Phoolan Devi Biography in Hindi | फूलन देवी जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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व्यवसाय | भारतीय डाकू और राजनेत्री |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 10 अगस्त 1963 (रविवार) |
जन्म स्थान | ग्राम घुरा का पुरवा, जालौन जिला, उत्तर प्रदेश (जिसे गोरहा का पुरवा भी कहा जाता है) |
मृत्यु तिथि | 25 जुलाई 2001 (बुधवार) |
मृत्यु स्थल | नई दिल्ली |
आयु (मृत्यु के समय) | 38 वर्ष |
मृत्यु कारण | हत्या |
राशि | धनु (Sagittarius) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | जालौन जिला, उत्तर प्रदेश |
धर्म | बौद्ध [1]NDTV |
शौक/अभिरुचि | घुड़सवारी करना और बंदूकें चलना |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
परिवार | |
पति | • पुत्तीलाल मल्लाह (पहले पति) • उमेद सिंह (दूसरे पति) |
बच्चे | बेटा- नाम ज्ञात नहीं |
माता-पिता | पिता- देवी दीन माता- मूला देवी |
भाई/बहन | भाई- सुविवेद बहन- 2 • रुक्मिणी देवी निषाद (बड़ी) • मुन्नी देवी (छोटी) |
फूलन देवी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- फूलन देवी एक भारतीय डाकू थीं जो बाद में एक राजनेत्री बन गई। वह “बैंडिट क्वीन” के नाम से भी जानी जाती हैं।
- 11 साल की उम्र में उनके दादा के निधन के बाद उनके पिता के बड़े भाई परिवार के मुखिया बने।
- फूलन देवी ने मात्र 15 साल की उम्र में ही एक बड़े हादसे का शिकार हो गई थी। उनके गांव के कुछ ठाकुरों ने उनको जबरन अगवा कर लिया और उनका कथित तौर पर रेप किया। साथ ही उन्हें कुछ दिनों तक एक कमरे में बंधक बनाकर रखा। अपने साथ हुई इस घटना का न्याय पाने के लिए फूलन देवी दर-दर भटकती रही। लेकिन कहीं भी न्याय न मिलने पर फूलन देवी को मजबूरन बंदकु उठाना पड़ा।
- उनके चाचा मायादीन उनकी पैतृक जमीन को अपने कब्जा में रखने के लिए उनकी शादी मात्र ग्यारह साल की उम्र में ही उनसे कई साल बड़े एक दूर दराज के पुत्तीलाल से कर दी। फूलन देवी इस रिश्ते से खुश नहीं थी लेकिन उनकी शादी उनके मर्जी के खिलाफ हुई । पति द्वारा दुर्व्यहार किए जाने के बाद फूलन देवी अपनी जान बचाकर वापस अपने घर आई। घर वापस आने के बाद फूलन देवी अपने पिता के साथ मजदूरी में हाथ बटाना शुरू किया।
- फूलन देवी के साथ यह हादसा यहीं खत्म नहीं हुआ, इंसाफ के लिए दर-दर भटकती फूलन देवी के ऊपर कुछ डकैतों ने हमला कर उन्हें अपने साथ उठाकर ले गए और उनके साथ जबरन रेप किया। कुछ सालों तक यही सिलसिला चलता रहा, लेकिन एक दिन उनकी मुलाकात विक्रम मल्लाह से हुई। जिसके साथ मिलकर उन्होंने डाकुओं की एक अलग गैंग बनाई। फिर क्या था फूलन देवी अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने के लिए 1981 में 22 ठाकुरों को एक साथ लाइन में खड़ाकर गोलियों से छलनी कर दिया। जिसके बाद गांव से लेकर पूरे चंबल घाटी में फूलन देवी के नाम का डंका बजने लगा। इस पूरे कारनामे के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने फूलन देवी को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया और साथ ही कुछ धनराशि देने का भी ऐलान किया। लेकिन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पुलिस टीम ने फूलन देवी को पकड़ने में नाकाम रही।
- फूलन देवी ने विक्रम मल्लाह की मदद से बंदूकें चलाना सीखा था।
- डकैतों के गैंग में फूलन देवी उस समय की अकेली महिला थीं। वह अपने हर अपराध के बाद दुर्गा मंदिर जाती थी और अपनी सुरक्षा के लिए देवी माँ को धन्यवाद देती थीं।
