Mukesh Biography in Hindi | मुकेश (गायक) जीवन परिचय
जीवन परिचय | |
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वास्तविक नाम | मुकेश चंद माथुर |
व्यवसाय | गायक |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई | से० मी०- 175 मी०- 1.75 फीट इन्च- 5’ 9” |
वजन/भार (लगभग) | 75 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | काला |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 22 जुलाई 1923 |
जन्मस्थान | दिल्ली, भारत |
मृत्यु तिथि | 27 अगस्त 1976 |
मृत्यु स्थान | डेट्रोइट, मिशिगन, संयुक्त राज्य अमेरिका |
आयु (मृत्यु के समय) | 53 वर्ष |
मृत्यु कारण | दिल का दौरा |
राशि | कर्क |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | दिल्ली, भारत |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | लागू नहीं |
शैक्षिक योग्यता | दसवीं पास |
डेब्यू | एक अभिनेता के रूप में : फिल्म - निर्दोष (1941) एक पार्श्वगायक के रूप में : फिल्म - निर्दोष (1941), गीत - दिल ही बुझा हुआ हो |
परिवार | पिता - ज़ोरावर चंद माथुर (अभियंता) माता- चंद्राणी माथुर भाई- ज्ञात नहीं बहन- सुन्दर प्यारी |
धर्म | हिन्दू |
जाति | कायस्थ |
शौक/अभिरुचि | घुड़सवारी करना, गायन करना, यात्रा करना |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा अभिनेता | दिलीप कुमार , राजेश खन्ना और राज कपूर |
पसंदीदा अभिनेत्रियां | मधुबाला, शर्मिला टैगोर और रेखा |
पसंदीदा गायक | के. एल. सहगल, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
विवाह तिथि | 22 जुलाई 1946 |
गर्लफ्रेंड व अन्य मामले | ज्ञात नहीं |
पत्नी | सरल त्रिवेदी |
बच्चे | बेटा- नितिन मुकेश मोहनीश मुकेश बेटी- रीता, नलिनी, नम्रता (उर्फ़ अमृता) पोता- नील नितिन मुकेश |
धन/संपत्ति संबंधित विवरण | |
वेतन (एक पार्श्व गायक के रूप में) | 70-80 हजार भारतीय रुपए प्रति गीत |
मुकेश से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- क्या मुकेश धूम्रपान करते थे ? ज्ञात नहीं
- उन्हें संगीत के प्रति काफी लगाव था, जिसके लिए वह संगीत सीखते थे। संगीत सीखने के बाद मुकेश अपनी छोटी बहन को भी संगीत सिखाते थे।
- गायक के रूप में अपने करियर के शुरुआती दौर में, उन्होंने दिल्ली में लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में कार्य किया।
- उनके ससुर अपनी बेटी का एक गायक के साथ विवाह करने के खिलाफ थे। इसलिए मुकेश ने अपनी पत्नी सरल त्रिवेदी के साथ भागने का फैसला किया और मुंबई में जाकर रहने लगे।
- प्रसिद्ध अभिनेता मोतीलाल (मुकेश के दूर के रिश्तेदार) ने मुकेश को एक कार्यक्रम में गायन करते हुए देखा तो उन्होंने मुकेश को मुंबई के पंडित जगन्नाथ प्रसाद के सानिध्य में कर दिया।
- वह के.एल. सहगल के एक उत्साही प्रशंसक थे और अपने गायन करियर के प्रारंभिक चरण में उनकी आवाज की नकल करते थे। ऐसा कहा जाता है कि जब के. एल. सहगल ने पहली बार इस गीत को सुना “दिल जिलता है” तो वह यह नहीं समझ पाए कि क्या वह गीत उन्होंने गाया है या किसी और ने गाया है।
- उन्होंने राज कपूर की विभिन्न फिल्मों के लिए गीत गाए हैं। राज कपूर के लिए उनके प्रसिद्ध गीतों में “किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार” (अनारी, 1959), “आवारा हूं” (आवारा, 1951), “जाने कहां गए वो दिन” (मेरा नाम जोकर, 1970), इत्यादि गीत शामिल हैं।
- नौशाद और अनिल बिस्वास जैसे संगीत निर्देशकों ने उनकी संगीत की शैली को विकसित करने में मदद की। जैसे कि :- “मेरा प्यार भी तू है यहां”, “उठाए जा उनके सितम और जीये जा”, “हम आज कहीं दिल खो बैठे”, इत्यादि।
- मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के साथ मुकेश का नाम भी उस समय के अग्रणी पार्श्व गायकों में गिना जाता है।
- उन्होंने विभिन्न प्रसिद्ध संगीत निर्देशकों जैसे एस. डी. बर्मन, कल्याणजी आनंदजी, शंकर जयकिशन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, इत्यादि के साथ कार्य किया है। उनका एक गीत “जीना यहां, मरना यहां” को शंकर जयकिशन द्वारा निर्देशित किया गया, जो हमेशा से ही संगीत प्रेमियों का पसंदीदा रहा है।
- उन्हें “कई बार यूँ देखा” गीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके आलावा उन्हें विभिन्न गीतों के लिए चार फिल्मफेयर पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया जैसे :- “सब कुछ सीखा (1976)”, “जय बोलो बेईमान की (1972)”, “कभी-कभी मेरे दिल में (1976)”, “सबसे बड़ा नादान (1970)”, इत्यादि।
- उन्हें “दुनिया बनाने वाले”, “चन्दन सा बदन” और “राम करे ऐसा हो जाए” गीत के लिए बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 27 अगस्त 1976 को, वह लता मंगेशकर के साथ एक संगीत कार्यक्रम के लिए डेट्रॉइट, मिशिगन गए हुए थे। उसी दिन सुबह-सुबह उनकी छाती में दर्द होने लगा जिसके चलते उन्हें एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां चिकित्सकों के द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उसके बाद, उस संगीत कार्यक्रम को लता मंगेशकर और मुकेश के पुत्र नितिन मुकेश ने पूरा किया था।
- उनके निम्न गीतों को “हम दोनों मिलके कागज पे”, “हमको तुमसे हो गया है प्यार” और “सात अजूबे इस दुनिया के” उनकी मृत्यु के बाद रिलीज़ किए गए। मुकेश द्वारा गाया गया अंतिम गीत “चंचल शीतल निर्मल कोमल” जो फिल्म सत्यम शिवम् सुंदरम (1978) से था।