Gulzar Biography in Hindi | गुलज़ार जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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वास्तविक नाम | संपूर्ण सिंह कालरा |
उपनाम | गुलजार दिनवी (बाद में सिर्फ "गुलज़ार") |
व्यवसाय | कवि, गीतकार और फिल्म निर्देशक |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 168 मी०- 1.68 फीट इन्च- 5’ 6” |
वजन/भार (लगभग) | 65 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | गहरा भूरा |
बालों का रंग | श्वेत |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 18 अगस्त 1934 |
आयु (2017 के अनुसार ) | 81 वर्ष |
जन्मस्थान | दीना, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राशि | सिंह |
हस्ताक्षर | |
गृहनगर | मुंबई, भारत |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | ज्ञात नहीं |
शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
डेब्यू | एक गीतकार के रूप में : फिल्म - बंदिनी (1963) एक फिल्म निर्देशक के रूप में : फिल्म - मेरे अपने (1971) एक टीवी निर्देशक के रूप में : मिर्जा ग़ालिब (1988) |
परिवार | पिता : मक्खन सिंह कालरा माता : सुजान कौर भाई : ज्ञात नहीं बहन : ज्ञात नहीं |
धर्म | सिख |
पता | पंचशील सोसाइटी, नरगिस दत्त रोड, पाली हिल रोड, बांद्रा वेस्ट, मुंबई - 400050 |
शौक | किताबें पढ़ना और लिखना, यात्रा करना |
पुरस्कार/सम्मान | वर्ष 1972: फिल्म कोशिश के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1975 : फिल्म आंधी के लिए सर्वश्रेष्ठ मूवी के रूप में फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1976 : फिल्म मौसम के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1978 : फिल्म घरोंदा के गीत "दो दीवाने शहर में" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1980 : फिल्म गोलमाल के गीत "आनेवाला पल जाने वाला है" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1981 : फिल्म थोड़ी सी बेवफ़ाई के गीत "हज़ार राहें मुड़ के देखी" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1984 : फिल्म मासूम के गीत "तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1988 : फिल्म इजाजत के गीत "मेरा कुछ सामान" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1990 : सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र उस्ताद अमजद अली खान के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 1991: फिल्म लेकिन... के गीत "यारा सिली सिली" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1992 : फिल्म लेकिन... के गीत "यारा सिली सिली" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1996 : फिल्म माचिस के लिए सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1999 : फिल्म दिल से .. के गीत "छैय्याँ छैय्याँ" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2002 : उर्दू फिल्म "धुआं" के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2003 : फिल्म साथिया के गीत "साथिया" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2004 : में, पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2006 : फिल्म बंटी और बबली के गीत "कजरा रे" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2008 : फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत "जय हो" के लिए सर्वश्रेष्ठ मूल गीत के रूप में अकादमी (ऑस्कर) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2010 : फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत "जय हो" के लिए एक मोशन पिक्चर, टेलीविज़न या अन्य विज़ुअल मीडिया के लिए लिखित सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए ग्रैमी अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। वर्ष 2011 : फिल्म इश्किया के गीत "दिल तो बच्चा है जी" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 : फिल्म जब तक है जान के गीत "छल्ला" के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 : कवि, गीतकार और फिल्म निर्देशक के रूप में फिल्म उद्योग में अहम योगदान देने के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। |
विवाद | • 70 के दशक के मध्य में, आपातकाल के दौरान उनकी फिल्म आंधी विवादास्पद हो गई, क्योंकि फिल्म में नायिका का चरित्र तत्कालीन सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समान था, जिसके चलते वह फिल्म विवादों में रही। • वर्ष 2010 में, एक समारोह के दौरान गुलज़ार चेतन भगत के ऊपर भड़क उठे। हुआ यूं कि चेतन भगत ने जैसे ही यह कहा कि "मुझे गुलज़ार साहब द्वारा लिखा गया कजरारे गीत बहुत पसंद आया। यह वास्तव में एक अच्छी कविता थी।" गुलज़ार चेतन भगत का यह अंदाज रास नहीं आया और माइक्रोफोन उठाकर उन्होंने कहा कि "चेतन, मुझे खुशी है कि आप जैसे मशहूर लेखक को यह गाना पसंद आया। लेकिन मुझे नहीं लगता कि आप वास्तव में उस कविता को समझ पाए हैं, जिसकी आप बात कर रहे हैं। मैं उस गीत की दो पंक्तियाँ सुनाऊंगा और आप मुझे उसका अर्थ समझाएं"गुलजार ने चेतन भगत -"तेरी बातों मं कीमाम की खुशबु हो/ तेरा आना भी गर्मियों की लू है।" यह कहने के बाद चेतन भगत पर एक तीक्ष्ण दृष्टि डाली और कहा,"कृपया उन चीजों के बारे बयान न दें जिनका आपको ज्ञान नहीं हैं। सिर्फ उसी बात पर टिप्पणी करें जिनका आपको ज्ञान हैं।" जब गुलजार यह सब कह रहे थे तब चेतन भगत उनकी और देखकर घबरा गए। |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा लेखक | रबीन्द्रनाथ टैगोर |
पसंदीदा पुस्तक | "The Gardener" by Rabindra Nath Tagore |
पसंदीदा अभिनेत्री | राखी |
पसंदीदा गायक | किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मोहित चौहान और रेखा भारद्वाज |
पसंदीदा गीतकार | शैलेन्द्र और साहिर लुधियानवी |
पसंदीदा फिल्म निर्माता | बिमल रॉय |
पसंदीदा फिल्म निर्देशक | एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, ए. आर. रहमान और विशाल भारद्वाज |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | बेटी के पैदाइश के बाद दोनों अलग हो गए। (हालांकि, गुलजार और राखी ने कभी एक दूसरे को कभी तलाक नहीं दिया है) |
गर्लफ्रेंड एवं अन्य मामले | मीना कुमारी |
पत्नी | राखी (अभिनेत्री) |
विवाह तिथि | 15 मई 1973 |
बच्चे | बेटा : ज्ञात नहीं बेटी : मेघना गुलजार (बॉस्की) |
गुलज़ार से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- क्या गुलज़ार धूम्रपान करते हैं ? ज्ञात नहीं
- क्या गुलज़ार शराब पीते हैं ? ज्ञात नहीं
- उनका जन्म ब्रिटिश भारत के एक सिख परिवार में हुआ।
- भारत विभाजन के बाद, वह दिल्ली चले गए।
- एक लेखक बनने से पहले उन्होंने बॉम्बे (अब मुंबई) में एक मोटर गैराज में एक छोटे मकैनिक के रूप में कार्य किया। जहां वह दुर्घटनाग्रस्त कारों को पेंट करने का कार्य करते थे।
- वह हमेशा पढ़ना पसंद करते थे। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि “एक बार किसी ने उन्हें रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा “द गार्डनर” नामक एक पुस्तक दी और उस पुस्तक का इस तरह असर हुआ कि उन्होंने एक लेखक बनने का फैसला किया।”