- फूलन देवी के जीवन में एक ऐसा समय आया जब लोगों ने उन्हें देवी के रूप में स्वविकार किया और उन्हें “फूलन देवी” का नाम दिया।
- वर्ष 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने फूलन देवी को सरेंडर करने के लिए कहा और वह उनकी बात मानकर अपने आपको सरेंडर कर दिया। क्योंकि उनका साथी विक्रम मल्लाह पुलिस की एक मुड़भेड़ में मारा जा चूका था। सरेंडर होने से पहले फूलन देवी ने सरकार से अपनी कुछ शर्तों को मनवाई थी जिसमें उन्होंने अपने साथियों को मृत्यु दंड न देने और गैंग के सभी लोगों को आठ साल से अधिक सजा न देने की बात कही थी। जिसे सरकार ने शांति पूर्वक स्वविकार किया था।
- उनके मुकदमे में 11 साल की देरी हुई, जिसके दौरान वह ग्वालियर सेंट्रल जेल में एक साधारण कैदी के रूप में बंद रही।
- वर्ष 1994 में उनकी रिहाई के बाद उन्हें शराब निषेध और महिला अश्लीलता साहित्य के बारे में एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए डॉ रामदास (पट्टली मक्कल काची के संस्थापक) द्वारा आमंत्रित किया गया था। इस सम्मेलन ने भारतीय राजनीति में उनका मार्ग प्रशस्त किया था। जिसके बाद वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर निर्वाचन क्षेत्र से 11वीं लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा। सूत्रों के अनुसार माना जाता है कि उन्हें मुलायम सिंह यादव द्वारा सक्रिय रूप से राजनीति में लाया गया था।
- 15 फरवरी 1995 को फूलन देवी ने दूसरी शादी उम्मेद सिंह नामक एक व्यक्ति से की थी और उम्मेद सिंह के साथ प्रसिद्ध बौद्ध स्थल दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गई।
- फूलन देवी ने वर्ष 1996 से 1998 तक एक सांसद के रूप में कार्य किया। इसके बाद वह 1998 के लोकसभा चुनाव में अपनी ही सीट से हार गई, लेकिन 1999 के लोकसभा के चुनाव में फिर से चुनी गईं।
- फूलन देवी पूर्ण रूप से राजनीति में आने के बाद अपने खाली समय में पुस्तक पढ़ा करती थीं।
- उन्होंने अंतरराष्ट्रीय लेखकों मैरी-थेरेसे क्यूनी और पॉल रामबली की मदद से अपनी आत्मकथा “आई फूलन देवी” की रचना की।
- अपनी आत्मकथा में उन्होंने अपने पति को “बहुत बुरे चरित्र” के रूप में वर्णित किया है।
- 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी के आवास के बाहर कुछ लोगों द्वारा उनके सिर, छाती, कंधे और दाहिने हाथ पर नौ बार गोली चलाई गई। आरोपी घटनास्थल पर खड़ी मारुति 800 कार से भाग निकले, बाद में कार को बीच रास्ते में ही छोड़कर वह एक ऑटो रिक्शा में सवार हो गए। पुलिस ने आरोपियों के कार से एक वेब्ले एंड स्कॉट पिस्टल और एक बन्दूक, एक आईओएफ, 32 रिवॉल्वर, नौ खाली और 15 गोलियां बरामद की।
- फूलन की बहन मुन्नी देवी ने बाद में फूलन के पति उम्मेद सिंह पर उनकी हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था।
- मामले का मुख्य आरोपी शेर सिंह राणा था, जिसने थाने पहुंचकर अपना जुर्म कबूल किया। उसने कहा कि जब वह दस्यु गिरोह की नेता थी तो उच्च जाति के लोगों को मारने का बदला लेने के लिए मुझे प्रेरित किया गया था। हालांकि शेर सिंह राणा तिहाड़ जेल से भाग गया और कथित तौर पर अफगानिस्तान के कंधार में तकरीबन दो साल तक रहने के बाद वह कोलकाता में पकड़ा गया।
- शेर सिंह राणा तिहाड़ जेल के दौरान अपनी आत्मकथा “जेल डायरी: तिहार से काबुल-कंधार तक” लिखा।
- फिल्म प्रोडूसर शेखर कपूर ने उनके जीवन पर फिल्म “बैंडिट क्वीन (1983)” बनाई। इस फिल्म ने फूलन देवी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।