Pravin Jadhav Biography in Hindi | प्रवीण जाधव जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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पूरा नाम | प्रवीण रमेश जाधव [1]The Times of India |
व्यवसाय | भारतीय तीरंदाज |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 172 मी०- 1.72 फीट इन्च- 5’ 7” |
आँखों का रंग | भूरा |
बालों का रंग | काला |
तीरंदाजी | |
मौजूदा टीम | इंडिया |
कोच | बबन भुजबली |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 6 जुलाई 1996 (शनिवार) |
आयु (2021 के अनुसार) | 25 वर्ष |
जन्मस्थान | सारदे गांव, सतारा जिला, महाराष्ट्र |
राशि | कर्क (Cancer) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | सारदे गांव, सतारा जिला, महाराष्ट्र |
स्कूल/विद्यालय | तरुणदीप राय ने अपनी पढ़ाई क्रीड़ा प्रभोदानी स्कूल से की। |
शैक्षिक योग्यता | स्नातक |
धर्म | हिन्दू |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
परिवार | |
पत्नी | लागू नहीं |
माता/पिता | पिता- रमेश जाधव (दिहाड़ी मजदूर) माता- संगीता जाधव (गृहिणी) |
प्रवीण जाधव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- प्रवीण जाधव एक भारतीय तीरंदाज हैं जिन्होंने तरुणदीप राय और अतानु दास के साथ 2019 विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में भाग लिया था।
- प्रवीण जाधव का पालन-पोषण एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता रमेश जाधव एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे। उनके पास रहने के लिए घर भी नहीं था जिसके चलते वह महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक नाले के पास छोटी सी झोपडी में रहते थे जहाँ दिन में दो बार भोजन करना भी मुश्किल था। वहां पर न तो बिजली की कोई सुविधा थी और न ही पीने के लिए साफ पानी था। प्रवीण जाधव अपने पिता के साथ खेतों में काम करने जाया करते थे। प्रवीण जाधव ने एक इंटरव्यू में अपनी पुरानी कहानियों का खुलासा किया-
बचपन में अपने पिता के साथ काम करना एक आशीर्वाद था।”
- प्रवीण जाधव अपने माता-पिता के कहने के अनुसार सातवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ने की योजना बना रहे थे तभी उनके स्कूल के एक शिक्षक ने उन्हें खेल युवा प्रतिभाओं के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम क्रीड़ा प्रबोधिनी में शामिल होने की सलाह दी। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों के पिछड़े वर्ग के युवा एथलीट्स के लिए मुफ्त कोचिंग, शिक्षा और निवास प्रदान करता है।
- 13 साल की उम्र में ही उन्होंने एथलेटिक इवेंट्स में भाग लेना शुरू किया और पुणे के बालेवाड़ी में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
- प्रवीण जाधव का जीवन काफी कठिनाइयों से भरा है उनका मजदूर बनना तय था। लेकिन उनके प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बबन भुजबल ने उन्हें खेल में अपना करियर बनाने की सलाह दी। इसलिए उन्होंने एथलेटिक्स की प्रैक्टिस करना शुरू किया। लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर होने की वजह से उनके शिक्षक बबन भुजबल ने उन्हें तीरंदाजी में हाथ आजमाने की सलह दी। फिर प्रवीण ने तीरंदाजी में अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया और जी तोड़ मेहनत करने लगे।
- प्रवीण जाधव अपने तीरंदाजी के शुरुआती दिनों में बांस के बने धनुष बाण से तीरंदाजी का अभ्यास करते थे।
- इसके बाद उन्हें क्रीड़ा प्रबोधिनी के एक तीरंदाजी कोच प्रफुल डांगे के तहत प्रशिक्षण के लिए अमरावती भेजा गया।
- शिक्षक बबन भुजपाल ने उनके सभी आहार संबंधी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उनका सारा खर्च अपने सर ले लिया और उन्हें 400 मीटर और 800 मीटर दौड़ में निपुण किया। जाधव ने उस वक्त को याद करते हुए कहा-
मुझे याद है कि जब मै शारीरिक रूप से कमजोर था तो हमारे गुरु जी ने सभी स्कूली बच्चों से मेरे लिए पौष्टिक भोजन मंगाया करते थे। वह मुझे सेहतमंद बनाने के लिए चिकन के साथ हर दिन आठ अंडा खिलाया करते थे और मेरा सारा खर्चा वहन करते थे।”
- जाधव अपने साथियों की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर थे जिसके चलते वह रिकर्व बो के वजन से जूझ रहे थे। तीर चलाते समय उनके कंधों में दर्द का अनुभव होता था जिसके कारण क्रीड़ा प्रबोधिनी ने उन्हें कार्यक्रम से बाहर कर दिया था तब उनके गुरु भुजपाल ने फिर से उन्हें कार्यक्रम में वापस लाने की हर संभव कोशिश की लेकिन असफल रहे। खेल प्रेमी पालकर जाधव की मदद करने के लिए तैयार हो गए और दोनों एक ही कार से रात भर 800 किलोमीटर का सफर तय कर अमरावती पहुंचे।
- उनके आग्रह करने पर क्रीडा अधिकारियों ने जाधव को अपनी योग्यता साबित करने के लिए पांच शॉट मारने का मौका दिया। जाधव 45 से अधिक स्कोर के साथ सफल हुए। यही उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट बना। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
- तीरंदाजी प्रशिक्षण खत्म होने के बाद उन्हें 2.5 लाख की लागत वाली तीरंदाजी किट खरीदने के लिए पैसों की व्यवस्था करनी थी। उन्हें अकादमी की तरफ से हर महीने 9000 रुपये मिलते थे, जो काफी नहीं थे। तब उन्हें भारत सरकार ने 2.5 लाख रुपये का इनाम दिया।
- तीरंदाजी प्रशिक्षण समाप्त करने के बाद प्रवीण जाधव वर्ष 2017 में स्पोर्ट्स कोटे के तहत भारतीय सेना में शामिल हो गए। भारतीय सेना में शामिल होने के बाद उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह दिहाड़ी का काम करना बंद कर दें। अपने पिता को एक दूध वाला कत्तल ख़रीदा ताकि वह डेयरी से दूध बेच सकें। इसी वर्ष उन्होंने कटक, उड़ीसा में होने वाले राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- वर्ष 2015 में जाधव को 19 साल की उम्र में बैंकॉक, थाईलैंड में होने वाले एशिया कप में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया।
- प्रवीण जाधव ने रिकर्व इवेंट में सीधे अपनी टीम के लिए कांस्य पदक जीता।
- उन्होंने 2015 से 2019 तक छह अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग लिया और दो पदक जीते, जिसमें 16 जून 2019 का रजत पदक शामिल है। इतना ही नहीं उनकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भी अपनी जगह बनाई।
सन्दर्भ
↑1 | The Times of India |
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