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Pramod Bhagat Biography in Hindi | प्रमोद भगत जीवन परिचय

प्रमोद भगत से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ प्रमोद भगत एक पेशेवर भारतीय पैरा-बैटमिंटन खिलाड़ी हैं जो 2020 टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाने जाते हैं। साथ ही टोक्यो पैरालंपिक बैटमिंटन पुरुष एकल SL3 श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतने के लिए भी जाने जाते हैं। प्रमोद भगत पैरा-बैडमिंटन पुरुष एकल SL3 श्रेणी में 1 और BWF में 5 बार विश्व चैंपियन रह चुके हैं। प्रमोद भगत का पालन-पोषण बिहार के वैशाली जिले के एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता कैलाश भगत एक किसान हैं और उनकी माता कुसुम देवी एक गृहणी हैं। प्रमोद भगत को बचपन से ही खेल के प्रति काफी लगाव था। लेकिन 5 साल की उम्र में ही उनके बाएं पैर में पोलियो हो गया। जिसकी वजह से वह विकलांगता का शिकार हो गए। हालांकि प्रमोद ने अपनी विकलांगता को अपने रास्ते में नहीं आने दिया और वह विभिन्न खेलों का अभ्यास करते रहे, बड़े होते-होते प्रमोद ने बैटमिंटन की ओर अपनी गहरी रूचि विकसित की, लेकिन घर की खराब स्थिति के कारण उनके खेल अभ्यास में बाधाएं आने लगी। हालांकि उन्होंने पास के एक स्थानीय बाजार से 10 रुपये में खरीदे गए रैकेट के साथ बैडमिंटन खेलना शुरू किया। प्रमोद ने कड़ी मेहनत कर बैटमिंटन का कुशल अभ्यास किया। जिससे उन्हें जिला स्तर और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में खेलने के कई अवसर प्राप्त हुए। वर्ष 2006 में प्रमोद भगत ने FESCPIC खेलों में प्रतिस्पर्धा करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू किया जिसे वर्तमान समय में एशियाई पैरा खेलों के रूप में…

जीवन परिचय
व्यवसाय भारतीय पेशेवर पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी
जाने जाते हैं2020 टोक्यो पैरालंपिक बैडमिंटन खेल में स्वर्ण पदक जीतने के लिए
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 165
मी०- 1.65
फीट इन्च- 5’ "5"
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला
बैटमिंटन
मौजूदा टीमइंडिया
अंतर्राष्ट्रीय डेब्यूबीडब्ल्यूएफ पैरा बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप 2013
इवेंट• पैरालंपिक खेल
• विश्व चैंपियनशिप
• एशियाई पैरा खेल
हैंडेडनेसबाएं हाथ के खिलाड़ी
कोच• शीबा प्रसाद दास

• गौरव खन्ना
पदकगोल्ड मेडल
• वर्ष 2013 में जर्मनी में आयोजित विश्व चैंपियनशिप (पुरुष युगल) में
• वर्ष 2015 में इंग्लैंड में आयोजित विश्व चैंपियनशिप (पुरुष एकल) में
• वर्ष 2018 में इंडोनेशिया में आयोजित एशियाई पैरा गेम्स (पुरुष एकल) में
• वर्ष 2019 में स्विट्जरलैंड में आयोजित विश्व चैंपियनशिप (पुरुष एकल) में
• वर्ष 2019 में स्विट्जरलैंड में आयोजित विश्व चैंपियनशिप (पुरुष युगल) में
• वर्ष 2020 में जापान में आयोजित टोक्यो पैरालंपिक खेल (पुरुष एकल) में

सिल्वर मेडल
• वर्ष 2015 में इंग्लैंड में आयोजित विश्व चैंपियनशिप (पुरुष युगल) में

कांस्य पदक
• वर्ष 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियाई पैरा गेम्स (पुरुष एकल) में
• वर्ष 2017 में दक्षिण कोरिया में आयोजित विश्व चैंपियनशिप (पुरुष एकल) में
• वर्ष 2018 में इंडोनेशिया में आयोजित एशियाई पैरा गेम्स (पुरुष युगल) में

नोट: प्रमोद भगत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 46 से अधिक पदक जीत चुके हैं।
पुरस्कार/उपलब्धियाँ• वर्ष 2019 में प्रमोद भगत को भारत सरकार द्वारा "अर्जुन" पुरस्कार से नवाजा गया।

