Jagjit Singh Biography in Hindi | जगजीत सिंह जीवन परिचय

जगजीत सिंह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ क्या जगजीत सिंह धूम्रपान करते हैं ? हाँ  क्या जगजीत सिंह शराब पीते हैं ? हाँ उनका जन्म राजस्थान के श्री गंगानगर में एक सिख परिवार में हुआ। जन्म के समय उनका नाम जगमोहन था, वह एक सिख परिवार से संबंध रखते थे। जिसके चलते उनके पिता ने अपने गुरु के परामर्श पर उनका नाम "जगमोहन" से "जगजीत" रख दिया। जगजीत सिंह ने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्ष बीकानेर में बिताए थे, क्योंकि उनके पिता वहां लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे। वर्ष 1948 में, वह अपने जन्मस्थल श्री गंगानगर लौट आए, जहां उन्होंने एक अंधे शिक्षक पंडित छगनलाल शर्मा के अंतर्गत संगीत प्रशिक्षण की शुरुआत की। उसके बाद में, उन्होंने सेनिया घराने (पारंपरिक हिंदुस्तानी संगीत का एक स्कूल) के उस्ताद जमाल खान के अंतर्गत प्रशिक्षण लिया। प्रारंभ में, उनके पिता जगजीत को इंजीनियर बनाना चाहते थे और यूपीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण होने की कामना करते थे। एक साक्षात्कार में, जगजीत सिंह ने यह खुलासा किया, कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी। जिसके चलते बचपन में वह लालटेन के प्रकाश में पढ़ाई करते थे, क्योंकि घर में बिजली नहीं होती थी। बचपन में, उन्होंने गुरुद्वारों में सिख गुरुओं के जन्म दिवस, जुलूस इत्यादि धार्मिक अनुष्ठानों पर श्लोक (सिख भजन) गाना शुरू किया। नवीं कक्षा में उनका पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था। एक साक्षात्कार में, उन्होंने इस घटना को साझा करते हुए कहा कि जब मैंने गाना शुरू किया तो उस समय मैं बहुत उत्साहित था, क्योंकि…

जीवन परिचय
वास्तविक नाम जगमोहन सिंह धीमान
उपनाम गज़ल सम्राट
व्यवसाय संगीतकार, गज़ल गायक, संगीत निर्देशक
संगीत गुरु/उस्ताद पंडित छगनलाल शर्मा, उस्ताद जमाल खान
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 178
मी०- 1.78
फीट इन्च- 5’ 10”
वजन/भार (लगभग)75 कि० ग्रा०
आँखों का रंग गहरा भूरा
बालों का रंग धूसर
संगीत
पुरस्कार एवं सम्मान • वर्ष 1998 में, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा "लता मंगेशकर" पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
• वर्ष 1998 में, राजस्थान सरकार द्वारा साहित्य कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
• मिर्जा गालिब के कार्य को लोकप्रिय बनाने के लिए, भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1998 में, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
• वर्ष 2003 में, भारत सरकार द्वारा "पद्म भूषण" के साथ सम्मानित किया गया।

• वर्ष 2012 में, उन्हें "राजस्थान रत्न" (राजस्थान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) के साथ मरणोपरांत सम्मानित किया गया।
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 8 फरवरी 1941
जन्मस्थान श्री गंगानगर, बीकानेर राज्य, राजपूताना एजेंसी, भारत (अब राजस्थान, भारत)
मृत्यु तिथि 10 अक्टूबर 2011
मृत्यु स्थान लीलावती अस्पताल, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
आयु (मृत्यु के समय तक)70 वर्ष
मृत्यु कारण मस्तिष्क रक्तस्त्राव (Brain Haemorrhage)
राष्ट्रीयता भारतीय
राशि कुंभ
हस्ताक्षर
गृहनगर श्री गंगानगर, राजस्थान
स्कूल/विद्यालय खालसा हाई स्कूल, श्री गंगानगर, राजस्थान
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयसरकारी महाविद्यालय, श्री गंगानगर, राजस्थान
डीएवी महाविद्यालय, जालंधर
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा
शैक्षिक योग्यता डीएवी महाविद्यालय, जालंधर से कला में स्नातक
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातकोत्तर (बीच में ही छोड़ दी)
डेब्यू पेशेवर गायक के रूप में :- वर्ष 1961 में, जब उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) जालंधर स्टेशन पर कार्य करने के लिए गीतों का गायन और रचना करना शुरू किया था।
पार्श्व गायक के रूप में :- फिल्म- अर्थ (1982)
परिवार पिता :- सरदार अमर सिंह धीमान (लोक निर्माण विभाग के एक सर्वेक्षक)

