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Jayaprakash Narayan Biography in Hindi | जयप्रकाश नारायण जीवन परिचय

 

जयप्रकाश नारायण

जीवन परिचय
वास्तविक नाम जयप्रकाश नारायण
उपनाम जे. पी.
व्यवसाय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि 11 अक्टूबर 1902
मृत्यु तिथि 8 अक्टूबर 1979
मृत्यु स्थल पटना, बिहार, भारत
मृत्यु कारण हृदयाघात (दिल का दौरा पड़ने से)
समाधि स्थल पटना, बिहार, भारत
आयु (मृत्यु के समय)76 वर्ष
जन्मस्थान सीताबदीरा, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब बलिया, उत्तर प्रदेश में)
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर सीताबदीरा, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब बलिया, उत्तर प्रदेश में)
स्कूल/विद्यालय कॉलेजिएट स्कूल, पटना, भारत
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बरकली
विसकांसन विश्वविद्यालय
शैक्षणिक योग्यता समाजशास्त्र में परास्नातक
परिवार पिता - हरसू दयाल (नहर विभाग में कर्मचारी)
माता - फूल रानी देवी
भाई - ज्ञात नहीं
बहन - ज्ञात नहीं
धर्म हिन्दू
जाति कायस्थ
पुरस्कार/सम्मान • वर्ष 1965 में, उन्हें “लोकनायक” उपाधि देते हुए "रेमन मैगसेसे" पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
• वर्ष 1999 में, उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पत्नी प्रभावती देवी
बच्चे ज्ञात नहीं

जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  •   जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था।
  •   जब वह नौ वर्ष थे, तब वह अपना घर छोड़कर कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लेने के लिए पटना चले गए थे।
  • वहां उन्हें सरस्वती, प्रभा और प्रताप जैसी पत्रिकाएं पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ, यही नहीं उन्हें भारत-भारती, मैथलीशरण गुप्त और भारतेंदु हरिश्चंद्र की कविताएं पढ़ने का भी मौका मिला। जिससे वह काफी प्रोत्साहित हुए।
  • वर्ष 1920 में, जब वह 18 वर्ष के थे, तब उनका विवाह बिहार के प्रसिद्ध गांधीवादी बृज किशोर प्रसाद की पुत्री प्रभावती के साथ हुआ था। जयप्रकाश नारायण अपनी पत्नी के साथ
  • विवाह के बाद जयप्रकाश अपनी पढाई में काफी व्यस्त थे, जिसके कारण वह अपनी पत्नी प्रभावती को अपने साथ नहीं रख सकते थे, इसलिए प्रभावती कस्तूरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम मे रहने लगीं।
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद के भाषण से प्रभावित होकर उन्होंने पटना कॉलेज को छोड़ दिया और ‘बिहार विद्यापीठ’ में दाखिला ले लिया।
  • वर्ष 1922 में, बिहार विद्यापीठ से पढ़ाई करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए थे, जहां उन्होंने आठ वर्षों तक अध्ययन किया।
  • जनवरी 1923 में, उन्होंने अमेरिका जाकर बर्कले विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, अमेरिका में अपनी पढाई का खर्चा उठाने के लिए उन्होंने कंपनियों, होटलों, इत्यादि में कार्य करना शुरू किया।
  • वर्ष 1929 में, जब वह अमेरिका से लौटे, उस समय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था। तभी उनका सम्पर्क महात्मा गांधी के साथ कार्य कर रहे जवाहर लाल नेहरु से हुआ और जहां वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने।
  • वर्ष 1932 में गांधी, नेहरु और अन्य महत्त्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के जेल जाने के बाद, उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। जिसके परिणामस्वरूप सितम्बर 1932 में, उन्हें मद्रास से गिरफ्तार किया गया और नासिक जेल में भेज दिया गया।
  • उन्होंने जेल में कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी॰ एस॰ पी॰) की स्थापना की।
  • वर्ष 1934 में, जब कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने की घोषणा की, तब जयप्रकाश नारायण व सी॰ एस॰ पी॰ ने इसका विरोध किया था।
  • वर्ष 1939 में, उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लोक आन्दोलन का नेतृत्व किया।
  • उन्होंने टाटा स्टील कंपनी में हड़ताल करवाई, क्योंकि वह चाहते थे कि वह ब्रिटिश सरकार को इस्पात का निर्यात न किया जाए। जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और नौ महीने की कैद की सजा सुनाई गई।
  • वर्ष 1942 में, भारत छोडो आन्दोलन के दौरान वह आर्थर जेल से फरार हो गए थे।
  • 19 अप्रैल 1954 में, जयप्रकाश नारायण स्वतंत्रता सेनानी विनोबा भावे से काफी प्रोत्साहित होने के कारण गया में आयोजित “सर्वोदय आंदोलन” से जुड़ गए। जे. पी. नारायण जी सर्वोदय आंदोलन के दौरान
  • वर्ष 1957 में, उन्होंने लोकनीति के पक्ष में राजनीति छोड़ने का फैसला किया।
  • वर्ष 1975 में, जब अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप साबित हुआ, तब जयप्रकाश ने विपक्ष को एकजुट कर उनके इस्तीफे की मांग की। जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल लागू कर दिया था और जे.पी. समेत हजारों विपक्षी नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया।
  • उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हथियारों के इस्तेमाल को अनिवार्य समझा, जिसके बाद उन्होंने नेपाल जाकर “आज़ाद दस्ते” का गठन किया और उन्हें प्रशिक्षण दिया।
  • जे. पी. ने पांच जून 1975 को पटना के गांधी मैदान में विशाल जनसमूह को संबोधित किया, जहाँ उन्हें ‘लोकनायक‘ की उपाधि दी गई। इसके कुछ दिनों बाद उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में ऐतिहासिक भाषण दिया। जे. पी. पटना गांधी मैदान में भाषण देते हुए
  • जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी की सरकार ने आपातकाल को हटाने का फैसला किया, जिसके चलते मार्च 1977 में चुनाव हुए और लोकनायक “संपूर्ण क्रांति आंदोलन” के चलते भारत में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी।
  • जे. पी. समाजवादी, सर्वोदयी तथा लोकतान्त्रिक जीवन पद्धति के समर्थक थे। उनके अनुसार समाजवाद एक जीवन पद्धति है, जो मानव की स्वतन्त्रता, समानता, बन्धुत्व तथा सर्वोदय की समर्थक है, समाजवाद आर्थिक तथा सामाजिक पुनर्निमाण की पूर्ण विचारधारा है।
  • आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहने के कारण उनकी तबियत अचानक ख़राब हो गई और 12 नवम्बर 1976 को उन्हें रिहा कर दिया गया और मुंबई के जसलोक अस्पताल में जांच के लिए ले जाया गया, जहां उनकी किडनी ख़राब हो गई थी, जिसके बाद वह डायलिसिस पर ही रहे और अंत में 8 अक्टूबर 1979 को पटना में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
  • उन्होंने अनेक किताबें भी लिखी हैं, जिनमें से Why Socialism? (1936) प्रमुख है।
  • वह श्री सत्य साईं के एक अनुयायी भी थे। जयप्रकाश नारायण सत्य साईं के साथ
  • वर्ष 2002 में, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जयप्रकाश नारायण के जन्मदिवस पर एक रुपए का सिक्का जारी किया गया। जे. पी. नारायण के जन्मदिवस पर जारी एक रुपए का सिक्का
  • अप्रैल 1994 में, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जे. पी. नारायण की याद में एक स्मारक बनाया गया। जे. पी. नारायण का स्मारक
  • वर्ष 2001 में, भारत सरकार द्वारा जे. पी. नारायण जी की याद में एक डाक टिकट जारी की। जे. पी. नारायण जी की याद में एक डाक टिकट
  • यहाँ उनके जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री वीडियो है :

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