• वर्ष 2019 में ओडिशा सरकार द्वारा "बीजू पटनायक खेल पुरस्कार" से सम्मानित किया गया।
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 4 जून 1988 (शनिवार)
आयु (2020 के अनुसार)33 वर्ष
जन्मस्थान हाजीपुर, वैशाली, बिहार, भारत
राशि मिथुन (Gemini)
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर भुवनेश्वर, उड़ीसा
स्कूल/विद्यालयस्थानीय स्कूल नोएडा
कॉलेज/विश्वविद्यालय(आईटीआई) औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भुवनेश्वर [1]Orissa Post
शौक/अभिरुचिपढ़ना और बागवानी करना
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
गर्लफ्रेंडज्ञात नहीं
परिवार
पत्नीलागू नहीं
माता/पितापिता- कैलाश भगत (किसान)
माता- कुसुम देवी (किसान)
भाईभाई- शेखर भगत
बहनबहन- 2
• चंदन देवी
• किशुनी देवी
पसंदीदा चीजें
खेलक्रिकेट
वाक्य"ऊंचाई पर पहुंचने की तुलना में वहां बने रहना अधिक कठिन है।"
धन/संपत्ति सम्बंधित विवरण
बाइकटीवीएस अपाचे आरटीआर 160
कार संग्रहटाटा कार

प्रमोद भगत से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • प्रमोद भगत एक पेशेवर भारतीय पैरा-बैटमिंटन खिलाड़ी हैं जो 2020 टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाने जाते हैं। साथ ही टोक्यो पैरालंपिक बैटमिंटन पुरुष एकल SL3 श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतने के लिए भी जाने जाते हैं।
  • प्रमोद भगत पैरा-बैडमिंटन पुरुष एकल SL3 श्रेणी में 1 और BWF में 5 बार विश्व चैंपियन रह चुके हैं।
  • प्रमोद भगत का पालन-पोषण बिहार के वैशाली जिले के एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता कैलाश भगत एक किसान हैं और उनकी माता कुसुम देवी एक गृहणी हैं। प्रमोद भगत को बचपन से ही खेल के प्रति काफी लगाव था। लेकिन 5 साल की उम्र में ही उनके बाएं पैर में पोलियो हो गया। जिसकी वजह से वह विकलांगता का शिकार हो गए। हालांकि प्रमोद ने अपनी विकलांगता को अपने रास्ते में नहीं आने दिया और वह विभिन्न खेलों का अभ्यास करते रहे, बड़े होते-होते प्रमोद ने बैटमिंटन की ओर अपनी गहरी रूचि विकसित की, लेकिन घर की खराब स्थिति के कारण उनके खेल अभ्यास में बाधाएं आने लगी। हालांकि उन्होंने पास के एक स्थानीय बाजार से 10 रुपये में खरीदे गए रैकेट के साथ बैडमिंटन खेलना शुरू किया। प्रमोद ने कड़ी मेहनत कर बैटमिंटन का कुशल अभ्यास किया। जिससे उन्हें जिला स्तर और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में खेलने के कई अवसर प्राप्त हुए।
  • वर्ष 2006 में प्रमोद भगत ने FESCPIC खेलों में प्रतिस्पर्धा करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू किया जिसे वर्तमान समय में एशियाई पैरा खेलों के रूप में जाना जाता है लेकिन वह अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की अच्छी शुरुआत नहीं कर पाए और पहले ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट से बाहर हो गए।
  • प्रमोद भगत पहली बार वर्ष 2013 में सुर्खियों में आए, जब उन्होंने जर्मनी के डॉर्टमुंड में आयोजित पुरुष युगल वर्ग में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। साथ ही अपने युगल साथी मनोज सरकार के साथ फाइनल मैच में जापानी जोड़ी ताकू हिरोई और तोशियाकी सुएनागा को 21-15, 10-21, 21-18 के स्कोर से हराकर मैच जीता।
  • इसके बाद वर्ष 2014 में उन्होंने एशियाई पैरा खेलों में भाग लिया और भारत के लिए एक और कांस्य पदक जीता।
  • वर्ष 2015 में प्रमोद भगत को BWF विश्व चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया और उन्होंने पुरुष एकल वर्ग में वियतनाम के फाम डुक ट्रुंग को हराकर स्वर्ण पदक जीता। प्रमोद ने अपने युगल साथी तरुण ढिल्लों के साथ रजत पदक जीता और साथ ही 21-7, 14-21, 6-21 के स्कोर के साथ मैच जीता।
  • वर्ष 2018 में प्रमोद भगत ने एशियाई पैरा खेलों में पुरुष एकल SL3 में स्वर्ण पदक और पुरुषों के डबल SL3-SL4 वर्ग में रजत पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। एशियाई पैरा खेलों में दो पदक जीतने के बाद प्रमोद भगत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी।