माता :- सरदारनी बच्चन कौर (एक गृहिणी)
भाई :- 2
बहन :- 4
धर्म सिख
शौकयोगा करना, सैर करना, शास्त्रीय संगीत सुनना
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा संगीतकार लता मंगेशकर, तलत महमूद, अब्दुल करीम खान, बडे गुलाम अली खान, अमीर खान, मोहम्मद रफ़ी
पसंदीदा कवि साहिर लुधियानवी, मिर्जा गालिब, शिव कुमार बटालवी
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पत्नी चित्रा सिंह
विवाह तिथि दिसंबर 1969
बच्चे बेटा :- स्वर्गीय विवेक सिंह (मृत्यु तिथि 1990)

बेटी :- स्वर्गीय मोनिका दत्ता (पहले पति से - मृत्यु तिथि 2009)
धन संबंधित विवरण
आय (एक प्रोफेशनल गजल गायक के रूप में)6 लाख भारतीय रुपए प्रति शो
कुल संपत्ति (लगभग) 5-6 करोड़ भारतीय रुपए

जगजीत सिंह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • क्या जगजीत सिंह धूम्रपान करते हैं ? हाँ 
  • क्या जगजीत सिंह शराब पीते हैं ? हाँ
  • उनका जन्म राजस्थान के श्री गंगानगर में एक सिख परिवार में हुआ।
  • जन्म के समय उनका नाम जगमोहन था, वह एक सिख परिवार से संबंध रखते थे। जिसके चलते उनके पिता ने अपने गुरु के परामर्श पर उनका नाम “जगमोहन” से “जगजीत” रख दिया।
  • जगजीत सिंह ने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्ष बीकानेर में बिताए थे, क्योंकि उनके पिता वहां लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे।
  • वर्ष 1948 में, वह अपने जन्मस्थल श्री गंगानगर लौट आए, जहां उन्होंने एक अंधे शिक्षक पंडित छगनलाल शर्मा के अंतर्गत संगीत प्रशिक्षण की शुरुआत की। उसके बाद में, उन्होंने सेनिया घराने (पारंपरिक हिंदुस्तानी संगीत का एक स्कूल) के उस्ताद जमाल खान के अंतर्गत प्रशिक्षण लिया।
  • प्रारंभ में, उनके पिता जगजीत को इंजीनियर बनाना चाहते थे और यूपीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण होने की कामना करते थे।
  • एक साक्षात्कार में, जगजीत सिंह ने यह खुलासा किया, कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी। जिसके चलते बचपन में वह लालटेन के प्रकाश में पढ़ाई करते थे, क्योंकि घर में बिजली नहीं होती थी।
  • बचपन में, उन्होंने गुरुद्वारों में सिख गुरुओं के जन्म दिवस, जुलूस इत्यादि धार्मिक अनुष्ठानों पर श्लोक (सिख भजन) गाना शुरू किया।
  • नवीं कक्षा में उनका पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था। एक साक्षात्कार में, उन्होंने इस घटना को साझा करते हुए कहा कि जब मैंने गाना शुरू किया तो उस समय मैं बहुत उत्साहित था, क्योंकि कुछ लोगों द्वारा मुझे पांच रुपए, दो रुपए देकर बड़े प्रोत्साहन से बुलाया जा रहा था।
  • श्री गंगानगर कॉलेज के दौरान, एक रात उन्होंने 4,000 लोगों के सामने गाया और अचानक से बिजली बंद हो गई। हालांकि, साउंड सिस्टम चलता रहा क्योंकि वह बैटरी संचालित था। जगजीत ने कहा, जब मैंने गाना शुरू किया, तो कोई भी वहां से नहीं उठा, कुछ ऐसी ही घटनाओं और दर्शकों की प्रतिक्रिया ने मुझे आश्वस्त किया कि मुझे संगीत पर ध्यान देना चाहिए।
  • उच्च शिक्षा के लिए, जगजीत सिंह ने जालंधर में डीएवी महाविद्यालय का चयन किया, क्योंकि वहां के प्रध्यापक द्वारा प्रतिभाशाली संगीतकार छात्रों के लिए प्रमुख छात्रावास और ट्यूशन फीस माफ़ कर दी गई थी।
  • जालंधर में, जगजीत सिंह ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) में शामिल हुए। आकाशवाणी ने उन्हें बी ग्रेड कलाकारों के वर्ग में रखा और जिसके चलते उन्हें सबसे कम शुल्क भुगतान पर एक वर्ष में 6 लाइव संगीत खंडों की रिकॉर्डिंग की अनुमति दी गई।
