Divya Kakran Biography in Hindi | दिव्या काकरान जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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अन्य नाम | दिव्या सैन [1]Instagram |
उपनाम | शेरा [2]Facebook |
व्यवसाय | फ्रीस्टाइल पहलवान |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 168 मी०- 1.68 फीट इन्च- 5’ 6” |
भार/वजन (लगभग) | 65 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
कुश्ती | |
कैटेगरी | 68 किग्रा |
कोच | • विक्रम कुमार सोनकर • प्रेम नाथ |
पदक | • 2017 एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप (नई दिल्ली) में रजत पदक • 2017 अखिल भारतीय विश्वविद्यालय चैम्पियनशिप (भारत) में स्वर्ण पदक • 2017 सीनियर नेशनल चैंपियनशिप (भारत) में स्वर्ण पदक • 2017 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक • 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक • 2019 एशियाई चैंपियनशिप (शीआन, चीन) में कांस्य पदक • 2020 एशियाई चैंपियनशिप (नई दिल्ली) में स्वर्ण पदक • 2021 एशियाई चैंपियनशिप (अल्माटी) में स्वर्ण पदक • 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक |
पुरस्कार/उपलब्धियां | • वर्ष 2018 में मुजफ्फरनगर रत्न सम्मान • वर्ष 2019 में रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार • वर्ष 2020 में अर्जुन पुरस्कार |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | • स्रोत 1: 8 अक्टूबर 1998 (गुरुवार) [3]Divya Kakran • स्रोत 2: 2 जुलाई 1998 (गुरुवार) [4]Divya Kakran Blo |
आयु (2022 के अनुसार) | 24 वर्ष |
जन्मस्थान | पूर्बलियान, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश, भारत |
राशि | • स्रोत 1: तुला (Libra) • स्रोत 2: कर्क (Cancer) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | पूर्बलियान, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश |
स्कूल/विद्यालय | सर्वोदय कन्या विद्यालय, दिल्ली |
कॉलेज/विश्वविद्यालय | • नोएडा कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन [5]Jagran • चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ [6]Divya Kakran Blo |
शैक्षिक योग्यता | शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान (बीपीईएस) |
धर्म | हिन्दू [7]Instagram |
विवाद | • वर्ष 2018 में दिव्या ने दिल्ली सरकार से आर्थिक मदद मांगी; हालांकि, उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल सका। बाद में दिल्ली सरकार द्वारा एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले एथलीटों को सम्मानित करने के एक कार्यक्रम के दौरान दिव्या ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आलोचना की। [8]The Times of India • 11 अगस्त 2022 को दिल्ली सरकार ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 की विजेता दिव्या काकरान को नकद पुरस्कार से सम्मानित करने से इनकार कर दिया। दिल्ली सरकार ने यह कहते हुए उन्हें सम्मानित करने से मना कर दिया क्योंकि उन्होंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था न कि दिल्ली का। दिव्या के अनुसार, दिल्ली सरकार द्वारा उन्हें कोई मदद नहीं दिए जाने के बाद वह उत्तर प्रदेश चली गईं। आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, "वह दिल्ली में रहती हैं, लेकिन 2016-17 तक केवल राष्ट्रीय राजधानी का प्रतिनिधित्व करती हैं। सीएम केजरीवाल ने 2018 में उन्हें सम्मानपूर्वक बुलाया था। हमने हमेशा उनका सम्मान किया है, लेकिन हम उन्हें नकद इनाम नहीं दे सकते क्योंकि उन्होंने यूपी का प्रतिनिधित्व किया था" जिस पर दिव्या ने जवाब दिया, "पिछले 22 सालों से, मैं गोलकपुर में हूं। मेरे पिता ने किसी तरह मुझे यहां कुश्ती की ट्रेनिंग दिलाने में कामयाबी हासिल की। मैंने लड़कों के साथ प्रतिस्पर्धा करके पैसा कमाया लेकिन दिल्ली सरकार ने मुझे किसी भी तरह की सहायता नहीं दी। मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, इसलिए मैं यूपी चली गई। इससे पहले मैंने दिल्ली के लिए कई मेडल जीते थे।" [9]Mint |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
बॉयफ्रेंड | सचिन प्रताप (फिटनेस मॉडल) |
सगाई | 25 जनवरी 2022 (मंगलवार) |
मंगेतर | सचिन प्रताप (फिटनेस मॉडल) |
परिवार | |
पति | लागू नहीं |
माता/पिता | पिता- सूरजवीर सेन (लंगोट विक्रेता) माता- संयोगिता सेन (लंगोट सिलती हैं - सूती लंगोटी जो सभी भारतीय पहलवान पहनते हैं) दादा- राजिंदर सिंह दादी- प्रेमवती |
