Tauqeer Raza Khan Biography in Hindi | तौकीर रजा खान जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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व्यवसाय | • राजनेता • मुस्लिम धार्मिक नेता |
राजनीति | |
पार्टी/दल | इत्तेहाद-ए-मिल्लत परिषद |
राजनीतिक यात्रा | • वर्ष 2009 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया। • वर्ष 2012 में मौलाना ने समाजवादी पार्टी की सदस्ता ली। • मौलान ने वर्ष 2014 में बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया था। • वर्ष 2022 में मौलाना ने दोबारा से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया। |
धार्मिक संप्रदाय | ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जेडेड) [1]India Today |
शारीरिक संरचना | |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | ज्ञात नहीं |
जन्म स्थान | बरेली, उत्तर प्रदेश, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | बरेली, उत्तर प्रदेश |
शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
धर्म | इस्लाम [2]Facebook |
जाति | सुन्नी मुस्लिम [3]Facebook |
विवाद | • वर्ष 2007 में जब उन्होंने बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी किया तो उन पर विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने तसलीमा के सिर काटने वाले को पांच लाख रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की और उसे भारत में प्रवेश करने से भी रोक दिया। तौकीर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें अपनी किताबें जलानी चाहिए और भारत छोड़ देना चाहिए क्योंकि उन्होंने इस्लाम प्रथाओं के खिलाफ लिखा। [4]DNA उन्होंने कहा, तसलीमा नसरीन के खिलाफ फतवा वापस लेने का एकमात्र तरीका था, अगर उसने अपनी किताबें जला दीं होती और भारत छोड़ दिया होता तो" • वर्ष 2022 में उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। [5]India Today उन्होंने कहा, कांग्रेस ने मुझसे कहा था कि अगर 2009 में उनकी सरकार बनती है तो वह बाटला हाउस मुठभेड़ की जांच करेंगे। अगर जांच होती तो दुनिया जान जाती कि मारे गए लोगों को आतंकवादी कहा जाना चाहिए, शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए।" |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
परिवार | |
पत्नी | ज्ञात नहीं |
बच्चे | पहली पत्नी के बच्चे बेटा- नकी अली खान बेटी- ई खान दूसरी पत्नी के बच्चे बेटी- 2 • मुस्तजाब बेगम • बीबी जान |
अभिवावक | परदादा- अहमद रजा खान (बरेलीवी आंदोलन के संस्थापक) |
भाई/बहन | भाई- सुभान रजा खान (दरगाह-ए-आला हजरत के अध्यक्ष) |
तौकीर रजा खान से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
- तौकीर रज़ा खान एक भारतीय राजनेता हैं। वह उत्तर प्रदेश के सुन्नी मुसलमानों के बरेली संप्रदाय के एक धार्मिक नेता हैं। वर्ष 2001 में उन्होंने राजनीतिक दल इत्तेहाद-ए-मिल्लत परिषद की स्थापना की। पार्टी ने अपने पहले नगरपालिका चुनावों में दस सीटें जीतीं। [6]Dainik Jagran बरेलवी आंदोलन के संस्थापक अहमद रजा खान उनके दादा थे। तौकीर रजा खान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जेड) के प्रमुख हैं। वर्ष 2013 में मुजफ्फर नगर झड़पों के बाद खान ने उत्तर प्रदेश के हथकरघा विभाग के पद से इस्तीफा दे दिया। मुसलमानों के बीच एकता को मजबूत करने के लिए, खान ने 2016 में उत्तर प्रदेश, भारत में देवबंद का दौरा किया। उत्तर प्रदेश का यह शहर मुसलमानों के देवबंद उपखंड का घर है और बाद में तौकीर रज़ा खान को देवबंद आने के लिए अपने ही संप्रदाय के धार्मिक नेताओं से आलोचनात्मक टिप्पणी का सामना करना पड़ा।
- वर्ष 2009 में तौकीर रजा खान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण सिंह आरोन ने अपने समर्थन से आम चुनाव जीता और भारतीय जनता पार्टी के संतोष गंगवार को हरा दिया।