  • वर्ष 1962 जालंधर में, उन्होंने भारत दौरे पर आए, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के लिए एक स्वागत गीत बनाया।
  • वर्ष 1960 के शुरुआती दिनों में, वह फिल्म प्लेबैक गायन में करियर के लिए बॉम्बे (अब मुंबई) गए। वहां उन्होंने संगीतकार जयकिशन से मुलाकात की और उन्हें जगजीत की आवाज़ बहुत पसंद आई, लेकिन वह उन्हें कोई बड़ा ब्रेक नहीं दे पाए। कुछ समय बाद उनके सारे पैसे समाप्त हो गए और वह वापिस जालंधर लौट आए। एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा कि, पैसों की कमी के कारण बॉम्बे से जालंधर बिना टिकट के बाथरूम में छिप कर सफर तय किया था।
  • मार्च 1965 में, उन्होंने फिर से बॉम्बे में फिल्मों में पार्शव गायन में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की। कुछ दिनों तक संघर्ष करने के बाद, उन्होंने एचएमवी के साथ एक ईपी (विस्तारित प्ले, 1960 के ग्रामोफोन रिकॉर्ड प्रारूप) के लिए 2 गजलें बनाईं। जब उनसे रिकॉर्ड के कवर के लिए एक तस्वीर मांगी गई तो उन्होंने अपनी सिख पगड़ी को त्यागने और अपने लंबे बालों को काटने का फैसला किया। बाद में इस मामले का उत्तर देते हुए कहा कि अगर मैं पगड़ी वाली फोटो दे देता, तो मेरी पगड़ी वाली पहचान ही रहती लेकिन मुझे अपने करियर में बिना पगड़ी के पहचान बनानी थी।
  • बॉम्बे में उनका जीवन कठिनाईयों से भरा था, जीविका चलाने के लिए, जगजीत ने छोटी महफिलों और घर में संगीत समारोहों में गाना शुरू किया। उन्होंने कई फिल्म पार्टियों में गीत गाए, जहां कई संगीतकार आते थे, जो उनके संगीत को सुनकर एक मौका दे सके। हालांकि, फिल्म उद्योग में, नए लोगों को शायद ही कभी स्वीकार किया जाता था।
  • जगजीत बहुत तेजी से गजल की दुनिया में संलिप्त होते जा रहे थे, जिसके चलते उनका बॉलीवुड में संगीत गायन का सपना अधूरा सा रह गया था
  • आय अर्जित करने के लिए, जगजीत ने विज्ञापन फिल्में, रेडियो जिंगल, वृत्तचित्र आदि के लिए संगीत की रचना का कार्य करना शुरू कर दिया था।
  • इन सब के दौरान उनकी मुलाकात अपनी भावी पत्नी चित्रा से हुई, जो एक बुरे वैवाहिक जीवन से गुजर रही थी।
  • दिसंबर 1969 में, चित्रा ने अपने पति को तलाक दिया और जगजीत सिंह से शादी कर ली। उनका विवाह एक बहुत सरल समारोह था, जिस पर सिर्फ 30 रुपए लागत आई थी और जो सिर्फ 2 मिनट तक चला।
  • वर्ष 1965 और 1973 के बीच, जगजीत की 3 एकल ईपी (EPs), 2 युगल चित्रों के साथ ईपी (EPs) और 1 सुपरसेवेन (एक 20 मिनट का स्वरूप जो गायब हो गया है) आए।
  • वर्ष 1971 में, उनके पुत्र विवेक (उर्फ बाबू) का जन्म हुआ। जगजीत ने उस समय को याद करते हुए कहा: “मुझे लगा जैसे मैं दुनिया में सबसे अमीर आदमी था।”
  • वर्ष 1975 में, एचएमवी ने जगजीत सिंह को अपनी पहली एल.पी. (लांग-प्ले) एल्बम बनाने के लिए कहा और जिसके चलते एल्बम “The Unforgettables featured Jagjit Singh and Chitra” को प्रदर्शित किया गया, जो अपेक्षाओं के विपरीत काफी हिट रहीं। 
  • उनकी एल्बम Unforgettables ने जगजीत और चित्रा सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बना दिया और जिसने बॉम्बे में एक मामूली फ्लैट को खरीदने में मदद की।
  • वर्ष 1980 में, जगजीत ने जावेद अख्तर की कविता के लिए एक कम बजट वाली फिल्म- “साथ-साथ” में अपनी आवाज देने के लिए सहमति व्यक्त की। इसी तरह की एक अन्य फिल्म “अर्थ” ने जगजीत और चित्रा सिंह को और लोकप्रिय बना दिया।
  • वर्ष 1987 में, उन्होंने भारत की पहली विशुद्ध रूप से डिजिटल सीडी एल्बम- “Beyond Time” को रिकॉर्ड करके एक और मील का पत्थर पार किया।