  • प्रमोद भगत के करियर में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने 2019 में स्विट्जरलैंड के बासेल में आयोजित बीडब्ल्यूएफ पैरा-बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया। जहां उन्होंने एसएल3 पुरुष एकल और युगल वर्ग में दो स्वर्ण पदक जीते। जिसके बाद उन्हें जबरदस्त पहचान और सराहना मिली।
  • बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल जीतने के बाद ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने प्रमोद भगत को 30.95 लाख रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • वर्ष 2021 में प्रमोद भगत के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 2020 टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया। प्री-मैच इंटरव्यू के दौरान प्रमोद ने अपनी उम्मीदों को इस तरह व्यक्त किया-

    जहां पहली बार पैरा-बैडमिंटन पेश किया जा रहा है – केवल एक चीज है जो मुझे अब तक नहीं मिली है। यह एक कठिन टूर्नामेंट होने जा रहा है, लेकिन मैं एक स्वर्ण जीतने और भारत और अपने आसपास के सभी लोगों को गौरवान्वित करने की सोची-समझी प्रक्रिया के साथ कड़ी मेहनत कर रहा हूं।”

    आगे उन्होंने कहा-

    मानसिक रूप से मैं बहुत अच्छी मानसिकता में हूं और हाल ही में दुबई पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में मेरे दो स्वर्ण और कांस्य मेरे लिए बहुत बड़ा मनोबल बढ़ाने वाले रहे हैं। मैं इस यात्रा के माध्यम से लगातार मेरा समर्थन करने के लिए ओडिशा सरकार और भारत सरकार को भी धन्यवाद देना चाहता हूं।”

  • प्रमोद भगत ने 2020 टोक्यो पैरालंपिक बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया। प्रमोद ने पैरालंपिक में अपनी जीत का पूरा-पूरा श्रेय अपने माता-पिता को दिया, उन्होंने कहा –

    यह मेरे लिए बहुत खास है, यह मेरा सपना सच होने जैसा है। बेथेल ने वास्तव में मुझे धक्का दिया लेकिन मैंने अपनी ताकत के अनुसार ही खेला। मैं इसे अपने माता-पिता और उन सभी को समर्पित करना चाहता हूं जिन्होंने पूरे समय मेरा समर्थन किया है। मुझे खुशी है कि मैं भारत को गौरवान्वित कर सका।”

  • प्रमोद भगत साइना नेहवाल और पी. वी. सिंधु को अपना आदर्श मानते हैं उनके बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा-

    साइना सबसे लंबे समय तक मेरी प्रेरणा रही हैं। 2012 में बैडमिंटन के लिए (लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना) मेरा लक्ष्य पैरा-बैडमिंटन के लिए करना है। वह बैडमिंटन में एक बड़ी ताकत रही हैं और उन्होंने लाखों लोगों को इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया है।”

    आगे उन्होंने कहा-

    सिंधु लंबे समय से भारतीय बैडमिंटन की मिशाल वाहक रही हैं। 2016 और 2020 ओलंपिक में उनके प्रदर्शन ने बेंचमार्क बढ़ाया है और मैं पैरालंपिक में भी इसी तरह की उपलब्धि हासिल करना चाहूंगा। उनकी तरह मैं भी भारतीयों को इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहता हूं। सिंधु जिस रवैए के साथ खेलती हैं, मुझे वास्तव में वह पसंद है और मैं उन चीजों को शामिल करने की कोशिश करता हूं जो मैं उनके खेल में देखता हूं, जिससे मुझे अपने खेल को बेहतर बनाने में मदद मिल सके।”

  • प्रमोद भगत नियमित रूप से योगा किया करते हैं और उनका मानना ​​​​है कि योग उन्हें ऊर्जा प्रदान करता है। योग करने से व्यक्ति का दिमाग शांत रहता है।
  • प्रमोद भगत को पेड़ लगाने के प्रति काफी दिलचस्पी है और उन्हें अक्सर पेड़ लगाते और स्वस्थ पर्यावरण के बारे में लोगों को जागरूक करते हुए देखा जाता है।
  • प्रमोद भगत को हिंदुस्तान टाइम्स की ब्रंच पत्रिका के कवर पेज पर चित्रित किया गया है।

सन्दर्भ[+]

सन्दर्भ
1 Orissa Post

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