- तौकीर रजा को उत्तर प्रदेश पुलिस ने 2010 में बरेली के हिंदू मुस्लिम दंगों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। मुस्लिम छात्र संगठन और बरकती एजुकेशनल ट्रस्ट ने उनकी गिरफ्तारी के बाद कहा कि तौकीर रजा खान की रिहाई तक शहर में हालात सामान्य नहीं होंगे। [7]India Today उन्होंने कहा-
उन्हें एक फर्जी शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और दावा किया गया था कि अगर उन्हें रिहा नहीं किया गया, तो शहर की स्थिति सामान्य नहीं हो सकती है।”
- वर्ष 2012 में तौकीर रजा खान ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का समर्थन किया। उन्होंने धर्म के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय से वोट मांगा। उनकी पार्टी ने भोजीपुरा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता।
- वर्ष 2013 में तौकीर रज़ा खान को उत्तर प्रदेश के हथकरघा निगम के उपाध्यक्ष का चार्ज दिया गया। समाजवादी पार्टी में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुजफ्फर नगर झड़पों की जांच करने का आग्रह किया और सुझाव दिया कि इस मामले को देखने के लिए एक समिति बनाई जाए। तौकीर रजा खान ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी अब समाजवादी पार्टी का समर्थन नहीं करेगी, और सितंबर 2014 में पद से इस्तीफा दे दिया। [8]The Indian Express
- समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद तौकीर रजा खान ने उत्तर प्रदेश में मुस्लिम नागरिकों की रक्षा नहीं करने के लिए समाजवादी पार्टी को दोषी ठहराया और सांप्रदायिक दंगों की विशेष जांच की मांग की। एक मीडिया से बातचीत के दौरान तौकीर रज़ा खान ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से बहुत उम्मीद थी लेकिन पुलिस अधिकारियों पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि सीएम को प्रशासन चलाने का कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने कहा-
उत्तर प्रदेश के लोगों को युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बहुत उम्मीदें थीं कि वह राज्य में एक नए युग की शुरुआत करेंगे। लेकिन उन्होंने लोगों को निराश किया है क्योंकि पुलिस और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। इससे राज्य में अराजकता जैसी स्थिति पैदा हो गई है। यदि मुख्यमंत्री के पास प्रशासन चलाने की क्षमता और अनुभव होता तो मुजफ्फरनगर में स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती।”
- वर्ष 2013 में तौकीर रजा खान ने दिल्ली का दौरा किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। बैठक के बाद केजरीवाल ने कहा कि तौकीर रजा खान एक सम्मानित व्यक्ति हैं और खान ने कहा कि वह केजरीवाल और उनके इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से प्रभावित थे।
- वर्ष 2014 में तौकीर रजा खान ने मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी का समर्थन किया।
- फरवरी 2015 में खान ने अपना धार्मिक संप्रदाय ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जेडेड) (“मॉडर्न”) का गठन किया। जो मुसलमानों के लिए एक गैर-सरकारी संगठन है जो भारत में बरेलवी मुसलमानों के लिए व्यक्तिगत कानून को सुनिश्चित करता है। देवबंदी बोर्ड के सदस्यों पर पूर्वाग्रह का आरोप लगाने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई। उन्होंने अपना खुद का धार्मिक पंथ बनाते हुए एक मीडिया से बातचीत में कहा कि एआईएमपीएलबी का पालन करते हुए उन्हें सांस की कमी महसूस हो रही थी। उन्होंने कहा-
AIMPLB ने सारी विश्वसनीयता खो दी है क्योंकि इसके दो मुख्य घटक अलग हो गए हैं। अब हम नए बोर्ड हैं। हम पहले घुटन महसूस कर रहे थे।”
- मई 2016 में तौकीर रज़ा खान उस लड़के के घर गए थे, जिसे दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा उत्तर प्रदेश के देवबंद में आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्होंने एक शैक्षणिक संस्थान दारुल उलूम देवबंद में देवबंदी नेताओं के खिलाफ भाषण दिया। [9]Milli Gazette उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि इस्लामी प्रथाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों का सामना करते हुए देवबंदियों और बरेलवी को एक होना चाहिए। हालांकि वह अपनी विचारधाराओं में भिन्न हैं, लेकिन उन्हें आम दुश्मन के खिलाफ लड़ना चाहिए। [10]The Indian Express
