Thug Behram Biography in Hindi | ठग बहराम जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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उपनाम | बुराम, बहराम, किंग ऑफ़ ठग्स |
व्यवसाय | लुटेरा, डाकू |
प्रसिद्ध हैं | 18वीं शताब्दी का सबसे कुख्यात ठग |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 1765 |
आयु (मृत्यु के समय) | 75 वर्ष |
जन्मस्थान | जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत |
मृत्यु कारण | फांसी |
मृत्यु स्थान | स्लीमनाबाद, कटनी, जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
परिवार | ज्ञात नहीं |
धर्म | हिंदू |
ठग बहराम से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- वर्ष 1765 में ठग बहराम का जन्म मध्य भारत के जबलपुर में हुआ था। (जो कि अब मध्य प्रदेश का एक हिस्सा है)
- ठग बहराम बचपन में बहुत सीधा-सादा हुआ करता था। ठग बहराम की बचपन में दोस्ती सैयद अमीर अली से हो गई थी, जो कि बहराम की उम्र से करीब 25 वर्ष बड़ा था, और अपने समय का एक कुख्यात ठग था।
- बहराम को ठगों की खूंखार दुनिया से परिचय कराने वाला और कोई नहीं अमीर अली था, देखते ही देखते बहराम ठगों का सरदार बन बैठा था।
- बहराम के साथ एक महिला भी कार्य किया करती थी, जिसका नाम डॉली था। हालांकि कुछ समय बाद दोनों अलग हो गए थे।
- 25 वर्ष की उम्र में बहराम ने ठगों की दुनिया में कदम रख लिया था, और मात्र 10 वर्ष में ही उसने इतनी हत्याओं को अंजाम दिया था कि बहराम का खौफ लोगों के दिलो में फैलने लग गया था। बहराम अपने पास हमेशा पीले रंग का एक रुमाल रखा करता था, और एक सिक्का, वह रुमाल के अंदर सिक्का डाल कर मुसाफिरों की हत्या किया करता था और उनका सामान लूट लेता था।
- ठगों का खौफ इतना था कि अगर लोगों को हल्की सी भी भनक लग जाती ठगों के बारे में तो लोग अपना रास्ता बदल लेते थे। बहराम ने करीब दो सौ ठगों का एक ग्रुप बनाया था, जिसने मध्य भारत में डर का साम्राज्य पैदा कर रखा था।
- ठग बहराम का दल आपस में बातचीत करने के लिए एक अलग किस्म की सांकेतिक भाषा ‘रामोस’ का इस्तेमाल करते थे। इस भाषा को वो ख़ासकार हमला करने के समय इस्तेमाल किया करता था।
- बहराम का काफ़िला व्यापारियों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के जत्थों पर हमला किया करता था और रहस्यमय तरीके से उन सबका नाम-ओ-निशान मिटा दिया करता था।
- ठगों के बढ़ते आंतक की कहानी इंग्लैंड तक जा पहुंची, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने ठगों का पता लगाने के लिए 5 जांचकर्ताओं की एक टीम को भारत भेजा। कड़ी मेहनत करने के बाद जांचकर्ताओं की टीम को इतना ही पता चला कि ठगों के सरदार का नाम बहराम है।
- पूरे मध्य भारत में बहराम और उसके गिरोह का आतंक बढ़ता ही जा रहा था, जिससे अंग्रेज भी काफी दबाव में आ गए थे। अंग्रेज ने जितने भी जांचकर्ता भेजे थे उन सबकी बहराम ने हत्या कर दी थी। ऐसे में बहराम को पकड़ने के लिए अंग्रेजो ने कैप्टन विलियम हेनरी स्लीमैन को भारत भेजा था।
- सन् 1822 में स्लीमैन को नरसिंहपुर जिले का मजिस्ट्रेट बनाया गया था। ठगों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए स्लीमैन को एक शहर से दूसरे शहर भटकना पड़ता था, परंतु स्लीमैन को बहराम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही थी।
- इस बीच भारत के गवर्नर जनरल के रूप में लॉर्ड बेंटिक की नियुक्ति की गई। ठगों के गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए लॉर्ड बेंटिक ने सेलीमैन को पूरी तरह से छूट की गई, और साथ में सुरक्षाबलों की टीम भी प्रदान की गई।
- कैप्टन विलियम स्लीमैन को ठग सैयद अमीर अली के ठिकाने के बारे में सूचना मिली, ब्रिटिश फौज अमीर अली के घर पहुंच गई लेकिन तब तक अमीर अली फरार हो चुका था। घर में अमीर अली की मां व परिवार के अन्य सदस्य मिले, तो उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
- सन् 1832 में अमीर अली ने अपने परिवार को बचाने के लिए खुद को सरेंडर कर दिया। काफी पूछताछ के बाद अमीर अली ने बहराम के बारे में पूरी जानकारी अंग्रेजों को दे दी। अमीर अली की निशानदेही पर सन 1838 में बहराम को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
- बहराम ठग से जब पूछताछ की गयी, तो उसने बताया की उसके गिरोह ने करीब 931 लोगों को उस पीले रुमाल से मारा था। इनमें से 150 को तो बहराम ने स्वयं अपने हाथ से मारा था। बहराम के पकड़े जाने के बाद उनके अन्य साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
- सन् 1839 में बहराम ठग के साथ उन सभी कुख्यात ठगों को जबलपुर स्थित एक पेड़ पर फांसी दी गई थी, और जो नए सदस्य बहराम की गैंग में शामिल हुए थे उनपर स्लीमैन ने रियायत बरतते हुए जबलपुर के एक सुधार गृह में भेज दिया।
- मध्य प्रदेश के कटनी जिले में स्लीमनाबाद नमक एक जगह है, जो कि कप्तान स्लीमैन के नाम पर बनाई गई है, और इस जगह पर स्लीमैन की याद में एक स्मारक भी बनाया गया है।
- सन् 1790-1840 के बीच ठग बहराम ने 931 सीरियल किलिंग की, जो कि विश्च रिकॉर्ड है, और इसलिए ठग बहराम का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में लिखा गया था।
- वर्ष 2005 में, माइक डैश ने Thug: The True Story of India’s Murderous Cult को प्रकाशित किया, इस बुक में उन्होंने ठग बहराम की जीवनी को लिखा है।
- सूत्रों के अनुसार वर्ष 2018 की फ़िल्म “ठग्स ऑफ हिंदोस्तान” ठग बहराम के जीवन पर आधारित हैं। जिसमें कथित तौर पर आमिर ख़ान ने ठग बहराम की भूमिका निभाई हैं।