  • वर्ष 1988 में, जगजीत सिंह ने गुलजार के महाकाव्य टीवी धारावाहिक “मिर्जा गालिब” के लिए संगीत बनाया।

  • वर्ष 1990 में, जगजीत और चित्रा सिंह ने एक मोटर दुर्घटना में अपने 18 वर्षीय बेटे को खो दिया। यह उनके जीवन में सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिसके चलते चित्रा ने गायन के क्षेत्र में वापस नहीं लौटी और जगजीत थोड़े दिनों के लिए डिप्रेशन में चले गए थे। हालांकि, यह संगीत के प्रति समर्पण था, उन्होंने संगीत में लौटने का फैसला किया और इस घटना को अपनी ताकत बनाया।
  • अपने बेटे की मृत्यु के बाद, उनकी पहली एल्बम “मन जीते जगजीत” थी, जिसमें सिख भक्ति गुरबानी थी।

  • वर्ष 1991 में, लता मंगेशकर के साथ एल्बम “सजदा” ने सभी गैर-फिल्म एल्बम रिकॉर्ड को तोड़ दिया था।
  • वर्ष 2001 में, जिस दिन उनकी मां की मृत्यु हुई, उसी दिन सुबह संस्कार के बाद, जगजीत एक संगीत कार्यक्रम के लिए दोपहर को कलकत्ता (अब कोलकाता) चले गए थे।
  • जगजीत सिंह अपनी शैली के कारण गजल गायक के रूप में काफी लोकप्रिय हुए।
  • जगजीत सिंह ने एल्बम की कमाई का एक हिस्सा गीतकार को देने का निर्णय किया।
  • वह जगजीत सिंह ही थे, जिन्होंने कुमार सानू को उनका पहला ब्रेक दिया।
  • 23 सितंबर 2011 को, जगजीत सिंह को Brain Haemorrhage का सामना करना पड़ा। जिसके चलते वह दो से अधिक सप्ताह के लिए कोमा में चले गए थे और 10 अक्टूबर को मुंबई स्थित लिलावती अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई थी।
  • वर्ष 2013 में, Google द्वारा श्रद्धांजलि के रूप में जगजीत सिंह का एक गूगल डूडल बनाया गया था। 
  • वर्ष 2014 में, भारत सरकार ने जगजीत सिंह के सम्मान के रूप में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। 
  • यहां जगजीत सिंह के जीवन की एक झलक है:

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