भाई/बहन | भाई- 2 • देव सेन • दीपक सैनी |
पसंदीदा चीजें | |
संत | महर्षि दयानंद सरस्वती |
खाना | सरसो का साग |
फिल्म | भाग मिल्खा भाग (2013) |
अभिनेता | गोविंदा और सन्नी देओल |
अभिनेत्री | हेमा मालिनी |
धन संपत्ति सम्बंधित विवरण |
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कार संग्रह | • मारुति सुजुकी बलेनो • मारुति सेलेरियो वीएक्सआई |
दिव्या काकरान से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
- दिव्या काकरान एक भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं। उन्होंने विभिन्न कुश्ती प्रतियोगिताओं में 70 से अधिक पदक जीते हैं, जिसमें 17 स्वर्ण शामिल हैं जो उन्होंने दिल्ली राज्य चैम्पियनशिप में जीते थे। उन्हें आठ बार ‘भारत केसरी’ की उपाधि से भी नवाजा जा चुका है।
- वर्ष 1990 में उनके पिता सूरजवीर सेन एक सफल पहलवान बनने के लिए दिल्ली आए; हालाँकि, उन्हें वांछित सफलता नहीं मिली और वह अपने पैतृक गाँव लौट गए, जहाँ उन्होंने दूध बेचना शुरू किया, लेकिन यह व्यवसाय भी विफल रहा। बाद में वह फिर से दिल्ली चले गए, जहाँ उनकी पत्नी ने लंगोट सिलाई का काम शुरू किया, जो एक अंडरगारमेंट है जिसे आमतौर पर भारत में पुरुष पहलवानों द्वारा पहना जाता है। सूरजवीर ने इन लंगोटों को दंगल (कुश्ती के मैच) में बेचना शुरू किया और वह अपने बेटे देव सेन और बेटी दिव्या काकरान को इन कुश्ती मैचों में लाते थे, जहाँ दिव्या अपने भाई के साथ पहलवानों की अलग-अलग चालों को देखती थी और घर पर वह इसका अभ्यास करती थी।
- उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा पहलवान बने और दिव्या अक्सर अपने भाई को विभिन्न कुश्ती मैचों के दौरान देखती रहती थी। दिव्या के अनुसार, उन्होंने आठ साल की उम्र में कुश्ती का अभ्यास करना शुरू कर दिया था। उनकी प्रतिभा पर पहली बार ध्यान दिया गया था जब उन्होंने 2010 में एक कुश्ती मैच में एक लड़के को हराया था।
- एक साक्षात्कार में दिव्या ने अपने परिवार की खराब वित्तीय स्थिति के बारे में बात की और याद किया कि कैसे वह 15 रूपये के ग्लूकोज के एक पैकेट का सेवन करने के बाद कुश्ती मैचों में प्रतिस्पर्धा की थी।
- दिव्या के मुताबिक उनकी सारी सफलता का श्रेय उनके भाई को जाता है। वह कहती है उन्होंने अपनी शिक्षा, कुश्ती करियर और सब कुछ मेरे लिए छोड़ दिया। मुझे कभी-कभी लखनऊ में कुश्ती शिविरों में जाना पड़ता है जो दो-तीन महीने तक चलता है। मुझे शिविर के लिए छात्रावासों में आवास मिलता है, लेकिन मेरा भाई मेरे साथ रहने के लिए होटल के कमरों में रहता है।
- वर्ष 2011 में 13 साल की उम्र में उन्होंने हरियाणा में आयोजित ग्रामीण खेलों में कांस्य जीता। उसी वर्ष उन्होंने राजीव गोल्ड कप और राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में रजत पदक जीते।
- वर्ष 2012 में 14 साल की उम्र में उन्होंने भरतपुर, राजस्थान में आयोजित राजस्थान केसरी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता।
- वर्ष 2013 में उन्होंने मंगोलिया में आयोजित एशियाई चैम्पियनशिप में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता।
- उसी वर्ष उन्होंने सर्बिया में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप में पाँचवाँ स्थान हासिल किया। कथित तौर पर फाइनल में उनके प्रतिद्वंद्वी ने उन्हें गलत तरीके से मुक्का मारा, जिसके बाद उन्हें कुश्ती प्रतियोगिताओं से दो साल का ब्रेक लेना पड़ा।
- 2020 और 2021 में वह एशियाई चैंपियनशिप में लगातार दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इससे पहले भारतीय पहलवान सरिता मोर ने 59 किग्रा वर्ग कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीता था।
- वर्ष 2018 में उन्होंने हरियाणा के भिवानी में आयोजित एक कुश्ती कार्यक्रम में भारत केसरी का खिताब जीता; उन्होंने फाइनल में रितु मलिक को हराया था। इसी प्रतियोगिता में उन्होंने गीता फोगट को हराया था। दिव्या काकरान 8 बार भारत केसरी का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं।
- दिव्या के अनुसार अपने कुश्ती करियर के शुरुआती दौर में उन्हें अपनी मां के गहने बेचने पड़े थे, ताकि वह अपने खेल के लिए बंदोबस्त कर सकें। राष्ट्रीय खेलों में 1 लाख; हालाँकि, बाद में उन्होंने कई कुश्ती मैच जीतने के बाद गहने वापस ले लिया था।
- दिव्या के मुताबिक वह रोजाना करीब दो हजार सिट-अप्स की प्रैक्टिस करती हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई प्रमुख हस्तियां अक्सर दिव्या की उपलब्धियों के लिए उनकी प्रशंसा करती हैं।