Manish Narwal Biography in Hindi | मनीष नरवाल जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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व्यवसाय | भारतीय एयर पिस्टल पैरा शूटर (निशानेबाज) |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 171 मी०- 1.71 फीट इन्च- 5’ 6” |
आँखों का रंग | भूरा |
बालों का रंग | काला |
शूटिंग | |
मौजूदा टीम | इंडिया |
कोच | • राकेश ठाकुर • जयप्रकाश नौटियाल |
पुरस्कार/उपलब्धियां | वर्ष 2020 में उन्हें भारत सरकार द्वारा "अर्जुन पुरस्कार" से सम्मानित किया गया। |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 17 अक्टूबर 2001 (बुधवार) |
आयु (2021 के अनुसार) | 20 वर्ष |
जन्मस्थान | फरीदाबाद, हरियाणा, भारत |
राशि | तुला (Libra) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | कथूरा गांव, सोनीपत, हरियाणा |
स्कूल/विद्यालय | कुंदन ग्रीन वैली स्कूल, फरीदाबाद, हरियाणा |
कॉलेज/विश्वविद्यालय | फरीदाबाद कॉलेज [1]Hindustan Times |
शैक्षिक योग्यता | बीए [2]Hindustan Times |
शौक/अभिरुचि | फूटबाल खेलना और मूवी देखना |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
बॉयफ्रेंड | ज्ञात नहीं |
परिवार | |
पति | लागू नहीं |
माता/पिता | पिता- दिलबाग सिंह नरवाल माता- संतोष नरवाल दादा- चौधरी दलीप सिंह नरवाल |
भाई | भाई- 2 • मंजीत नरवाल • शिवा नरवाल (शूटर) |
बहन | सिख नरवाल (शूटर) |
पसंदीदा चीजें | |
खिलाड़ी | • उसैन बोल्ट • लियोनेल मेस्सी |
खेल | • फूटबाल • बैटमिंटन • एथलेटिक्स • कुश्ती |
मनीष नरवाल से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- मनीष नरवाल SH1 श्रेणी के एक भारतीय एयर पिस्टल पैरा-शूटर हैं जिन्हें 2020 टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के लिए जाना जाता है।
- वह सोलह साल की छोटी सी उम्र में अपने शानदार प्रदर्शन के साथ सुर्खियों में आए, जब उन्होंने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय खेल में स्वर्ण पदक जीता।
- जन्म से ही उनका दाहिना हाथ क्षतिग्रस्त था जिसके परिणामस्वरूप उन्हें पदक स्वीकार करते हुए भी इस हाथ को उठाने में कठिनाई होती है। एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया-
मैंने देखा कि जब मैं पहली कक्षा में था तब मैं अलग था। मेरे दाहिने हाथ में कुछ गड़बड़ थी। मुझे बहुत रोना आया। मुझे लोगों के सामने रहने में डर लगता था।”
- वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। बचपन से ही वह फुटबॉलर बनना चाहते थे, लेकिन विकलांगता के कारण वह फुटबॉल में भाग नहीं ले सके।
- वर्ष 2016 में उनके एक पारिवारिक मित्र ने उनके पिता को उन्हें बल्लभगढ़ शूटिंग अकादमी में दाखिला करवाने का सुझाव दिया। जिसके बाद उनके पिता सहमत हो गए और उनका दाखिला बल्लभगढ़ शूटिंग अकादमी में करवा दिया। लेकिन उनके पास पिस्टल खरीदने तक के पैसे नहीं थे तब उन्हें पिस्टल खरीदने के लिए अपने रिश्तेदारों से पैसा उधार लेना पड़ा।
- मनीष ने बाद में खुलासा किया-
मेरे पिता ने मुझे शूटिंग करने का सुझाव दिया क्योंकि यह मेरे स्वभाव के अनुकूल था और इसे आजमाने के बाद, मुझे शूटिंग पसंद आई और मैंने इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्तिगत खेल में, मैं अपने भाग्य का मालिक बनूंगा और किसी की गलतियों की जिम्मेदारी नहीं लूंगा।”
- इस सुझाव ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया और उन्हें खेल में जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उनके पहले कोच राकेश ठाकुर ने एक इंटरव्यू में कहा-
जब वह मेरी अकादमी में आया तो वह 13 साल का था। उसे शूटिंग पसंद करने में कुछ समय लगा। वह कुछ दिनों तक शूटिंग करता और वापस नहीं आता। मैं उसके पिता को जानता हूं, इसलिए मैं उसे वापस बुलाऊंगा। 2016 में वह दिलचस्पी लेना शुरू किया। विकलांग बच्चों के लिए शुरुआत में दूसरों के साथ घुलना-मिलना मुश्किल होता है। पहले तो उसे पढ़ाना मुश्किल था क्योंकि उसका बायां हाथ काम नहीं करता था और दूसरे हाथ से संतुलन नहीं बन पाता था। वह केवल अपनी उंगलियों को थोड़ा सा हिला सकता था। इसलिए तकनीक सीखने में कुछ समय लगा।”
- अपने शुरुआती दिनों के दौरान वह पैरा-स्पोर्ट्स और पैरालंपिक जैसे खेलों से अनजान थे। उन्हें बचपन से ही खेल के प्रति काफी रूचि थी जिसके चलते उन्होंने खेल में जाने का फैसला किया। उन्होंने अपने शूटिंग की प्रैक्टिस बाएं हाथ से की। वह सुबह करीब 4 बजे उठते थे और फिजिकल वर्कआउट के बाद अपनी शूटिंग एकेडमी में चले जाते थे। करीब 15 घंटे की प्रैक्टिस के बाद वह घर आते थे।
- एक बार अभ्यास करते समय भारतीय पैरा-शूटिंग टीम के निदेशक जय प्रकाश नौटियाल ने उन्हें सटीक लक्ष्यों का अभ्यास करते हुए देखा। जिसके बाद उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें प्रशिक्षित करने का फैसला किया।
- जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे उनके प्रदर्शन में सुधार आता गया। उन्होंने जल्द ही अपनी किशोरावस्था में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतना शुरू कर दिया।
- नवंबर 2017 में उन्हें बैंकॉक (थाईलैंड) में होने वाले वर्ल्ड कप शूटिंग पैरा स्पोर्ट के लिए चुना गया। यह पहली बार था जब वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे थे। उन्होंने P1- 10 मीटर एयर पिस्टल मेन SH1 में स्वर्ण पदक जीता। इसके साथ ही उस स्पर्धा में भारत के पास कुल पदकों की संख्या 14 हो गई।
- वर्ष 2018 में उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के अल ऐन में आयोजित विश्व कप शूटिंग पैरा स्पोर्ट में रजत पदक जीता। उन्होंने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 श्रेणी में 234.6 का स्कोर हासिल किया।
- अक्टूबर 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित एशियाई पैरा खेल की तीसरी प्रतियोगिता में 43 देशों ने भाग लिया। जिसमें से 302 भारत के खिलाड़ी शामिल हुए थे। मनीष नरवाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल पुरुषों की पैरा शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता और जूनियर वर्ग का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा। साथ ही उन्होंने P4- मिश्रित 50 मीटर फ्री पिस्टल श्रेणी में रजत पदक जीता, जो भारत की पदक तालिका में 72वां पदक था। इसके साथ ही उन्होंने 2020 टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई किया।
- वर्ष 2019 में उन्होंने क्रोएशिया में आयोजित विश्व कप P1, P4 और P6 टीम स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक और P1 व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक जीता।
- 2019 में सिडनी में आयोजित विश्व पैरा-शूटिंग चैंपियनशिप में सिंहराज अधाना और आकाश के साथ उन्होंने मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल SH1 इवेंट में कांस्य पदक जीता। इसी इवेंट में उन्होंने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 और मिश्रित 50 मीटर पिस्टल SH1 श्रेणियों में दो कांस्य पदक जीते।
- उन्होंने तीन बार के विश्व चैंपियन ईरान के सरेह जावनमर्डी और सिंहराज अधाना को हराकर मिश्रित 50 मीटर पिस्टल एसएच1 व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और साथ ही सर्बिया के रस्तको जोकिक के 228.6 के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 229.1 के साथ एक नया रिकॉर्ड कायम किया। मनीष नरवाल ने सिंहराज अधाना और राहुल जाखड़ के साथ मिलकर P4- मिश्रित 50 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में रजत पदक जीता।
- 2020 टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद जब वह अपने पैतृक गांव लौटकर आए तो घर में जश्न का माहौल रहा और गांव के निवासियों ने उनके घर पर एकत्र होकर उनके 95 वर्षीय दादा को माला पहनाकर उन्हें बधाई दी। जिसेक बाद उनके दादाजी ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा-
यह मेरे लिए सबसे खुशी का पल है। हमारे गांव के लोगों ने मेरे पोते के विदेश से लौटने के बाद उसका अभिनंदन करने का फैसला किया है।”
- मैच के बाद मनीष नरवाल ने एक इंटरव्यू में कहा-
मैं स्वर्ण पदक से बहुत खुश हूं। यह एक गहन प्रतियोगिता थी और अच्छा आना बहुत कठिन था। एयर पिस्टल स्पर्धा के बाद मैं थोड़ा निराश था लेकिन मेरे कोचों ने मेरे साथ रहे और मैं आज अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम रहा।”
उन्होंने आगे कहा-
मैं वास्तव में खुश हूं कि मैं दोनों शीर्ष में रहे और अपने देश के लिए स्वर्ण और रजत पदक जीतने में कामयाब रहा। जब राष्ट्रगान बजाया गया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। यह मेरे लिए बहुत बड़ा पल था और मैं इसे हमेशा संजो कर रखूंगा। कोई भावना इसकी बराबरी नहीं कर सकती। मैं अभी 19 साल का हूं और मुझे बहुत आगे जाना है। लेकिन मैं एक स्वर्ण पदक से संतुष्ट नहीं बैठूंगा। मैं कम से कम 4 से 5 पैरालंपिक खेल सकता हूं और मुझे यकीन है कि मैं हर इवेंट में पदक के साथ वापसी करूंगा।”
- 2020 टोक्यो पैरालंपिक में उनके ऐतिहासिक जीत के बाद, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें 6 करोड़ रुपये और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की। मनीष नरवाल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, कोच और उन सभी नागरिकों को देते हैं जिन्होंने उनको प्रोत्साहित किया।
सन्दर्भ
↑1, ↑2 | Hindustan Times |
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