- शुरुआत में, उनके पिता एक लेखक बनने से खुश नहीं थे।
- उन्होंने अपना पेन नाम “गुलजार दिनवी” से सिर्फ “गुलजार” रख लिया।
- उन्होंने अपने बॉलीवुड करियर को फिल्म निर्देशक बिमल रॉय और ऋषिकेश मुखर्जी के साथ शुरू किया।
- वह सचिन देव बर्मन ही थे, जिन्होंने उन्हें फिल्म बंदिनी (1963) में एक गीतकार के रूप में एक अवसर दिया था।
- फिल्म बंदिनी (1963) के अधिकांश गीत शैलेंद्र द्वारा लिखे गए थे। हालांकि, उन्हें गीत “मोरा गोरा अंग लईले” को लिखने के लिए अनुरोध किया गया, जिसे लता मंगेशकर द्वारा गाया गया।
- फिल्म ख़ामोशी (1969) के गीत “हमने देखीं है उन आँखों की महकती खुशबू” के बाद वह फिल्म उद्योग में काफी लोकप्रिय हो गए।
- उन्होंने वर्ष 1971 की फिल्म गुड्डी के लिए दो गाने लिखे थे। जिनमें से एक “हमको मन की शक्ति देना” एक प्रार्थना थी, जिसे अभी भी भारत के कई स्कूलों में गाया जाता है।
- गुलजार बचपन से ही बंगला संस्कृति के बहुत करीब रहे हैं। एक साक्षात्कार में, उन्होंने बताया कि बंगला संस्कृति के लिए उनका प्रेम बिमल रॉय और ऋषिकेश मुखर्जी के साथ प्रदर्शित हुआ, जिन्हे वह अपना गुरु मानते हैं।
- वर्ष 1973 में, उन्होंने राखी से शादी की, जब दोनों फिल्मजगत में अपने करियर के शिखर पर थे।
- गुलजार प्रसिद्ध संगीत निर्देशक राहुल देव बर्मन के बहुत करीबी थे।
- उन्होंने कई संगीत निर्देशकों जैसे कि एस. डी. बर्मन, हेमंत कुमार, शंकर जयकिशन, मदन मोहन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, अनु मलिक, राजेश रोशन, ए. आर. रहमान, विशाल भारद्वाज, इत्यादि के साथ कार्य किया है।
- मणी रत्नम की वर्ष 2007 की हिंदी फिल्म “गुरु” के लिए गीत “ऐ हैराथे आशिकी” को लिखने के लिए गुलज़ार ने अमीर खुसरों की “आइ सरबाथ आशिकी” से प्रेरणा ली।
- फिल्म दिल से .. में उनका बहुत लोकप्रिय गीत “छैंय्या छैंय्या” कवि बुले शाह द्वारा सूफी लोक गीत “थाईया थाईया” पर आधारित है।
- गुलजार ने आनंद, आशीर्वाद, खामोशी, आदि जैसी कई फिल्मों के लिए संवाद भी लिखे हैं।
- उन्होंने कई फिल्मों का भी निर्देशन भी किया है, जिसमें अंगूर (1982) शामिल है, जो शेक्सपियर के नाटक “कॉमेडी ऑफ एरर्स” पर आधारित थी।
- उन्होंने मिर्जा गालिब (नसीरुद्दीन शाह अभिनीत), तहरीर मुंशी प्रेमचंद की (प्रेमचंद के उपन्यासों के बारे में), आदि कुछ टीवी श्रृंखलाओं का भी निर्देशन किया है।
- उनके द्वारा लिखे गए लोकप्रिय गीतों को लता मंगेशकर, किशोर कुमार और आशा भोसले ने गाए हैं।
- उनकी कविता की भाषा मूल रूप से उर्दू और पंजाबी रहीं है। हालांकि, वह हिंदी के कई बोलियों में भी लिखते हैं, जैसे खड़ीबोली, ब्रज भाषा, मारवाड़ी और हरियाणवी, इत्यादि।
- उनकी अधिकतर कविताएं त्रिवेणी शैली में हैं।
- गुलजार की कविताओं को 3 संकलन में प्रकाशित किया गया है – रात पश्मीना की, चांद पुखराज का और पंद्रह पांच पचहत्तर।
- गुलजार ने शांति अभियान (अमन की आशा) के लिए “नज़र में रहते हो” गीत को लिखा था, जिसे भारत और पाकिस्तान के अग्रणी मीडिया हाउसों द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किया गया था। यह गीत राहत फतेह अली खान और शंकर महादेवन ने रिकॉर्ड किया था।
- गुलजार ने गज़ल विशेषज्ञ जगजीत सिंह की एल्बम मारसीम (1999), और कोई बात चले (2006) के लिए गज़लें लिखी हैं।
- उन्होंने एलिस इन वंडरलैंड, गुच्चे, हैलो जिंदगी, पोटली बाबा की, आदि जैसी कई टीवी श्रृंखलाओं के लिए संवाद और गीत लिखे हैं।
- उन्होंने जंगल बुक के लिए प्रसिद्ध गीत “चड्डी पहन के फूल खिला है” को भी लिखा है।
- यहां गुलजार के जीवन और उनकी कविता की एक झलक है: