Gama Pahalwan Biography in Hindi | गामा पहलवान जीवन परिचय

गामा पहलवान से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ क्या गामा पहलवान धूम्रपान करते थे? ज्ञात नहीं क्या गामा पहलवान शराब पीते थे? ज्ञात नहीं उनका जन्म गांव जब्बोवाल अमृतसर में कश्मीरी परिवार में हुआ था। उनका परिवार विश्व स्तर के पहलवानों की वजह से जाना जाता है। जब गामा 6 वर्ष के थे, तो उनके पिता मोहम्मद अजीज बक्श का देहांत हो गया था जो कि एक प्रसिद्ध पहलवान थे। उनके पिता की मृत्यु के बाद, गामा पहलवान की देखभाल उनके नाना और नून पहलवान ने की थी। नून पहलवान की मृत्यु के बाद उनके चाचा इदा ने उनकी देखभाल की और उन्होंने ही गामा पहलवान को कुश्ती में पहली बार प्रशिक्षण दिया। सन 1888 में, 10 वर्ष की आयु में गामा को पहली बार सार्वजनिक रूप से देखा गया था। जब उन्होंने जोधपुर में आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लिया था। प्रतियोगिता में गामा का स्थान 15 नंबर पर था। जोधपुर के महाराजा गामा के प्रदर्शन से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गामा को विजेता घोषित कर दिया।    इसके बाद, दतिया के महाराजा ने उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए अपने साथ रख लिया।     सूत्रों के अनुसार, गामा प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन 40 पहलवानों के साथ अखाड़ा में कुश्ती किया करते थे। गामा एक दिन में 5000 उठक-बैठक (squats) और 3000 दंड (pushups) किया करते थे।    कुछ सूत्रों के अनुसार, उनकी खुराक में छह देशी मुर्गियां, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का टॉनिक होता था। सन 1895 में, 17 वर्ष की उम्र में गामा ने…

जीवन परिचय
वास्तविक नाम गुलाम हुसैन बख्श
उपनाम रुस्तम-ए-हिंद, रुस्तम-ए-जमां, द ग्रेट गामा
अखाड़ा में नाम गामा पहलवान
व्यवसाय पूर्व भारतीय पहलवान
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 173
मी०- 1.73
फीट इन्च- 5’ 8”
वजन/भार (लगभग)110 कि० ग्रा०
शारीरिक संरचना (लगभग)-छाती: 46 इंच
-कमर: 34 इंच
-Biceps: 22 इंच
आँखों का रंग काला
बालों का रंग काला
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 22 मई 1878
जन्मस्थान गांव जब्बोवाल अमृतसर, पंजाब, ब्रिटिश भारत
मृत्यु तिथि23 मई 1960
मृत्यु स्थानलाहौर, पंजाब, पाकिस्तान
मृत्यु कारणदिल की और अस्थमा की पुरानी बीमारी के कारण
आयु (मृत्यु के समय)82 वर्ष
राशि मिथुन
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर अमृतसर, पंजाब, भारत
स्कूल/विद्यालय ज्ञात नहीं
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयज्ञात नहीं
शैक्षिक योग्यता ज्ञात नहीं
परिवार पिता - मोहम्मद अजीज बख्श पहलवान
माता- नाम ज्ञात नहीं
भाई- इमाम बख्श पहलवान

बहन- ज्ञात नहीं
धर्म इस्लाम
जातिकश्मीरी
शौककसरत करना
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा भोजन दूध और दुग्ध से बनने उत्पाद
पसंदीदा व्यंजनदेसी मुर्गी, मेवे
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति विवाहित
गर्लफ्रेंड व अन्य मामले ज्ञात नहीं
पत्नीवज़ीर बेगम

1 अन्य पत्नी
बच्चेबेटी- 4
बेटा- 5
पोती- कलसूम नवाज शरीफ (नवाज शरीफ की पत्नी)

गामा पहलवान से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • क्या गामा पहलवान धूम्रपान करते थे? ज्ञात नहीं
  • क्या गामा पहलवान शराब पीते थे? ज्ञात नहीं
  • उनका जन्म गांव जब्बोवाल अमृतसर में कश्मीरी परिवार में हुआ था।
  • उनका परिवार विश्व स्तर के पहलवानों की वजह से जाना जाता है।
  • जब गामा 6 वर्ष के थे, तो उनके पिता मोहम्मद अजीज बक्श का देहांत हो गया था जो कि एक प्रसिद्ध पहलवान थे।
  • उनके पिता की मृत्यु के बाद, गामा पहलवान की देखभाल उनके नाना और नून पहलवान ने की थी। नून पहलवान की मृत्यु के बाद उनके चाचा इदा ने उनकी देखभाल की और उन्होंने ही गामा पहलवान को कुश्ती में पहली बार प्रशिक्षण दिया।
  • सन 1888 में, 10 वर्ष की आयु में गामा को पहली बार सार्वजनिक रूप से देखा गया था। जब उन्होंने जोधपुर में आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लिया था। प्रतियोगिता में गामा का स्थान 15 नंबर पर था। जोधपुर के महाराजा गामा के प्रदर्शन से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गामा को विजेता घोषित कर दिया।   
  • इसके बाद, दतिया के महाराजा ने उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए अपने साथ रख लिया।    
  • सूत्रों के अनुसार, गामा प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन 40 पहलवानों के साथ अखाड़ा में कुश्ती किया करते थे। गामा एक दिन में 5000 उठक-बैठक (squats) और 3000 दंड (pushups) किया करते थे।   
  • कुछ सूत्रों के अनुसार, उनकी खुराक में छह देशी मुर्गियां, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का टॉनिक होता था।
  • सन 1895 में, 17 वर्ष की उम्र में गामा ने रहीम बख्श सुल्तानीवाला (तत्कालीन भारतीय कुश्ती चैंपियन) कश्मीरी पहलवान को चुनौती दे डाली, जो कि गुजरांवाला, पंजाब, पाकिस्तान से थे। रहीम बख्श सुल्तानीवाला एक मध्यम आयु वर्ग के आदमी थे जिनकी ऊँचाई लगभग 7 फीट थी और उनके पास एक शानदार रिकॉर्ड भी था। कुश्ती का मुकाबला कई घंटों तक चला और अंततः यह प्रतियोगिता ड्रॉ से समाप्त हो गई ।  
  • रहीम बख्श सुल्तानीवाला के साथ उनका मुकाबला गामा के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण था।
  • वर्ष 1910 तक, रहीम बख्श सुल्तानीवाला को छोड़कर गामा ने उन सभी प्रमुख भारतीय पहलवानों को हराया जिन्होंने उनसे कुश्ती की।
  • अपनी घरेलू सफलताओं के बाद गामा ने अपना ध्यान दुनिया के अन्य हिस्सों पर केंद्रित कर दिया।
  • पश्चिमी पहलवानों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए गामा अपने छोटे भाई इमाम बख्श के साथ इंग्लैंड गए। हालांकि उनके छोटे कद के कारण उन्हें बाद में प्रवेश प्राप्त हुआ।
  • जब वह लंदन में थे तो उन्होंने पहलवानों को चुनौती दी कि वह 30 मिनट के किसी भी वज़न वर्ग में 3 पहलवानों को फेंक सकते हैं, लेकिन कोई भी इसे मानने के लिए तैयार नहीं था वह सब यह समझते थे कि वह उनको बेवकूफ बना रहे हैं।
  • इसके अलावा, गामा ने स्टैनिसलॉस जबिश्को और फ्रैंक गॉच को विशेष रूप से चुनौती दे दी और कहा कि या तो वह उनसे मुकाबला करें या फिर उन्हें पुरस्कार राशि दें।
  • यह चुनौती पहली बार अमेरिका के पहलवान ‘बैंजामिन रोलर’ ने स्वीकार की। गामा ने रोलर को 1 मिनट 40 सेकेण्ड में पछाड़ दिया और फिर दोबारा गामा और रोलर के बीच में कुश्ती हुई, जिसमें रोलर 9 मिनट 10 सेकेण्ड ही टिक सका। अगले दिन गामा ने 12 पहलवानों को हराकर आधिकारिक टूर्नामेंट में प्रवेश प्राप्त किया।   
  • 10 सितंबर 1910 को, लंदन के ‘जॉन बुल बैल्ट’ विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में गामा ने विश्व चैंपियन ‘स्टेनिस्लस ज़िबेस्को’ का सामना किया। मैच £250 (₹22000) पुरस्कार राशि के लिए था। लगभग तीन घंटों तक कुश्ती होने के बाद ज़िबेस्को और गामा के बीच यह मुकाबल ड्रा हो गया।  
  • दूसरे दिन, जब ज़िबेस्को और गामा के बीच मुकाबला होना था तो ज़िबेस्को डर के मारे मैदान में ही नहीं आया और फिर गामा को विजेता घोषित किया गया।
  • पश्चिमी देशों के अपने दौरे के दौरान, गामा ने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पहलवानों को हराया। जैसे कि- फ्रांस के मॉरिस देरिज़, संयुक्त राज्य अमेरिका के डॉक” बेंजामिन रोलर, स्वीडन के जॅसी पीटरसन (विश्व चैंपियन) और स्विट्जरलैंड के जोहान लेम (यूरोपियन चैंपियन) ।    
  • बेंजामिन रोलर के साथ कुश्ती लड़ते हुए, गामा ने उन्हें 15 मिनट में 13 बार फेंका।
  • दुनिया के कई प्रसिद्ध पहलवानों को हराने के बाद, गामा ने उन लोगों के लिए एक चुनौती जारी की जो “विश्व चैंपियन” के शीर्षक का दावा करते थे। जिसमें जापान का जूडो पहलवान ‘तारो मियाकी’, रूस का ‘जॉर्ज हॅकेन्शमित’, अमरीका का ‘फ़ॅन्क गॉश’ शामिल थे। हालांकि, उनमें से किसी ने भी उनके निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया।
  • इसके बाद गामा ने कहा कि वो एक के बाद एक लगातार बीस पहलवानों से लड़ेगा, लेकिन फिर भी किसी ने उनकी चुनौती स्वीकार नहीं की।
  • इंग्लैंड से भारत लौटने के बाद गामा और रहीम बख्श सुल्तानीवाला के बीच इलाहाबाद में कुश्ती हुई। यह कुश्ती काफ़ी देर तक चली और गामा ने इस कुश्ती को जीतकर रुस्तम-ए-हिंद का ख़िताब जीता।   
  • जब उनसे उनके सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी के बारे में पूछा गया तो गामा ने उत्तर दिया “रहीम बख्श सुल्तानीवाला”।
  • वर्ष 1916 में, गामा ने भारत के मशहूर पहलवान ‘पन्डित बिद्दू’ को हराया।
  • वर्ष 1922 में, इंग्लैंड के ‘प्रिंस ऑफ़ वेल्स’ ने भारत की यात्रा के दौरान गामा को चाँदी का एक बेशक़ीमती ‘गदा’ (ग़ुर्ज) उपहार स्वरूप प्रदान किया था।   
  • वर्ष 1927 तक गामा को किसी ने चुनौती नहीं दी थी। हालांकि, शीघ्र ही यह घोषणा की गई कि गामा और ज़िबेस्को एक बार फिर से एक-दूसरे का सामना करेंगे। जनवरी 1928 में पटियाला में मुकाबला हुआ और गामा ने एक मिनट के अंदर ज़िबेस्को को हारा दिया और विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के विजेता बने। मुकाबले के बाद ज़िबेस्को ने गामा को “टाइगर” के रूप में संबोधित किया।  
  • फरवरी 1929 में गामा ने आखरी बार मुकालबा किया जिसमें उन्होंने ‘जेसी पीटरसन’ को डेढ़ मिनट में पछाड़ दिया। इस मुकाबले में गामा विजयी रहे।
  • वर्ष 1940 में, हैदराबाद के निजाम के निमंत्रण पर गामा ने उनके सभी पहलवानों को हराया फिर निजाम ने उन्हें पहलवान बलराम हेरमन सिंह यादव से लड़ने के लिए भेजा, जो कभी अपने जीवन में पराजित नहीं थे। एक लंबे समय तक चली कुश्ती के बाद गामा उसे हरा नहीं पाए। आखिरकार यह मुकालबा ड्रा हो गया और कोई भी पहलवान नहीं जीता।   
  • वर्ष 1947 में, भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद वह पाकिस्तान चले गए थे।
  • वर्ष 1952 में उनकी सेवानिवृत्ति तक कोई भी गामा पहलवान को हरा नहीं पाया था।
  • अपनी सेवानिवृत्ति के बाद गामा ने अपने भतीजे भोलू पहलवान को प्रशिक्षित किया। जिन्होंने लगभग 20 वर्षों तक पाकिस्तानी कुश्ती के चैंपियन रहे।  
  • अपने अंतिम दिनों में, गामा को एक पुरानी बीमारी का सामना करना पड़ा और उसके इलाज के लिए भुगतान करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। उनकी मदद करने के लिए एक उद्यमी “जी डी बिरला” और एक कुश्ती प्रशंसक ने उन्हें 2,000 रुपये और ₹ 300 की मासिक पेंशन को दान में दिया। उनकी मृत्यु के समय तक पाकिस्तान सरकार ने भी उनके चिकित्सा व्यय का समर्थन किया।   
  • पटियाला के ‘नेशनल इस्टीटूयट ऑफ़ स्पोर्टस’ में उनके कसरत में इस्तेमाल होने वाला एक 95 किलोग्राम डोनट आकार का चक्र रखा हुआ है।  
  • सूत्रों के अनुसार गामा पहलवान ने वर्ष 1902 में बड़ौदा में 1200 किलो का एक पत्थर उठाया था और वह इसको उठा कर कुछ दुरी तक चले भी थे।   
  • एक रिपोर्टों के मुताबिक ब्रूस ली गामा पहलवान के दिनचर्या का पालन किया करते थे।  
  • यहां गामा पहलवान के मुकाबले की एक झलक है:

  • 22 मई 2022 को गामा पहलवान के 144वें जन्मदिन पर गूगल ने उन्हें डूडल बनाकर उनके चाहने वालों का मनोबल बढ़या।

Recent Posts

Sukhvinder Singh Sukhu Biography in Hindi | सुखविंदर सिंह सुक्खू जीवन परिचय

सुखविंदर सिंह सुक्खू से जुडी कुछ रोचक जानकारियां सुखविंदर सिंह सुक्खू एक भारतीय वकील और राजनेता हैं। जिन्हें 2022 में…

2 months ago

Yashasvi Jaiswal Biography in Hindi | यशस्वी जायसवाल जीवन परिचय

यशस्वी जायसवाल से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां यशस्वी जयसवाल उत्तर प्रदेश के एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं। वह तब सुर्खियों…

2 months ago

Bhajan Lal Sharma Biography in Hindi | भजन लाल शर्मा जीवन परिचय

भजन लाल शर्मा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां भजन लाल शर्मा एक भारतीय राजनेता हैं। वह 15 दिसंबर 2023 को…

2 months ago

Mohammed Shami Biography in Hindi | मोहम्मद शमी जीवन परिचय

मोहम्मद शमी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां मोहम्मद शमी एक भारतीय तेज गेंदबाज क्रिकेटर हैं जो अपने बॉलिंग स्किल के…

2 months ago

Mohan Yadav Biography in Hindi | मोहन यादव जीवन परिचय

मोहन यादव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां मोहन यादव एक भारतीय राजेनता और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। वह…

2 months ago

Shraddha Joshi Sharma (IRS) Biography In Hindi | श्रद्धा जोशी शर्मा जीवन परिचय

श्रद्धा जोशी शर्मा से जुडी कुछ रोचक जानकारियां श्रद्धा जोशी शर्मा 2007 बैच की एक भारतीय आईआरएस अधिकारी हैं। सिंघम…

2 months ago