Arunachalam Muruganantham Biography in Hindi | अरुनाचलम मुरुगनांथम (पैडमैन) जीवन परिचय
अरुनाचलम मुरुगनांथम से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- क्या अरुनाचलम मुरुगनांथम धूम्रपान करते हैं ? ज्ञात नहीं
- क्या अरुनाचलम मुरुगनांथम शराब पीते हैं ? ज्ञात नहीं
- उनका जन्म भारत के कोयंबतूर में हथकरघा बुनकरों के एक परिवार में हुआ।
- मुरुगनांथम के बचपन में उनके पिता का एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। अपने पिता की मृत्यु के बाद, मुरुगनांथम को काफी गरीबी का सामना करना पड़ा।
- उनके अध्ययन में मदद करने के लिए, उनकी मां एक खेत में मजदूर के रूप में काम करती थीं।
- चौदह वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना स्कूल छोड़ दिया था।
- जीवनयापन करने के लिए, उन्होंने खेत में मजदूर, मशीन टूल ऑपरेटर, वेल्डर आदि जैसे अजीबो-गरीब काम किए और उन्होंने कारखाने के कर्मचारियों के लिए भोजन की आपूर्ति भी की।
- वर्ष 1998 में, अपनी पत्नी शांती से शादी करने के बाद, उन्हें पता लगा की उनकी पत्नी अपने मासिक धर्म के दौरान अख़बारों और गंदे चिथड़े (कपड़े) का उपयोग सैनिटरी नैपकिन के रूप में करती है।
- इस घटना के बाद मुरुगनांथम ने इस दिशा में कुछ करने का फैसला किया और उन्होंने सैनिटरी पैड की एक प्रतिरूप का डिजाइन बनाना शुरू कर दिया।
- शुरूआत में, उन्होंने पैड बनाने के लिए कपास का उपयोग किया, जिसे उनकी पत्नी और बहनों ने खारिज कर दिया था।
- यह समझने के बाद कि कच्चे माल की लागत (10 पैसे, 0.002 डॉलर) और अंतिम उत्पाद (कच्चे माल की कीमत में लगभग 40 गुना) के बीच एक बड़ा अंतर है, मुरुगनांथम ने अपने सैनिटरी पैड के प्रतिरूपों का परीक्षण करने के लिए महिला स्वयंसेवकों की तलाश की, लेकिन उनमें से ज्यादातर उनके मासिक धर्म के मुद्दों पर चर्चा करने में शर्माती थीं।
- इसके अलावा, उन्होंने स्थानीय मेडिकल कॉलेज की महिला छात्रों से संपर्क किया। हालांकि, वह से भी उन्हें कुछ खास सहयोग प्राप्त नहीं हुआ।
- फिर उन्होंने खुद पर सैनिटरी पैड का परीक्षण करने का निर्णय लिया। उन्होंने एक फुटबॉल ब्लैडर से ‘गर्भाशय’ बनाया और इसे बकरी के खून से भर दिया। मुरुगनांथम अपने द्वारा बनाए गए सैनिटरी पैड के अवशोषण दर का परीक्षण करने के लिए उसे अपने कपड़ो के नीचे एक कृत्रिम गर्भाशय के तौर पर लगा लिया और दौड़ना, चलना और साइकिल चलाना शरू कर दिया।
- उनके कपड़े से बाहर निकलने वाली गंध की वजह से लोगो उनका बहिष्कार करने लगे। हर कोई सोचा था कि वह पागल हो गया है।
- 18 महीनों तक अपनी पत्नी के लिए सैनिटरी पैड बनाने के लिए शोध करने के बाद उनकी पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गई। कुछ समय बाद उनकी मां ने भी उन्हें छोड़ दिया। उनकी पहचान विकृत ( Pervert) व्यक्ति कि तरह हो गई और अंत में मुरुगनांथम को उनके गांव से भी बहिष्कृत कर दिया गया।
- यह सबसे बुरी स्थिति थी की गांव वाले इस बात से आश्वस्त हो गए थे कि वह कुछ बुरी आत्माओं से घिरे हुए है और उसे एक स्थानीय ज्योतिषी द्वारा ठीक करने के लिए पेड़ के साथ बाँध दिया गया। ज्योतिषी के उपचार से बचने के लिए मुरुगनांथम गांव छोड़ने के लिए राजी हो गए।
- एक साक्षात्कार में, मुरुगनांथम ने कहा- ‘मेरी पत्नी चली गयी, मेरी मां चली गयी, मुझे गांव से बहिष्कृत कर दिया गय। वह आगे कहते है ‘मैं जीवन मे अकेला रहा गया था। इन सब के बावजूद मुरुगनांथम ने सस्ते सैनिटरी पैड बनाने का प्रयास जारी रखा।
- उनके लिए सबसे बड़ा रहस्य यह था की आखिरकार सैनिटरी पैड बनता किस चीज से है? हालांकि, जिस कपास का वह उपयोग कर रहे थे, वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बिलकुल अलग थी।
- चूंकि उस समय मुरुगनांथम को ज्यादा अंग्रेजी नहीं आती थी, और इसलिए कॉलेज के एक प्रोफेसर ने उनकी औद्योगिक संगठनों को पत्र लिखने में मदद की। इस प्रक्रिया में, मुरुगनांथम के लगभग 7,000 रुपये टेलीफोन कॉल पर खर्च हो गए थे।
