत मुखर्जी (राजनेता) • इंद्रजीत मुखर्जी (राजनेता) बेटी- शर्मिष्ठा मुखर्जी (कथक नर्तक और राजनेत्री) |
माता/पिता | पिता- कामदा किंकर मुखर्जी (भारतीय स्वतंत्रता सेनानी) माता- राजलक्ष्मी मुखर्जी |
भाई/बहन | भाई- पीयूष मुखर्जी (सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक) बहन- अन्नपूर्णा |
पसंदीदा चीजें |
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भोजन | फिश करी और पोस्तो या खसखस |
राजनेता | देंग शियाओपिंग (चीनी राजनेता) |
धन/संपत्ति संबंधित विवरण | |
कार संग्रह | फोर्ड आइकॉन 2000 मॉडल [14]MyNeta |
संपत्ति (लगभग) | चल संपत्ति: 17.75 लाख रुपये • बैंक जमा: रु. 82 लाख रुपये • आभूषण: रु. 82 लाख रुपये • मोटर वाहन: रु. 1.28 लाख रुपये अचल संपत्ति: 63.10 करोड़ रुपये • कृषि भूमि: 3 लाख रुपये • आवासीय भवन: (नई दिल्ली, कोलकाता और बीरभूम में): रु. 1.85 करोड़ रुपये |
वेतन (राष्ट्रपति के रूप में) | 1.5 लाख रुपए प्रति माह (2012 के अनुसार) [15]NDTV |
कुल संपत्ति | रु. 3 करोड़ (2011 के अनुसार) [16]MyNeta |
प्रणब मुखर्जी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- प्रणब मुखर्जी अपने जीवन में काफी समय तक धूम्रपान करते थे। लेकिन बाद में उन्होंने धूम्रपान करना छोड़ दिया था। [17]The Indian Express
- प्रणब मुखर्जी भारत के प्रमुख राजनेताओं में से एक थे जिन्होंने 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में काम किया। वह यूपीए-1 और यूपीए-2 के लिए मुख्य संकटमोचक थे। चार दशकों से अधिक के राजनीतिक करियर में उन्होंने वित्त और रक्षा सहित शीर्ष मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। इसके साथ ही उन्होंने मंत्रियों के 50 से अधिक समूहों का नेतृत्व भी किया था।
- प्रणब मुखर्जी का पालन-पोषण पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला के एक बंगाली ब्राह्मण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार में हुआ था। उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी एक सम्मानित भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्हे ब्रिटिश सरकार की खिलाफत करने पर 10 सालों से अधिक का समय जेल में काटना पड़ा था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पश्चिम बंगाल के किरनाहर हाई स्कूल से की। जो उनके घर से मीलों दूर था। प्रणब मुख़र्जी को प्रतिदिन अपने स्कूल जाने के लिए एक नदी को तैर कर पार करना पड़ता था। [18]Hindustan Times
- उनकी बड़ी बहन अन्नपूर्णा देवी के अनुसार, प्रणब मुखर्जी ने अपने बचपन का उपनाम “पोल्टू” के रूप में अर्जित किया था। क्योंकि उनके व्यवहार के कारण एक मार्चिंग प्लाटून (बंगाली में पोल्टन) के समान था। मुखर्जी अपने गांव के खेतों से होते हुए नंगे पांव स्कूल जाते थे और अपने कपड़े हाथ में बांधकर रखते थे। [19]Rediff
- प्रणब मुख़र्जी अपने बचपन में खेलों में काफी रूचि रखते थे और अपने गेम्स में दो ग्रुप एक इंडिया और दूसरा ब्रिटिश का गठन करते थे। [20]The Hindu
- उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से 1952 और 1964 के बीच पश्चिम बंगाल विधान परिषद के एक सदस्य थे।
- प्रणब मुखर्जी ने अपनी नौकरी की शुरुआत कलकत्ता के एक कार्यालय में डिप्टी अकाउंटेंट जनरल क्लर्क के रूप में की थी। [21]Rediff
- प्रणब मुख़र्जी राजनीति में आने से पहले वर्ष 1963 में बीरभूम के विद्यानगर कॉलेज में राजनीति पढ़ाया करते थे और साथ ही एक बंगाली प्रकाशन देशेर डाक के लिए एक पत्रकार के रूप में काम किया करते थे। [22]Rediff
- प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक कौशल को इंदिरा गांधी ने तब पहचाना जब उन्होंने मिदनापुर लोकसभा क्षेत्र से वी के कृष्ण मेनन के अभियान का सफलतापूर्वक प्रचार किया था। जिसके बाद मुखर्जी को राष्ट्रीय राजनीति का पदार्पण करने के लिए राज्यसभा भेजा गया था। वर्ष 2004 में जंगीपुर से लोकसभा चुनाव जीतने से पहले उन्होंने 1975, 1981, 1993 और 1999 तक राज्यसभा में एक सदस्य के रूप में काम किया।
- प्रणब मुखर्जी के राजनीति में प्रवेश के बारे में बात करते हुए उनके बड़े भाई पीयूष मुखर्जी ने कहा-
राजनीति हमारे खून में थी, कुछ ऐसा जो हमें अपने पिता स्वतंत्रता सेनानी कामदा किंकर मुखर्जी से मिला,पोल्टू उनसे प्रेरित थे और राजनीति में आने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