- तौकीर रज़ा खान की देवबंद यात्रा को उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मीडिया घरानों ने कवर किया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि यह बरेलवी और देवबंदी के धर्मगुरुओं और विद्वानों के बीच एक संप्रदाय का तूफान था। खान के भाई सुभान रजा खान ने उनके खिलाफ एक नोटिस जारी किया और कहा कि अगर तौकीर रजा खान सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगेंगे तो उनके खिलाफ एक मुफ्ती या इस्लामी विद्वान द्वारा फतवा का सामना करना पड़ेगा। बाद में 12 मुफ्तियों के एक पैनल ने सोशल मीडिया पर अपलोड की गई मीडिया फाइलों के माध्यम से देवबंदियों और तौकीर रजा खान के बीच हुई चर्चा की जांच की। तौकीर रजा खान को तब मुफ्तियों के पैनल द्वारा हराम (धार्मिक पाप) के तहत दोषी पाया गया था और जल्द ही खान एक तौबा (भगवान के सामने पश्चाताप) किया। [11]Dainik Jagran
- मार्च 2016 में तौकीर रज़ा खान ने अंतर्राष्ट्रीय सूफी सम्मेलन की निंदा की, जिसका उद्घाटन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। खान ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सम्मेलन को एकीकृत करके मुसलमानों के बीच एक सामुदायिक संघर्ष पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा-
इतिहास इस बात का गवाह है कि एक सूफी कभी अमीरों के दरवाजे तक नहीं गया। यह पहली बार है कि सूफीवाद के नाम पर प्रधान मंत्री और आरएसएस से विशेषाधिकार प्राप्त किए जा रहे हैं।”
- वर्ष 2017 में तौकीर रजा खान ने उत्तर प्रदेश के बरेली में सामाजिक एकता सम्मेलन कार्यक्रम में दावा किया कि एक हिंदू महिला के पांच पति थे। उन्होंने भारत में समान नागरिक संहिता को लागू करने और इस्लाम में तत्काल तलाक की प्रथा पर रोक लगाने पर बहस करते हुए इस पर टिप्पणी की। उन्होंने आगे कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। [12]Dainik Bhaskar
- 8 जनवरी 2022 को तौकीर रजा खान ने बरेली में 20 लाख मुसलमानों को संबोधित करते हुए रैली में हिंदुओं को धमकी देते सुनाई दिए। उन्होंने कहा कि जब मुसलमान उठेंगे तो हिंदू छिप जाएंगे। [13]OP India उन्होंने कहा-
मैं अपने हिंदू भाइयों को चेतावनी देना चाहता हूं कि मुझे डर है कि जिस दिन मेरे मुस्लिम युवाओं को कानून हाथ में लेने के लिए मजबूर किया जाएगा, आपको भारत में कहीं भी छिपने की जगह नहीं मिलेगी।”
- 30 जनवरी 2022 को तौकीर रजा खान की बहू निदा खान भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। उन्होंने 18 फरवरी 2015 को शीरन रजा खान से शादी की थी। शीरन रजा तौकीर रजा खान के बड़े भाई के बेटे हैं। शीरन रजा खान ने शादी के पांच महीने के भीतर निदा खान को तलाक दे दिया और निदा को तीन तलाक के बाद हलाला प्रथा के लिए मजबूर किया गया। निदा ने उसके खिलाफ आवाज उठाई और अपने ससुराल से माइका चली गई। बाद में निदा खान ने तीन तलाक और हलाला प्रथा की शिकार मुस्लिम महिलाओं की मदद करने के लिए “अला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी” नाम से अपना स्वयं का गैर-लाभकारी संगठन बनाया। समय बीतने के साथ निदा खान भारत में एक प्रसिद्ध महिला अधिकार कार्यकर्ता बन गईं। जनवरी 2022 में उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी शासनकाल में उत्तर प्रदेश की मुस्लिम महिलाएं सुरक्षित थीं और यही कारण था कि वह भाजपा में शामिल हुईं ताकि वह प्रदेश में मुस्लिम महिलाओं के उत्थान के लिए काम कर सकें। [14]India Today
- 2022 के विधानसभा चुनावों में तौकीर रजा खान ने कहा कि उनकी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का समर्थन करेगी।
- तौकीर रजा खान को फेसबुक पर 6 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और अक्सर इस पर अपनी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करते रहते हैं।