- अंत में, कोयंबतूर स्थित एक कपड़ा मिल के मालिक ने मुरुगनांथम से कुछ नमूनों के लिए अनुरोध किया। कुछ हफ्ते बाद, मुरुगनांथम को सैनिटरी पैड बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली वास्तविक सामग्री के बारे में पता चला, यह सेलुलोस था जो कि पेड़ों की छाल से निकला जाता है। सैनिटरी पैड किस चीज़ से बनता हैं यह पता लगाने में उन्हें 2 वर्ष और 3 महीने लग गए थे, हालांकि, अभी भी एक अड़चन थी सैनिटरी पैड बनाने के लिए एक मशीन की आवकश्यता थी, जिसकी कीमत हजारों डॉलर थी और इसलिए उन्होंने खुद मशीन बनाने का निर्णय लिया।
- साढ़े चार सालों के प्रयोगों के बाद, उन्होंने कम लागत वाले सैनिटरी तौलिये प्रणाली का अविष्कार किया।
- उनका पहला मॉडल ज्यादातर लकड़ी से बना हुआ था, और जब उन्होंने आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिकों को इसे दिखाया, तो उन्होंने इसे राष्ट्रीय नवप्रवर्तन स्पर्धा में अपनी (मुरुगनांथम) मशीन को प्रवेश करने के लिए कहा।
- उनका मॉडल 943 प्रविष्टियों में से चुना गया। भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मुरुगनांथम को उनकी नई खोज के लिए सम्मानित किया।
- अचानक, मुरुगनांथम सुर्खियों में आ गए, और साढ़े पांच साल के बाद उनकी पत्नी शांती भी उनके पास वापस आ गई।
- उन्होंने “जयश्री इंडस्ट्रीज” की स्थापना की, जो अब भारत भर में ग्रामीण महिलाओं के लिए कम-लागत में सैनिटरी नैपकिन बनाने वाली मशीनों की बिक्री करती है।
- मुरुगनांथम अपनी सफलता के पीछे अपनी प्रतिष्ठा और तक़दीर को मानते हैं, मशीन बनाने के पीछे उनका कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं था। मुरुगनांथम के पास कम लगता में सैनिटरी नैपकिन बनाने वाली विश्व की एकमात्र मशीन थी, जिसको वह पेटेंट भी करवा सकते थे। यदि उनकी जगह कोई एमबीए डिग्री धारक व्यक्ति होता तो वह इस मशीन को पेटेंट करवा देता।
- मुरुगनांथम का प्राथमिक उद्देश्य भारत मे फैली महिलाओ के मासिक धर्म से जुड़ी रूढ़िवादिता एक कुरीतियों को दूर करना था- जैसे कि मासिक धर्म वाली महिलाएं सार्वजनिक स्थानों और मंदिरों में नहीं जा सकती है। वो जलाशयों के पास नहीं जा सकती है और उन्हें खाना बनाने की अनुमति भी नहीं होती है। यह तक की मासिक धर्म के समय महिलाओं को साथ एक अछूत जैसा व्यवहार किया जाता है।
- उन्होंने 18 महीनों में 250 मशीनें बनाईं और उन्हें भारत के सबसे अविकसित और सबसे गरीब राज्यों में ले गए- जैसे कि- बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश।
- उनके अधिकांश ग्राहक महिला स्व-सहायता समूह और गैर-सरकारी संगठन हैं। हाथ से चलने वाली मशीन की कीमत करीब 75,000 रुपए है, जबकि एक अर्द्ध-स्वचालित मशीन की कीमत इससे अधिक है। प्रत्येक मशीन 10 लोगों के लिए रोजगार प्रदान करती है और 3,000 महिलाओं के लिए वह पैड बना सकती है। हर मशीन प्रति दिन 200-250 पैड का बना सकती है, जिसे लगभग 2.5 रुपए की औसत से बेचा जा सकता है।
- उनका उद्देश्य सिर्फ सस्ती सैनिटरी पैड बनाना ही नहीं है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार प्रदान करना भी है।
- शुरू में, उनका लक्ष्य गरीब महिलाओं के लिए 10 लाख नौकरियां प्रदान करना था, लेकिन अब, उनका उद्देश्य दुनिया भर में 1 करोड़ नौकरियों को प्रदान करना है।
- मुरुगनांथम दुनिया भर में 106 देशों में व्यापार कर रहें है जैसे कि – मॉरीशस, केन्या, नाईजीरिया, बांग्लादेश और फ़िलीपीन्स इत्यादि।
- वह एक सामाजिक उद्यमी के रूप में जाने जाते हैं और आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम बैंगलोर, आईआईटी बॉम्बे और हार्वर्ड सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में व्याख्यान (लेक्चर) दे चुके है।
- मुरुगनांथम ने एक बार “TED Talk” किया था।
- वर्ष 2017 में, बॉलीवुड फिल्म पैडमैन, की कहानी मुरुगनांथम के जीवन पर आधारित थी, जिसमें अक्षय कुमार ने अरुनाचलम मुरुगनांथम की भूमिका निभाई है।
- मुरुगनांथम एक छोटे से अपार्टमेंट में अपने परिवार के साथ रहते हैं। वह कहते है कि उन्हें कोई इच्छा नहीं है की वह किसी बड़े घर में रहें ‘यदि आप अमीर हो जाते हैं, तो आपके पास एक अतिरिक्त बेडरूम वाला अपार्टमेंट होता है- और फिर आप मर जाते है’।
- अरुनाचलम मुरुगनांथम की प्रेरणादायक कहानी नीचे दिखाई गई है।