Jhalkari Bai Biography in Hindi | झलकारी बाई जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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व्यवसाय | योद्धा/सेना अधिकारी |
प्रसिद्ध हैं | रानी लक्ष्मीबाई की सलाहकार होने के नाते |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 22 नवंबर 1830 |
जन्मस्थान | भोजला ग्राम, झाँसी, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु तिथि | वर्ष 1890 |
मृत्यु स्थल | ग्वालियर, ब्रिटिश भारत |
आयु (मृत्यु के समय) | 60 वर्ष |
मृत्यु कारण | शहीदी |
राशि | वृश्चिक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | ग्राम भोजला, झाँसी, ब्रिटिश भारत |
धर्म | हिन्दू |
जाति | कोली, एक जातीय भारतीय समूह, जिसे वर्ष 2001 की जनगणना में भारत सरकार द्वारा दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों में अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। |
शौक/अभिरुचि | घुड़सवारी करना और तलवारबाज़ी करना। |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारी | |
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय) | विधवा |
परिवार | |
पति | पूरन सिंह (रानी लक्ष्मीबाई के तोपखाने के कर्मचारी) |
बच्चे | ज्ञात नहीं |
माता-पिता | पिता - सदोवर सिंह (किसान) माता - जमुना देवी |
भाई-बहन | कोई नहीं |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा उद्धरण | "जय भवानी" |
झलकारी बाई से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- झलकारी बाई भारत की सबसे सम्मानित महिला सैनिकों में से एक हैं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- उनका पालन-पोषण झाँसी के भोजला नामक गाँव में हुआ था।
- वह झलकारी बाई के पिता थे, जिन्होंने झलकारी को घुड़सवारी और तलवारबाज़ी का प्रशिक्षण दिया था।
- उनके पिता ने उन्हें एक लड़के के रूप में पाला था, झलकारी के जन्म के बाद उनकी माँ का निधन हो गया था।
- अपनी माँ के निधन के बाद, सारे घर की ज़िम्मेदारी झलकारी बाई पर आ गई।
- उन्होंने कोई भी स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, क्योंकि उनका जन्म एक ग्रामीण क्षेत्र में हुआ था। हालाँकि, उनके पिता ने उन्हें प्रशिक्षित किया, जो एक वीर योद्धा के लिए पर्याप्त था।
- झलकारी बाई ने हथियार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया; चूंकि वहां आए दिन लूटपाट और डकैती होती रहती थी। जिसके लिए झलकारी बाई ने लोगों की सुरक्षा के लिए युद्ध करने का जौहर सीखा।
- एक दिन, जब उन्होंने देखा की एक छोटी बच्ची जंगल में जानवरों को चराने के लिए जा रही है। तभी वहां एक तेंदुआ आ जाता है और बच्ची पर हमला करता है। उसी समय झलकारी ने तेंदुए के साथ लड़ाई करते हुए, तेंदुए को मार गिराया। इसके चलते झलकारी बाई अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हुईं।
- जल्द ही, उनकी शादी रानी लक्ष्मीबाई के तोपखाने के अधीक्षक पूरन सिंह से हुई।
- वह पूरन सिंह थे, जिन्होंने झलकारी बाई को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से मिलवाया था। जिसके बाद, झलकारी बाई रानी लक्ष्मीबाई की महिलाओं की सेना में शामिल हो गईं।
- रानी लक्ष्मीबाई के महिला सेना में शामिल होने के बाद, झलकारी बाई ने युद्ध के सभी पहलुओं में विशेषज्ञता हासिल कर ली थी।
- बहुत जल्द झलकारी बाई रानी लक्ष्मीबाई की महिला सेना की अध्यक्ष बन गईं और सेना की कमान संभाली।
- जब ब्रिटिश सेना के जनरल ह्यूग रोज ने 1857 के विद्रोह के दौरान एक बड़ी सेना के साथ झांसी पर हमला किया था, तब वह झलकारी बाई ही थी, जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई को भागने में मदद की थी।
- जब झांसी के किले को जनरल ह्यूज रोज़ की सेना द्वारा घेर लिया था, तब झलकारी बाई ने एक योजना के अनुसार, रानी लक्ष्मीबाई का भेष बदलकर किले के सामने के गेट पर सेना की एक टुकड़ी के साथ अंग्रेज़ी सेना का सामना किया, ताकि दुश्मन उनके साथ लड़ाई करते रहें और दूसरी तरफ से रानी लक्ष्मीबाई किले से सुरक्षित भाग सकें।
- सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा था और रानी लक्ष्मीबाई और झलकारी बाई किले से सुरक्षित बाहर निकल गईं और ब्रिटिश सेना देखती ही रह गई। उसके बाद झलकारीबाई ने ब्रिटिश सेना का डट कर सामना किया। झलकारीबाई ने अंग्रेजी सेना को युद्ध में उलझाए रखा। हालांकि, एक मुखबिर ने झलकारी बाई को पहचान लिया और झलकारी की पहचान उजागर करने की कोशिश की, तभी झलकारी बाई ने उसे बंदूक से गोली मार दी। ताकि, रानी लक्ष्मीबाई का सच सामने न आ सके।
- आख़िरकार भीषण युद्ध के बाद, जनरल रोज और उनकी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और झलकारी की वीरता पर जनरल ह्यूज रोज ने कहा,
If even one per cent of the Indian women go mad this way, we Englishmen will have to leave everything here and go away.”
- झलकारी बाई को भारी सुरक्षा के साथ एक तंबू में कैद किया गया था। हालांकि, एक मौका देखते ही झलकारी बाई रात में कैद से भाग गई। अगले दिन, जनरल ह्यूज रोज ने किले में एक भयंकर हमला किया; जहाँ उन्हें फिर झलकारी बाई से भिड़ना पड़ा। एक लंबी लड़ाई में, उनका पति वीरगति को प्राप्त हुआ; जो एक कैनन-शॉट में मारे गए थे। जल्द ही, एक तोप के गोले से झलकारी बाई की भी मृत्यु हो गई और अंतिम क्षण में उद्घोष लगाया “जय भवानी”।
- वर्तमान में विभिन्न कोली संगठन झलकारी बाई की पुण्यतिथि को शहीदी दिवस (शहीद दिवस) के रूप में मनाते हैं।
- वर्ष 2001 में, भारत सरकार ने झलकारी बाई को याद करते हुए एक डाक टिकट जारी की।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी झलकारी बाई की याद में झांसी किले के अंदर एक संग्रहालय की स्थापना की थी।
- 10 नवंबर 2017 को, भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भोपाल में गुरु तेग बहादुर कॉम्प्लेक्स में झलकारी बाई की प्रतिमा का अनावरण किया।
- 2019 की बॉलीवुड फिल्म, मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी में झलकारी बाई की भूमिका अभिनेत्री अंकिता लोखंडे ने निभाई है। फिल्म में कंगना रनौत ने रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाया है।