- 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब मुखर्जी को राजीव गांधी ने पार्टी से दरकिनार कर दिया था, जो मुखर्जी को प्रधान मंत्री पद के लिए प्रतिद्वंद्वी मानते थे। जिसके बाद वर्ष 1986 में मुखर्जी ने अपनी खुद की पार्टी ‘राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस’ का गठन किया। लेकिन 1989 में उन्होंने राजीव गांधी के साथ मिलकर इस पार्टी को कांग्रेस में मिला दिया।
- राजीव गांधी की हत्या के बाद उन्हें पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और बाद में उन्हें वर्ष 1995 में विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार सौंपा गया।
- वर्ष 1997 में जब सोनिया गांधी ने राजनीति में सक्रिय रूप से प्रवेश किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बनीं तो प्रणब मुखर्जी ने ही उनका मार्गदर्शन किया था।
- वह अपनी घरेलू अंग्रेजी के लिए जाने जाते थे, जिसे उनकी पार्टी के सदस्यों ने ‘प्रणबिस’ नाम दिया था। [23]The Hindustan Times
- राजस्व और बैंकिंग विभागों के स्वतंत्र प्रभार के साथ एक कनिष्ठ मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन बॉम्बे तस्करी अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान पर कार्रवाई के दौरान मुखर्जी ने सुर्खियां बटोरीं थी।
- इंदिरा गांधी के तहत वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ऋण की 1.1 अरब डॉलर की किस्त वापस भेज दी थी, जिसके के बाद यह संदेश पूरे दुनिया को चौंका दिया था।
- प्रणब मुख़र्जी को फिश कारी बहुत पसंद था और वह मंगलवार का दिन छोड़कर लगभग हर दिन फिश कारी खाना पसंद करते थे। [24]Rediff
- किशोरावस्था से ही मुखर्जी को पाइप पीने की आदत थी वह पाइप पीने के इतने आदी थे कि धूम्रपान छोड़ने के बाद भी वह पाइप को अपने मुंह से लगाकर रखते थे। कथित तौर पर उनके पास विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उपहार में दिए गए 500 से अधिक पाइप थे। [25]Rediff उनकी धूम्रपान की आदत पर इंदिरा गांधी ने एक बार कहा था-
प्रणब दा को जब भी कोई गोपनीय जानकारी दी जाती थी तो वह उनके पेट से कभी नहीं निकलती थी। जो निकलता है वह केवल उसके पाइप से निकलने वाला धुंआ था।”
- प्रणब मुखर्जी अपने काम को लेकर काफी सिरस रहते थे और उनकी बेटी शर्मिष्ठा के अनुसार उन्होंने प्रतिदिन लगभग 18 घंटे काम किया करते थे और दुर्गा पूजा के दौरान अपने गृहनगर मिराती की यात्रा के अलावा, उन्होंने अपने कार्यकाल में कभी छुट्टी नहीं ली। [26]Rediff
- प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 1982 में भारत में 1 घंटे 35 मिनट तक चलने वाले सबसे लंबे बजट भाषणों में से एक थे, भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री, इंदिरा गांधी ने कहा-
सबसे छोटे वित्त मंत्री ने सबसे लंबा बजट भाषण दिया है।” [27]Rediff
- जब भारत के वित्त मंत्री के रूप में प्रणब मुखर्जी ने एनआरआई निवेश खिड़की खोली, तो उन्होंने विदेशी धन के गंतव्य के रूप में भारत की छवि में व्यापक बदलाव का बीड़ा उठाया।
- भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान प्रणब मुखर्जी ने अफजल गुरु और अजमल कसाब सहित 31 दया याचिकाओं को खारिज किया था।
- उन्हें भारत का सबसे बहुमुखी मंत्री कहा जाता है, जिन्होंने चार महत्वपूर्ण मंत्रालयों रक्षा, वाणिज्य, विदेश और वित्त मंत्रालय को संभाला था। अब तक वह एकमात्र वित्त मंत्री थे जिन्होंने संसद में रिकॉर्ड सात बार बजट पेश किया है।
- प्रणब मुखर्जी को भारत के मुख्य न्यायाधीश ने 25 जुलाई 2017 को भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई थी। राष्ट्रपति चुनाव में मुखर्जी को 713,763 वोट मिले, जबकि संगमा को 315,987 वोट मिले; इसके साथ ही वह इस प्रतिष्ठित पद को धारण करने वाले पहले बंगाली राष्ट्रपति बने।
- पूर्व कम्युनिस्ट नेता सोमनाथ चटर्जी ने मुखर्जी को “भारत के सर्वश्रेष्ठ सांसदों और राजनेताओं” में से एक करार दिया और कहा कि “देश को शीर्ष पद के लिए सबसे सक्षम व्यक्ति मिला है।”
- उनके बड़े भाई पीयूष मुखर्जी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा-
मैंने उनसे कहा कि मैं अपने घर के बाहर एक बोर्ड लगाने पर विचार कर रहा हूं, जिसमें लिखा है कि ‘राष्ट्रपति दीर्घायु हों’। मेरे भाई ने मुझे ठीक करने की जल्दी की। ‘राष्ट्रपति एक संस्था है, एक व्यक्ति नहीं’, मुझे बताया गया था।” [28]The Hindu
- जब 31 अगस्त 2020 को नई दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में उनका निधन हो गया था वह अपने पीछे तीन बच्चे, पार्टियों में अनगिनत दोस्त, पुराने जमाने की राजनीति की समृद्ध विरासत और एक डायरी छोड़ गए थे कथित तौर पर वह पिछले चालीस वर्षों से उस डायरी को लिख रहे थे, केवल मरणोपरांत प्रकाशित किया जाना था।
सन्दर्भ